उदयपुर. रणथंभौर से उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क लाए गए टाइगर 'उस्ताद' ने बुधवार को अंतिम (Ranthambore Tiger Ustad Passed Away) सांस ली. बायोलॉजिकल पार्क के चिकित्सकों की ओर से पोस्टमार्टम के बाद टाइगर का अंतिम संस्कार किया जाएगा. उस्ताद को 8 सालों से उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में रह रहा था.
डीएफओ अजय चित्तौड़ा ने बताया कि 17 साल की उम्र में उस्ताद ने बुधवार दोपहर को अंतिम (Ustad Passed Away in Udaipur) सांस ली. पिछले छह महीने से उस्ताद की एक पैर की हड्डी बड़ी हो गई थी. इसके कारण उसे चलने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में टाइगर t-24 बोन कैंसर जैसी बीमारी सामने आई थी. मंगलवार रात को टाइगर t-24 ने काला मल किया था. पोस्टमार्टम के बाद टाइगर का अंतिम संस्कार किया जाएगा.
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2006 में हुआ था उस्ताद का जन्म : साल 2006 में रणथंभौर टाइगर रिजर्व जंगल में खुशियां छाई थी, जब टाइगर झुमरू के घर तीन शावक का जन्म हुआ था. इनमें दूसरे नंबर का T-24 उस्ताद का भी जन्म हुआ था.जन्म से ही अन्य टाइगर की तुलना में उस्ताद की आंखों में तेज और चेहरे पर विशेष आकर्षण था. उस्ताद की मां का नाम गायत्री था. उस्ताद' का एक बड़ा भाई और एक छोटा भाई भी था. बड़े भाई का नाम T23 भोला जबकि सबसे छोटे भाई T34 कुंभा था. जब मां-पिता और तीन भाइयों के साथ उस्ताद जंगल में निकलता तो उसे देखने के लिए हर कोई लालायित नजर आता था. बचपन से ही अपने तीनों भाइयों में उस्ताद थोड़ा शरारती था. वह जंगल पर बचपन से ही अपना रुतबा कायम करना चाहता था. यही वजह है कि उसकी आंखों की तेज चमक पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती थी. अपनी एक विशेष छवि और चेहरे की अलग आकर्षण के कारण उसे लोग प्यार से उस्ताद कहते थे.
बचपन से ही जिंदगी संघर्ष भरी रही : अपने मां-बाप का सबसे प्रिय उस्ताद तीनों भाइयों में ( Life of Tiger Ustad) सबसे नटखट और शरारती था, लेकिन बचपन से ही टाइगर T24 उस्ताद को कई परेशानियों और बीमारियों का भी सामना करना पड़ा था. कई बार उसका स्वास्थ्य खराब होने के कारण उसको ट्रेंकुलाइज करना पड़ा. हाल ही में उसके एक पैर की हड्डी बढ़ने के कारण उसका इलाज किया गया था.
उस्ताद' को मिली ऐसी सजा की छिन गया जंगल : रणथंभौर अभ्यारण में 4 लोगों का शिकार करने के बाद टाइगर उस्ताद एक सनसनी बन गया था. इस नरभक्षी बाघ को 2015 में रणथंभौर नेशनल पार्क से उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट कर दिया गया. किसी वक्त रणथंभौर में उस्ताद की दहाड़ से पूरा जंगल थर्रा उठता था. उदयपुर शिफ्ट किए जाने के बाद यह टाइगर कई बीमारियों से जूझा, उसने कमबैक भी किया लेकिन खुले जंगल के बाघ की जिंदगी अब एंक्लोजर में सिमट गई थी. उसे सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क नॉन डिस्प्ले एरिया में रखा गया था. पिछले 8 साल से यह जंगली बाघ यहां सजा भुगत रहा था. रणथंभौर की खुली आबोहवा में इंसानों पर हमला करने के बाद उस्ताद पर आदमखोर होने का ठप्पा लग गया था. इस कलंक के कारण उसे सवाई माधोपुर के रणथंभौर अभ्यारण से उदयपुर के एक छोटे से एंक्लोजर में कैद कर दिया था.
4 लोगों को मौत के घाट उतारा : रणथंभौर टाइगर रिजर्व का राजा और सबसे स्मार्ट टाइगर T24 को देखने के लिए कई पर्यटक आते थे. लेकिन चार लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद उसे बायोलॉजिकल पार्क शिफ्ट किया गया था. यहां उसे एकांत वाले एंक्लोजर में रखा गया था. यहां न उस्ताद किसी को देख सकता है और न कोई उस्ताद को. सिर्फ केयरटेकर और डॉक्टर ही उसके पास जाते थे.
उस्ताद को नूर से हुआ था प्यार : उस्ताद अपना दिल नूर को दे बैठा था, जिसके बाद नूर ने अपनी पहली संतान को जन्म दिया. उसका नाम सुल्तान रखा गया. वहीं, दूसरी बार में दो और संतान कालू और धोलू को भी जन्म दिया. रणथंभौर में उस्ताद अपनी संगिनी टी-39 नूर के साथ में अक्सर लोगों को नजर आया करता था.