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मोदी के समर्थन में 197 हस्तियों का खुला पत्र- हिंसा पर राजनीति करने वालों को बेनकाब किया जाए - 197 celebrities including 97 former bureaucrats wrote open letter to pm

आठ पूर्व न्यायधीशों समेत 197 प्रमुख हस्तियों ने पीएम मोदी के समर्थन में खुला पत्र लिखा है (197 celebrities including 97 former bureaucrats wrote open letter to pm). पत्र के माध्यम से देश भर में हिंसा पर राजनीति करने वालों को बेनकाब करने की अपील की गई है.

197 celebrities including 97 former bureaucrats wrote open letter to pm
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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Published : Apr 30, 2022, 6:31 PM IST

नई दिल्ली : देश के 8 पूर्व न्यायधीशों, 97 रिटायर्ड अधिकारियों और सशस्त्र बलों के 92 पूर्व अधिकारियों सहित देश की 197 प्रमुख हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा है. इस पत्र में कहा गया है कि देश में एक खास एजेंडे के तहत किए जा रहे पक्षपातपूर्ण राजनीति को स्वीकार नहीं किया जा सकता है और देश भर में हिंसा पर राजनीति करने वाले लोगों को बेनकाब किया जाना चाहिए.

देश की 197 प्रमुख हस्तियों के इस खुले पत्र को हाल ही में 108 पूर्व नौकरशाहों द्वारा लिखे गए पत्र का जवाब माना जा रहा है. लंबे समय तक अलग-अलग क्षेत्रों में देश की सेवा कर चुके इन 197 लोगों के हस्ताक्षर वाले पत्र में हिंसा पर राजनीति करने वाले लोगों को बेनकाब करने की अपील की गई है. पत्र में हाल ही में एक स्वयंभू संवैधानिक आचरण समूह - सीसीजी द्वारा पीएम मोदी को लिखे गए पत्र का भी जिक्र किया गया है. आपको बता दें कि, कुछ दिन पहले 108 पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, जिसमें घृणा की राजनीति को खत्म करने के लिए उनसे चुप्पी तोड़ने और कदम उठाने की अपील की गई थी.

108 पूर्व नौकरशाहों के उस पत्र को एजेंडे के तहत पक्षपातपूर्ण राजनीति का पर्याय बताते हुए शनिवार को देश के 197 महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने पत्र लिखा है. इसमें यह आरोप लगाया है कि कुछ लोग देश में हिंसा के नाम पर सिर्फ राजनीति करने में लगे हुए हैं. पूर्व न्यायधीशों, रिटायर्ड अधिकारियों और सशस्त्र बलों के पूर्व अधिकारियों द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को लिखे गए खुले पत्र में पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा पर सीसीजी की चुप्पी की आलोचना करते हुए कहा गया है कि यह चुप्पी उनके रवैये और मंशा पर कई तरह के सवाल खड़े करती है. यह मुद्दों के प्रति उनके निंदक और गैर सैद्धान्तिक दृष्टिकोण को उजागर करता है.

हिंसा की घटनाओं पर समूह की चुप्पी को लेकर उठाए सवाल : पत्र में राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और नई दिल्ली में राम नवमी, हनुमान जयंती और अन्य त्योहारों के दौरान निकाली गई शोभा यात्राओं के दौरान हुई हिंसा की घटनाओं पर भी इस समूह की चुप्पी की आलोचना की गई है. सीसीजी के सदस्यों पर देश और समाज को बांटने और कमजोर करने सहित कई तरह के गंभीर आरोप लगाए गए हैं.

भारत की एकता और अखंडता के लिए सबके साथ आने की वकालत करते हुए पत्र में कहा गया है कि, हम, चिंतित नागरिक, निहित स्वार्थों के इस घिनौने जोड़-तोड़ की निंदा करते हैं और सही सोच रखने वाले देश के सभी नागरिकों से इन लोगों को बेनकाब करने का आग्रह करते हैं. पत्र में कहा गया है कि देश की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है और हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों ने इसे एक बार फिर से साबित कर दिया है लेकिन स्वयंभू संवैधानिक आचरण समूह की तरह व्यवहार करने वाला एक समूह सरकार के खिलाफ लोगों को उकसाने और जनमत तैयार करने के लिए इस तरह का अभियान चलाता रहता है. वास्तविकता यह है कि भाजपा शासित राज्यों में साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है, जिसकी तारीफ लोग भी करते हैं. पत्र में सीसीजी की भाषा और पश्चिमी देशों की मीडिया एवं विभिन्न एजेंसियों की भाषा में समानता को लेकर भी आश्चर्य व्यक्त किया गया है.

