जयपुर: दिवाली से पहले राज्य सरकार ने राज्य कर्मचारियों को राहत देते हुए तय किया है कि परिनिंदा से दंडित राज्य कर्मचारियों का प्रमोशन रोका नहीं जाएगा. हालांकि यह राहत आदेश जारी होने की तिथि से लागू होगी. पहले की फाइलों को नहीं खोला जाएगा. भजनलाल सरकार के इस फैसले का अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी एकीकृत महासंघ ने भी स्वागत किया है.
खराब आचरण के चलते मिलता है दंड: दरअसल राज्य कर्मचारियों को खराब अचारण के लिए कई तरह के दंड दिए जाते हैं. इनमें से ही एक ही परिनिंदा का दंड यानी जिसमें सम्बन्धित कर्मचारी को गलत आचरण पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए चेतावनी दी जाती है या किसी तरह का जुर्माना लगाया जाता है. अब तक ऐसे मामलों में पदोन्नति रोक ली जाती थी, लेकिन सरकार ने हाल में नियमों की समीक्षा कर तय किया है कि परिनिंदा के मामलों में सम्बन्धित कर्मचारी का प्रमोशन रोका नहीं जाएगा, उसे पदोन्नति का लाभ मिलता रहेगा. यह राहत इस आदेश के जारी होने के बाद होने वाली पदोन्नतियों में ही मिलेगी. पहले के मामलों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
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कर्मचारी महासंघ ने किया स्वागत: अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि आज कार्मिक विभाग की ओर से आदेश जारी में पूर्व के 26 जुलाई, 2006 और 4 जून, 2008 के आदेश में संशोधन किया गया है. इससे पहले सीसीए रूल्स 17 में छोटी सजाओं के अंतर्गत किसी अनुशासनहीनता या गलती के कारण यदि किसी कर्मचारी को परिनिंदा का दंड दिया जाता था, तो उसकी आगामी 7 साल में होने वाली पदोन्नति को एक वर्ष आगे खिसका दिया जाता था.
अब कार्मिक विभाग ने इस आदेश में संशोधन करते हुए आज से किसी भी कर्मचारी को परिनिंदा के दंड के कारण पदोन्नति से 1 वर्ष वंचित नहीं करने का संशोधन कर राहत प्रदान कर दी है. इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि वर्ष 2024-25 की डीपीसी अभी बाकी है, तो उसमें भी यह नियम लागू होगा, लेकिन इससे पूर्व की बकाया डीपीसी अथवा रिव्यू डीपीसी पूर्व के नियमों के अनुसार ही होगी और उसमें परिनिंदा के दंड के लिए पदोन्नति को एक वर्ष आगे खिसकाया जाएगा. भजनलाल सरकार का यह आदेश स्वागत योग्य है. कर्मचारी महासंघ एकीकृत इस निर्णय पर आभार जताता है.