उदयपुर. जिले के एक शिक्षक ने कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए कबाड़ से एक ऑटोमेटिक घंटी बनाई है, जिसे मंदिर में आनेवाले भक्त बिना हाथ लगाए ही बजा सकते हैं. इस घंटी को बोहरा गणेश जी मंदिर में लगाने के बाद उदयपुर समेत प्रदेश के कई अन्य मंदिरों में भी स्थापित करने की तैयारी है.
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते राजस्थान में पिछले लंबे समय से धार्मिक स्थल बंद हैं. सरकार के आदेश के अनुसार अगले 31 जुलाई तक प्रदेश के सभी धार्मिक स्थल आम लोगों के लिए पूरी तरह बंद रहेंगे. वहीं, आम लोगों की आवाजाही जब शुरू हो जाएगी तो मंदिरों में किस तरह कोरोना से बचाव के नियम का ध्यान रखते हुए भगवान के दर्शन किए जाएं, इसी बात को ध्यान में रखते हुए शिक्षक दुर्गाशंकर ने एक तरकीब लगाई.
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दुर्गाशंकर एक शिक्षक हैं जो कबाड़ से जुगाड़ बनाने के लिए जाने जाते हैं. अब उन्होंने सेंसर घंटी बनाई है. वहीं, उदयपुर के बोहरा गणेश जी मंदिर में दुर्गाशंकर ने गुरुवार को इसका ट्रायल किया. जिसके बाद उन्होंने बताया कि किस तरह तकनीक के माध्यम से सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करते हुए इस घंटी को बजाया जा सकता है.
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बता दें कि मंदिर में आने वाले भक्त अगर उस सेंसर के आगे अपना हाथ फैलाएंगे तो अपने आप घंटी बजने लगेगी. दुर्गाशंकर के इस सेंसर घंटी की खास बात ये है कि इसे कबाड़ की कई वस्तुओं का फिर से उपयोग कर बनाया गया है.
बिजली सहित सोलर पावर से भी बजेगी घंटी...
साथ ही इसे अत्याधुनिक बनाने के लिए इसमें कई अन्य वस्तुओं का भी उपयोग किया गया है. ये बेल बिजली के साथ सोलर पावर से भी चल सकती है. यही कारण है कि कबाड़ से बनने के कारण इस घंटी की कीमत का भी आकलन अब तक नहीं हुआ है. राजस्थान में पहली बार इस तकनीक का उपयोग करने पर बोहरा गणेश मंदिर प्रशासन ने भी खुशी जाहिर की है.
मंदिर प्रशासन खुश...
मंदिर प्रशासन का कहना है कि कोरोना के चलते लंबे समय से मंदिर बंद है, लेकिन हमारी तैयारियां पूरी हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस घंटी को मंदिर प्रांगण में लगाया जा रहा है, जिससे भक्तों को मंदिर में किसी भी तरह की कोई कमी महसूस ना हो सके.
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बता दें कि इससे पहले दुर्गाशंकर श्रोत्रिय और उनके परिवार ने मिलकर कबाड़ से ही एक वेंटिलेटर बनाया था, जो देश भर में चर्चा का विषय बन गया था. वहीं, अब ऑटोमेटिक बेल को उदयपुर समेत प्रदेश के कई अन्य मंदिरों में भी स्थापित करने की तैयारी है.