उदयपुर. प्रदेश की राजनीतिक सियासत में अब चुनावी सरगर्मियां दिनों दिन बढ़ने लगी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी लगातार अलग-अलग जिलों का दौरा कर रहे हैं. खासकर मुख्यमंत्री गहलोत की निगाहें मेवाड़ पर टिकी हुई हैं. यही वजह है, कि मुख्यमंत्री गहलोत बीते 15 दिनों में तीन बार मेवाड़ का दौरा कर चुके हैं. सीएम गहलोत के इन दौरों के पीछे राजनीतिक पंडित कई मायने निकालते हैं. बीते 12 महीनों की बात करें तो मुख्यमंत्री गहलोत अब तक 18 से ज्यादा बार मेवाड़ का दौरा कर चुके हैं.
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मेवाड़ के रास्ते सियासी पकड़ बनाने की कोशिशः सीएम गहलोत भली-भांति जानते हैं कि राजस्थान में सत्ता का रास्ता मेवाड़ से होकर गुजरता है. 2018 के विधानसभा चुनाव में भले ही यह मिथक टूटा हो, लेकिन गहलोत दक्षिणी राजस्थान की आदिवासी बाहुल्य इलाके में सियासी पकड़ बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते. उन्हें पता है कि मेवाड़ से भाजपा के कद्दावर नेता गुलाबचंद कटारिया के गवर्नर बनने के बाद सियासी पकड़ बनाना थोड़ी आसान हुई है. इसलिए गहलोत मेवाड़, वागड़ पर विशेष निगाहें टिकाए हुए हैं. मुख्यमंत्री का पिछले 12 महीनों में यह 18वां दौरा है. कटारिया के असम जाने के बाद से गहलोत ने मेवाड़ में अपने दौरे बढ़ाकर प्रचार की कोशिश भी काफी तेज कर दी है.
मेवाड़ के रास्ते 2024 की तैयारीः राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का लगातार मेवाड़ में चुनावी दौरा सरगर्मियां बढ़ा रहा है. 2018 विधानसभा के चुनाव में मेवाड़ में कांग्रेस के मुकाबले भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था. इसके बावजूद भी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी.अब सीएम गहलोत आदिवासी बहुल इलाके मेवाड़ में लगातार जिलों का दौरा कर महंगाई राहत शिविर के बहाने नब्ज टटोल रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक सुरेश बताते हैं, कि गुलाबचंद कटारिया के असम का राज्यपाल बनाए जाने के बाद मेवाड़ भाजपा में उनकी जितनी बारीक समझ का नेता कोई नहीं है. बीजेपी ने प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी को बनाया हो, मगर जनता में उनका वो कद नहीं माना जाता. ऐसे में लगातार मेवाड़ से जुड़े इलाको में गहलोत दौरे करते हुए अपनी पकड़ को मजबूत करने में जुटे हैं.
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उदयपुर विधानसभा सीट को लेकर गहलोत की निगाहेंः उदयपुर शहर विधानसभा सीट पर लंबे अरसे से कांग्रेस पार्टी जीतने में सफल नहीं हो पा रही. यहां से भाजपा के कद्दावर नेता गुलाब चंद कटारिया लगातार जीत दर्ज करते आ रहे थे. अब कटारिया के असम के गवर्नर बनने के बाद यह विधानसभा सीट फिलहाल खाली है. सीएम अशोक गहलोत इस सीट पर सबसे ज्यादा दबदबा रखने वाले जैन समाज पर पकड़ बनाना चाहते हैं. इसको देखते हुए पिछले दिनों उदयपुर में जैन समाज के एक बड़े कार्यक्रम में शिरकत करने सीएम गहलोत पहुंचे थे.
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प्रताप जयंती पर राजपूतों को साधने की कोशिशः वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मेवाड़ पहुंचे थे. इस कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी भी मौजूद थे. प्रताप जयंती के बहाने सीएम गहलोत ने मेवाड़ क्षत्रिय महासभा समेत राजपूत वर्ग को साधने को पूरी कोशिश की. मुख्यमंत्री गहलोत ने राजपूतों को साधने के लिए प्रताप की जयंती पर सीएम ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप बोर्ड बनाने की भी घोषणा कर डाली. जिसे लेकर राजनीतिक पंडित भी गहलोत की जादूगरी को लेकर अलग-अलग चर्चाएं कर रहे हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का क्या कहनाः राजनीतिक विश्लेषक सुरेश ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का मेवाड़ पर विशेष फोकस 2024 के विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारी है. गहलोत इस बार अन्य संभाग की तुलना में मेवाड़ पर इसलिए विशेष ध्यान दे रहे हैं, क्योंकि उन्हें यहां से खासी उम्मीद है. भाजपा के कद्दावर नेता गुलाबचंद कटारिया के गवर्नर बनने के बाद गहलोत का राजस्थान मेवाड़ में पकड़ बनाने में और आसान हुआ है. वहीं गहलोत 2018 के विधानसभा चुनाव की भाजपा को मिली सीटों पर जीत दर्ज करना चाहते हैं.
यह रहा अब तक का मेवाड़ में इतिहासः 2008 में परिसीमन के बाद उदयपुर संभाग की विधानसभा सीटें घटकर 28 हो गईं, इससे पहले ये 30 थीं. बात करें 1998 से लेकर 2018 के बीच हुए चुनावों की तो तस्वीर कुछ ऐसी बनती है. सन 1998 में कुल सीटें 30 थीं, तब कांग्रेस को 23, भाजपा को 4 और अन्य के खाते में 3 गईं. सन 2003 में कुल विधानसभा सीट 30 ही थीं. उसमें से कांग्रेस को 7, भाजपा को 21 और अन्य को दो मिलीं. सन 2008 कुल सीटें सिमट कर 28 पर आ गईं. इनमें कांग्रेस को 20, भाजपा को 6 और अन्य को 2 सीटें हासिल हुईं. सन 2013 में कुल सीट 28 थीं. यहां कांग्रेस को 2, भाजपा को 25 और अन्य के खाते में 1 गई. पिछले विधानसभा यानी 2018 में कुल 28 सीटें थीं. इसमें कांग्रेस को 10, भाजपा को 15 और अन्य को 3 मिलीं.