गांधीनगर: गुजरात के अहमदाबाद में साल 2008 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में फैसला आया है. एक स्पेशल कोर्ट ने आज मामले की सुनवाई करते हुए 49 आरोपियों को दोषी ठहराया है. वहीं सबूत के अभाव में 28 अरोपियों को बरी कर दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोषियों को कल बुधवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा और सजा का एलान होगा. इस मामले में फैसला 2 फरवरी को ही आना था, लेकिन 30 जनवरी को स्पेशल कोर्ट के जज एआर पटेल कोरोना से संक्रमित हो गए, जिसके चलते फैसला टालना पड़ा.
26 जुलाई 2008 का है मामला
यह मामला 26 जुलाई 2008 का है जब अहमदाबाद नगर पालिका क्षेत्र में एक घंटे के भीतर 21 सीरियल ब्लास्ट हुए थे. इस धमाके ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. इस विस्फोट में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. देश में इतने कम समय में इतने धमाके पहले कभी नहीं हुए थे. एक घंटे के अंदर अहमदाबाद में 21 धमाके हुए थे. पुलिस ने अहमदाबाद में 20 प्राथमिकी दर्ज की थी, जबकि सूरत में 15 अन्य प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जहां विभिन्न स्थानों से बम बरामद किए गए थे. अदालत द्वारा सभी 35 प्राथमिकी को मर्ज करने के बाद मुकदमा चलाया गया, क्योंकि पुलिस जांच में दावा किया गया था कि 'वे एक ही साजिश का हिस्सा थे.
तत्कालीन सीएम ने दिए थे आदेश
इस हमले के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी आतंकियों की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे. गुजरात के मौजूदा डीजीपी आशीष भाटिया के नेतृत्व में बेहतरीन अफसरों की टीम बनाई गई. विस्फोट के बाद तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह 27 तारीख को अहमदाबाद के दौरे पर आए थे.
19 दिन में पकड़े गए 30 आतंकी
पीएम मनमोहन सिंह के आने के बाद 28 जुलाई को गुजरात पुलिस की एक टीम बनाई गई और महज 19 दिनों में 30 आतंकियों को पकड़कर जेल भेज दिया गया. इसके बाद बाकी आतंकी समय-समय पर पकड़े जाते रहे हैं. अहमदाबाद में हुए धमाकों से पहले इंडियन मुजाहिदीन की इसी टीम ने जयपुर और वाराणसी में धमाकों को अंजाम दिया था. देश के कई राज्यों की पुलिस इन्हें पकड़ने में लगी हुई थी, लेकिन ये एक के बाद एक ब्लास्ट करते चले गए. अहमदाबाद धमाकों के दूसरे दिन यानि 27 जुलाई को सूरत में सीरियल ब्लास्ट हुए, लेकिन टाइमर में गड़बड़ी की वजह से ये धमाके नहीं हो पाए.