पढ़ें- पूर्व नौकरशाहों की पीएम मोदी से अपील- नफरत की राजनीति खत्म की जाए

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : देश के 8 पूर्व न्यायधीशों, 97 रिटायर्ड अधिकारियों और सशस्त्र बलों के 92 पूर्व अधिकारियों सहित देश की 197 प्रमुख हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा है. इस पत्र में कहा गया है कि देश में एक खास एजेंडे के तहत किए जा रहे पक्षपातपूर्ण राजनीति को स्वीकार नहीं किया जा सकता है और देश भर में हिंसा पर राजनीति करने वाले लोगों को बेनकाब किया जाना चाहिए.

देश की 197 प्रमुख हस्तियों के इस खुले पत्र को हाल ही में 108 पूर्व नौकरशाहों द्वारा लिखे गए पत्र का जवाब माना जा रहा है. लंबे समय तक अलग-अलग क्षेत्रों में देश की सेवा कर चुके इन 197 लोगों के हस्ताक्षर वाले पत्र में हिंसा पर राजनीति करने वाले लोगों को बेनकाब करने की अपील की गई है. पत्र में हाल ही में एक स्वयंभू संवैधानिक आचरण समूह - सीसीजी द्वारा पीएम मोदी को लिखे गए पत्र का भी जिक्र किया गया है. आपको बता दें कि, कुछ दिन पहले 108 पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, जिसमें घृणा की राजनीति को खत्म करने के लिए उनसे चुप्पी तोड़ने और कदम उठाने की अपील की गई थी.

108 पूर्व नौकरशाहों के उस पत्र को एजेंडे के तहत पक्षपातपूर्ण राजनीति का पर्याय बताते हुए शनिवार को देश के 197 महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने पत्र लिखा है. इसमें यह आरोप लगाया है कि कुछ लोग देश में हिंसा के नाम पर सिर्फ राजनीति करने में लगे हुए हैं. पूर्व न्यायधीशों, रिटायर्ड अधिकारियों और सशस्त्र बलों के पूर्व अधिकारियों द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को लिखे गए खुले पत्र में पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा पर सीसीजी की चुप्पी की आलोचना करते हुए कहा गया है कि यह चुप्पी उनके रवैये और मंशा पर कई तरह के सवाल खड़े करती है. यह मुद्दों के प्रति उनके निंदक और गैर सैद्धान्तिक दृष्टिकोण को उजागर करता है.

हिंसा की घटनाओं पर समूह की चुप्पी को लेकर उठाए सवाल : पत्र में राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और नई दिल्ली में राम नवमी, हनुमान जयंती और अन्य त्योहारों के दौरान निकाली गई शोभा यात्राओं के दौरान हुई हिंसा की घटनाओं पर भी इस समूह की चुप्पी की आलोचना की गई है. सीसीजी के सदस्यों पर देश और समाज को बांटने और कमजोर करने सहित कई तरह के गंभीर आरोप लगाए गए हैं.

भारत की एकता और अखंडता के लिए सबके साथ आने की वकालत करते हुए पत्र में कहा गया है कि, हम, चिंतित नागरिक, निहित स्वार्थों के इस घिनौने जोड़-तोड़ की निंदा करते हैं और सही सोच रखने वाले देश के सभी नागरिकों से इन लोगों को बेनकाब करने का आग्रह करते हैं. पत्र में कहा गया है कि देश की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है और हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों ने इसे एक बार फिर से साबित कर दिया है लेकिन स्वयंभू संवैधानिक आचरण समूह की तरह व्यवहार करने वाला एक समूह सरकार के खिलाफ लोगों को उकसाने और जनमत तैयार करने के लिए इस तरह का अभियान चलाता रहता है. वास्तविकता यह है कि भाजपा शासित राज्यों में साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है, जिसकी तारीफ लोग भी करते हैं. पत्र में सीसीजी की भाषा और पश्चिमी देशों की मीडिया एवं विभिन्न एजेंसियों की भाषा में समानता को लेकर भी आश्चर्य व्यक्त किया गया है.

पढ़ें- पूर्व नौकरशाहों की पीएम मोदी से अपील- नफरत की राजनीति खत्म की जाए

(आईएएनएस)

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