इतराती हूं मैं तेरे, चाके पर घूम-घूम कर जब देता तू मुझको आकार नया - Jaipur news
🎬 Watch Now: Feature Video
![ETV Thumbnail thumbnail](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/320-214-13428122-thumbnail-3x2-sdfew.jpg)
जयपुर के बस्सी क्षेत्र में दीपावली जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, कुम्हारों की चाक तेजी से घुमने लगी है. कोशिश और परंपरा को जीवित रखने में इनका योगदान हमेशा सराहनीय रहा है. कभी दीप बनाने में तो कभी बच्चे के लिये गुल्लक, मिट्टी के बर्तन, रोशनी के पर्व को लेकर कुम्हारों समाज इन दिनों बड़ी तन्मयता और मेहनत हमारे घरों में रोशनी कराने वाले दीप को बनाने में लगे है. कुम्हारों का कहना है कि बदलती जीवन शैली के साथ अपनी परंपरा, सभ्यता को दरकिनार कर आधुनिकता दामन पकड़ कर इस सामाजिक परंपरा दूर होते जा रहे है. आज आसानी से बाजार में चाइनीज समान उपलब्ध हो रही है. चाइनीज लाइट बल्ब, खिलौने कम खर्च में तरह-तरह के बल्ब बाजार में मिलने लोग मिट्टी के दीए से दूर हो होते जा रहे हैं. इसने कुम्हारों की जिंदगी में नई मुश्किल खड़ा कर दी है.