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Maharana Pratap Jayanti : महाराणा प्रताप के शौर्य और पराक्रम से कई देशों ने लिया मार्गदर्शन, इतिहासकार से जानिए अनसुनी बातें - Rajasthan Hindi News

अकबर और महाराणा प्रताप के बीच युद्ध के बाद निकले परिणाम से कई देशों ने महाराणा प्रताप के शौर्य और पराक्रम से मार्गदर्शन लिया. महाराणा प्रताप के साहस के कारण ही कई देशों ने संघर्ष करते हुए अपने आप को बचाने का काम किया. चलिए इतिहासकार से जानते हैं कुछ अनसुनी बातें.

Maharana Pratap Jayanti
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Published : May 22, 2023, 12:27 PM IST

महाराणा प्रताप की इतिहासकार से जानिए अनसुनी बातें

उदयपुर. वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती सोमवार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जा रही है. हल्दीघाटी की माटी में राणा प्रताप ने ना सिर्फ अकबर की सेना का मुंहतोड़ जवाब दिया बल्कि दांतों तले लोहे के चने चबाने को मजबूर कर दिए थे. इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा का कहना हैं कि प्रताप के शौर्य और पराक्रम से आज भी युवा प्रेरणा लेते हैं.

वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा : इतिहासकार ने बताया कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने अपने शौर्य पराक्रम और अपने बुलंद इरादों के दम पर अकबर को मुंहतोड़ जवाब दिया था. हजारों वर्ष बीत जाने के बाद भी महाराणा प्रताप के शौर्य और पराक्रम की कथा अमर अजर नजर आती है. आज भी युवाओं में महाराणा प्रताप को लेकर एक बड़ा उत्साह दिखाई देता है. महाराणा प्रताप ने अन्याय का विरोध किया और उसके खिलाफ खड़े होने की जो गाथा शुरू की, वह आज भी जारी है. शर्मा ने बताया कि प्रताप के जीवन के कालखंड को देखें तो उन्होंने किस तरह से संघर्ष किया.

जब सभी राजाओं ने किया अधीनता स्वीकार, तो महाराणा प्रताप ने उठाई ज्वाला : चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि उस दौर में जब अकबर के दमन के कारण राजा अधीनता स्वीकार कर रहे थे. तब इन सबके बीच महाराणा प्रताप ने अपने स्वाभिमान के लिए अकबर को मुंहतोड़ जवाब दिया था. हालांकि, इस दौरान बड़ी संख्या में कई राजाओं ने अपनी सेनाओं का अकबर की सेना में शामिल कर लिया था वह महाराणा प्रताप के सामने युद्ध लड़ रहे थे, लेकिन इसके बावजूद भी प्रताप ने अपने बुलंद इरादों की ज्वाला को शांत नहीं होने दिया. इतिहासकार ने बताया कि वर्तमान दौर में भी महाराणा प्रताप हमारे लिए सदैव प्रासंगिक हैं.

प्रताप के युद्ध से मिला कई देशों को मार्गदर्शन : इतिहासकार शर्मा का कहना हैं कि अकबर और महाराणा प्रताप के बीच युद्ध के बाद निकले परिणाम से कई देशों ने उनके शौर्य और पराक्रम से मार्गदर्शन लिया. इस बीच कई देश अपने अस्तित्व को बचाने में इसलिए सफल रहे, क्योंकि उनके पास महाराणा प्रताप जैसी शौर्य था. महाराणा प्रताप के साहस के कारण ही कई देशों ने संघर्ष करते हुए अपने आप को बचाने का काम किया.

पढ़ें : महाराणा प्रताप की 483वीं जयंती : वंशज लक्ष्यराज सिंह ने 483 किलो लड्डू का लगाया भोग

शर्मा ने बताया कि वियतनाम देश ने किस तरह से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ी यह भी एक प्रताप के साहस की कहानी से मिलता जुलता नजर आता है. उन्होंने बताया कि प्रताप ने हमेशा अपने युद्ध में ध्यान रखा कि चाहे भले ही मेरे साथ कोई जुड़े या ना जुड़े, लेकिन धर्म का सदैव साथ देना है. वर्तमान दौर में लोग यह सोचते हैं कि उनके साथ कितने लोग हैं जब वह ताकतवर होंगे. लेकिन प्रताप के जीवन काल को देखें तो उन्होंने इसकी परवाह नहीं की उनके साथ कितने लोग हैं. प्रताप ने अपने युद्ध के माध्यम से जीरो लगने वाले लोगों की संख्या बढ़ाई. उन्होंने कहा कि प्रताप के साहस को देखते हुए भी लोगों को भी प्रेरणा लेना चाहिए कि वह एक बनने की कोशिश करें. ऐसे में लोगों का कारवां उनके साथ अपने आप जुड़ता जाएगा.

