सांभर झील पहुंचे इकॉलॉजिस्ट, पक्षियों की गणना का सिस्टम किया तैयार
प्रदेश की सबसे बड़ी खारे पानी की सांभर झील पिछले दिनों पक्षियों की मौत के बाद सुर्खियों में आई थी. अब तक की सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी के बाद सुर्खियों में आई सांभर झील में इकोलॉजिस्ट और प्रशिक्षु विद्यार्थियों ने सर्वे किया है. यहां प्रशिक्षु विद्यार्थियों को इस झील में रहने वाले स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के बारे में भी जानकारी दी गई है. इकोलॉजिस्ट टीके रॉय का कहना है कि उनकी संस्था एडब्ल्यूसी विश्व में कई जगह भ्रमण करती है और पक्षियों के संबंध में जानकारी इकट्ठा करती है. सांभर झील में कई पक्षी स्थाई निवास और प्रवास करते हैं इसलिए एक ऐसा सिस्टम तैयार किया गया है, जिससे अधिकतर पक्षियों की गणना की जा सकेगी. उनका यह भी दावा है कि पक्षी त्रासदी के बावजूद यहां सुदूर ठंडे प्रदेशों से आने वाले ग्रेटर फ्लेमिंगो की संख्या में इजाफा हुआ है. महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर और केंद्रीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ ही स्वयंसेवकों ने भी पक्षियों की गणना में अहम योगदान दिया है.