उदयपुर. राजस्थान की राजनीतिक सियासत में गुरुवार को बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला. भाजपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष का चेहरा बदलते हुए मेवाड़ से भाजपा सांसद सीपी जोशी को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. अब इसको लेकर राजनीतिक जानकार कई तरह के मायने और चर्चाएं कर रहे हैं. क्योंकि हाल ही में गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाए जाने के बाद मेवाड़ भाजपा की सियासत में रिक्त स्थान नजर आ रहा था. ऐसे में भाजपा ने अब मेवाड़ की राजनीतिक सियासत को मजबूती देने के लिए चित्तौड़ से सांसद सीपी जोशी पर दांव लगाया है.
क्या कटारिया के रिक्त स्थान को भर पाएंगे सीपी जोशी: दरअसल चार दशक की राजनीति करने के बाद गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बना दिया था. ऐसे में राजस्थान की सियासत में सत्ता का रास्ता कहे जाने वाले मेवाड़ में भाजपा को एक कद्दावर नेता की जरूरत थी, जो भाजपा के वरिष्ठ नेता गुलाबचंद कटारिया के रिक्त पद को भर सके. सीपी जोशी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान के सियासी समीकरण भी अब बदलते हुए नजर आएंगे. क्योंकि अब मेवाड़ की सियासत उदयपुर से नहीं बल्कि चित्तौड़ से चलती हुई दिखाई देगी.
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आगामी चुनाव को देखते हुए मेवाड़ को मजबूत करने पर भाजपा: दरअसल राजस्थान की राजनीति की सियासत में देखें, तो मेवाड़ वह भूभाग रहा है, जिसने प्रदेश की सियासत को सदैव एक नई दिशा दी है और नए समीकरण पैदा किए हैं. हालांकि गत चुनाव में भाजपा का मेवाड़ में दबदबा बढ़ा है. लेकिन दक्षिणी राजस्थान के इस आदिवासी भूभाग में सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने अपनी सियासी जमीन मजबूत करने का दांव लगाया है. मेवाड़ की 28 विधानसभा सीटों के लिए अब तक गुलाबचंद कटारिया ही भाजपा के बड़े फैसले लेते आए हैं. लेकिन उनके असम का गवर्नर बनने के साथ सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व मिलना और मेवाड़ की सियासत का नया रुझान पैदा कर रहा है.
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मेवाड़ में ब्राह्मण और वैश्य बोट को साधने की कोशिश: भाजपा ने सीपी जोशी के माध्यम से मेवाड़ के ब्राह्मण और वैश्य बोट को साधने की कोशिश की है. क्योंकि उदयपुर संभाग में इन दोनों ही समाज का बड़ा वोट बैंक है. वहीं गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाए जाने के बाद सीपी जोशी प्रभावी नेता के रूप में उभर कर आए. अब देखना होगा कि मेवाड़ में भाई साहब के रिक्त राजनीतिक पद को क्या सीपी जोशी भर पाएंगे.