महाराणा प्रताप की इतिहासकार से जानिए अनसुनी बातें

उदयपुर. वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती सोमवार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जा रही है. हल्दीघाटी की माटी में राणा प्रताप ने ना सिर्फ अकबर की सेना का मुंहतोड़ जवाब दिया बल्कि दांतों तले लोहे के चने चबाने को मजबूर कर दिए थे. इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा का कहना हैं कि प्रताप के शौर्य और पराक्रम से आज भी युवा प्रेरणा लेते हैं.

वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा : इतिहासकार ने बताया कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने अपने शौर्य पराक्रम और अपने बुलंद इरादों के दम पर अकबर को मुंहतोड़ जवाब दिया था. हजारों वर्ष बीत जाने के बाद भी महाराणा प्रताप के शौर्य और पराक्रम की कथा अमर अजर नजर आती है. आज भी युवाओं में महाराणा प्रताप को लेकर एक बड़ा उत्साह दिखाई देता है. महाराणा प्रताप ने अन्याय का विरोध किया और उसके खिलाफ खड़े होने की जो गाथा शुरू की, वह आज भी जारी है. शर्मा ने बताया कि प्रताप के जीवन के कालखंड को देखें तो उन्होंने किस तरह से संघर्ष किया.

जब सभी राजाओं ने किया अधीनता स्वीकार, तो महाराणा प्रताप ने उठाई ज्वाला : चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि उस दौर में जब अकबर के दमन के कारण राजा अधीनता स्वीकार कर रहे थे. तब इन सबके बीच महाराणा प्रताप ने अपने स्वाभिमान के लिए अकबर को मुंहतोड़ जवाब दिया था. हालांकि, इस दौरान बड़ी संख्या में कई राजाओं ने अपनी सेनाओं का अकबर की सेना में शामिल कर लिया था वह महाराणा प्रताप के सामने युद्ध लड़ रहे थे, लेकिन इसके बावजूद भी प्रताप ने अपने बुलंद इरादों की ज्वाला को शांत नहीं होने दिया. इतिहासकार ने बताया कि वर्तमान दौर में भी महाराणा प्रताप हमारे लिए सदैव प्रासंगिक हैं.

प्रताप के युद्ध से मिला कई देशों को मार्गदर्शन : इतिहासकार शर्मा का कहना हैं कि अकबर और महाराणा प्रताप के बीच युद्ध के बाद निकले परिणाम से कई देशों ने उनके शौर्य और पराक्रम से मार्गदर्शन लिया. इस बीच कई देश अपने अस्तित्व को बचाने में इसलिए सफल रहे, क्योंकि उनके पास महाराणा प्रताप जैसी शौर्य था. महाराणा प्रताप के साहस के कारण ही कई देशों ने संघर्ष करते हुए अपने आप को बचाने का काम किया.

पढ़ें : महाराणा प्रताप की 483वीं जयंती : वंशज लक्ष्यराज सिंह ने 483 किलो लड्डू का लगाया भोग

शर्मा ने बताया कि वियतनाम देश ने किस तरह से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ी यह भी एक प्रताप के साहस की कहानी से मिलता जुलता नजर आता है. उन्होंने बताया कि प्रताप ने हमेशा अपने युद्ध में ध्यान रखा कि चाहे भले ही मेरे साथ कोई जुड़े या ना जुड़े, लेकिन धर्म का सदैव साथ देना है. वर्तमान दौर में लोग यह सोचते हैं कि उनके साथ कितने लोग हैं जब वह ताकतवर होंगे. लेकिन प्रताप के जीवन काल को देखें तो उन्होंने इसकी परवाह नहीं की उनके साथ कितने लोग हैं. प्रताप ने अपने युद्ध के माध्यम से जीरो लगने वाले लोगों की संख्या बढ़ाई. उन्होंने कहा कि प्रताप के साहस को देखते हुए भी लोगों को भी प्रेरणा लेना चाहिए कि वह एक बनने की कोशिश करें. ऐसे में लोगों का कारवां उनके साथ अपने आप जुड़ता जाएगा.

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