VIDEO: भीलवाड़ा में 406 पुरानी अनोखी परंपरा...रंगतेरस के दिन झूमे नाहर कलाकार - रंगपंचमी
🎬 Watch Now: Feature Video
भीलवाड़ा के मांडल कस्बे में 16वीं शताब्दी की एक परंपरा आज भी जीवित है. यहां के नाहर नृत्य की परंपरा का मुगल सम्राट शाहजहां के मनोरंजन के लिए सन 1614 में शुरू हुई थी. वह आज भी बदस्तूर जारी है. इस बार चुनाव के कारण नाहर नृत्य से पूर्व एक नाटक का भी मंचन किया गया. जिसके माध्यम से मतदान करने के लिए लोगों को प्रेरित किया गया. इस नृत्य साल में एक बार किया जाता है और यह राम और राजा के सामने ही होता है. भीलवाड़ा जिले के मांडल कस्बे में 406 सालों से चली आ रही है. यहां रंगतेरस के दिन होने वाला नाहर नृत्य समारोह दिवाली से कम में महत्व नहीं है. मांडल से देश के विभिन्न हिस्सों में गए लोग आज के दिन मांडल आना नहीं भूलते हैं.