डिटॉक्स वाटर के इस्तेमाल का चलन आजकल स्वास्थ को लेकर ज्यादा सचेत लोगों में विशेषकर युवाओं में काफी प्रचलित है. उस पर गर्मियों के मौसम में इनके स्वादिष्ट जायके भी लोगों को काफी लुभाते हैं.
आमतौर पर लोगों को लगता है कि डिटॉक्स वाटर सिर्फ वजन नियंत्रित रखने या कम करने में मदद करता है, लेकिन इसके फायदे सिर्फ यही तक ही सीमित नही है. दरअसल डिटॉक्स वाटर को फलों, सब्जियों, हर्ब्स तथा अन्य प्राकृतिक खाद्य पदार्थों से बनाया जाता जिनमें एंटीऑक्सीडेंट तथा पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. जो शरीर से हानिकारक तत्वों (टॉक्सिन) को बाहर निकालने में तो मदद करते ही हैं, साथ ही पाचन को स्वस्थ रखने, पेट में ब्लोटिंग की समस्या से बचाव करने तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने व मेटाबोलिज़्म को दुरुस्त रखने में भी काफी मददगार होता है. इसके अलावा इसके सेवन से शरीर का पीएच लेवल भी नियंत्रित रहता है. लेकिन चिकित्सकों तथा जानकारों का मानना है की इसका सेवन नियंत्रित मात्रा में ही करना चाहिए, साथ ही डिटॉक्स वॉटर को हमेशा सही कॉम्बीनेशन वाले फलों तथा सब्जियों के साथ ही बनाना चाहिए. वरना यह स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुंचा सकता है.
क्यों है डिटोक्स जरूरी
दिल्ली की पोषण व आहार विशेषज्ञ डॉ दिव्या बताती हैं कि सप्ताह में कम से कम एक बार शरीर को डिटॉक्स करना काफी फायदेमंद होता है. शरीर के डिटॉक्सिफिकेशन से हमारी किडनी, त्वचा, फेंफड़े आदि स्वस्थ रहते हैं, तथा तन व मन दोनों तरोताजा होकर ज्यादा चुस्ती से काम करने में सक्षम हो जाते हैं. शरीर के डिटॉक्सिफिकेशन के लिए डिटॉक्स वॉटर का सेवन काफी सरल व फायदेमंद होता है. वह बताती हैं कि डिटॉक्स वॉटर का सेवन उन लोगों के लिए ज्यादा जरूरी होता है जिनका खानपान असंतुलित हो जैसे उनके आहार में जंकफूड तथा अन्य अस्वस्थ आहार की मात्रा ज्यादा हो, और जिसका प्रभाव मोटापे, थकान तथा शारीरिक कमजोरी के रूप में नजर आ रहा हो.
ज्यादा मात्रा में सेवन पहुँच सकता है नुकसान कहावत हैं ना कि अति हर चीज की बुरी होती है. यदि डिटॉक्स वाटर का इस्तेमाल भी जरूरत से ज्यादा किया जाय तो यह सेहत पर बुरा असर डाल सकता है. डॉ दिव्या बताती हैं कि चूंकि डिटॉक्स वाटर में एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं इसलिए ये शरीर से टॉक्सिन्स् यानी हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने में मदद करते हैं. जिससे शरीर स्वस्थ रहता है तथा पाचन सहित शरीर की अन्य क्रियाओं व शरीर के तंत्रों को फायदा पहुंचाता है. वही यह त्वचा को भी प्राकृतिक तौर स्वस्थ व सुंदर बनाता है. लेकिन वजन जल्दी कम करने की चाहत में या अन्य कारणों से यदि लोग जरूरत से ज्यादा इसका सेवन करने लगते हैं तो यह शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकता है.
वह बताती हैं ज्यादा मात्रा में डिटॉक्स वाटर के सेवन से कई बार शरीर में पानी की मात्रा जरूरत से काफी ज्यादा बढ़ जाती है जिससे कई बार रक्त में सोडियम की मात्रा प्रभावित होने लगती है. हाइपोनेट्रेमिया नामक इस स्तिथि में हमारा शरीर पानी के साथ सोडियम और पोटैशियम जैसे महत्वपूर्ण इलेक्ट्रोलाइट्स को बाहर निकालना शुरू कर देता है, जिससे कई बार पीड़ित को सिरदर्द, थकान, उल्टी, मतली, चक्कर आना, तथा भ्रम की समस्या हो सकती है.
पानी को डिटॉक्स वॉटर से ना बदलें
वह बताती हैं कि यह सत्य हैं की डिटॉक्स वाटर में पोषण की मात्रा काफी ज्यादा होती है. लेकिन इसका पानी के स्थान पर सिर्फ इसका सेवन शरीर को प्रभावित कर सकता है.वैसे भी सादा पानी पीना ना सिर्फ शरीर को स्वस्थ तरीके से हाइड्रेट रखता है बल्कि शरीर की लगभग सभी प्रक्रियाओं तथा तंत्रों की सेहत के जरूरी भी होता है.
दिन में 1-2 लीटर से ज्यादा डिटॉक्स वॉटर नहीं पीना चाहिए. इसके अलावा डिटॉक्स वॉटर बनाने में फलों व सब्जियों के सही कॉम्बीनेशन तथा उनमें नमक की मात्रा का विशेष ध्यान रखना चाहिए साथ ही उनमें मिठास लाने के लिए चीनी का इस्तेमाल से बिल्कुल बचना चाहिए.
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