उदयपुर. देश में हर्षोल्लास के साथ दिवाली का पर्व मनाया (Country Diwali Celebrations) जा रहा है, लेकिन राजस्थान के उदयपुर में एक परिवार मातम में डूबा है. बहुचर्चित कन्हैयालाल हत्याकांड मामले (kanhaiyalal murder case) को तीन महीने बीतने के बाद भी परिवार इस गम से अभी उबर नहीं पाया है. कन्हैया की गैरमौजूदगी के कारण इस परिवार की सारी खुशियां आज मातम में तब्दील हो चुकी है. वहीं, कन्हैया के घर पहुंची ईटीवी भारत की टीम ने उसकी पत्नी और बेटे से बात की.
इस बीच जैसे ही हमने कन्हैया के नाम का जिक्र किया तो उसकी पत्नी की आंखें नम हो गईं. उन्होंने कहा कि हर साल वो हर्षोल्लास के साथ दिवाली मनाते थे, लेकिन आज उनकी कमी बहुत खल रही है. उनके बिना कैसी दिवाली. पत्नी ने बताया कि दिवाली के 15 दिन पहले ही कन्हैया अपने बेटों के लिए कपड़े सिला लिया करता था. दुकान पर काम करने वाले सभी कर्मचारियों को तोहफे दिया करता था.
खैर, एक हंसते खेलते परिवार की खुशियों पर ऐसा ग्रहण लगा कि आज पूरा परिवार कन्हैया की गैरमौजूदगी में दिवाली की रौशनी तले गमगीन है. कन्हैया की पत्नी जसोदा ने बताया कि पिछले 21 सालों से वह कन्हैया के साथ ही दिवाली का पर्व मनाते आ रही है. उसने बताया कि उसकी शादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि वो कन्हैया के बिना दिवाली को देख रही है. जसोदा ने कहा कि जिन लोगों ने मेरे पति की हत्या की, भगवान उनके कर्मों की उन्हें सजा जरूर देगा. हम आज केवल इस आस में बैठे है कि भला कब हत्यारों को फांसी होगी.
कभी कन्हैया मिठाई नहीं भूला: कन्हैया की पत्नी जसोदा बताती है कि उसका पति दिवाली के मौके पर हर साल ढेर सारी मिठाइयां लाया करता था. कन्हैया पूरे दिन दुकान पर कपड़े सिलता था, क्योंकि इस दौरान बड़ी संख्या में ऑर्डर मिलते थे. लेकिन रात को दुकान से घर लौटते वक्त ढेर सारी मिठाइयों के पैकेट लाया करता था.
कन्हैया के बेटे ने लिया ये संकल्प: कन्हैया की पत्नी ने बताया कि उसके बेटे यश ने पिता की मौत के बाद से ही नंगे पैर रहने का संकल्प लिया है. बेटे यश को नंगे पैर रहते देख बहुत दुख होता है, क्योंकि चिलचिलाती धूप में नंगे पैर चलने से कभी पैरों में कांच तो कभी पत्थर धस जाते हैं.
हत्यारों को जेल में ना पढ़ाया जाए महापुरुषों बारे में... हाल ही में कन्हैया के हत्यारों को अजमेर सेंट्रल जेल में महापुरुषों की जीवन कथा पढ़कर सुनाने के वाकया पर कन्हैया के बेटे ने एतराज जताया था. कन्हैया के बेटे ने कहा था कि जिस तरह से हत्यारों ने उसके पिता की निर्मम तरीके से हत्या की है, उसे देखते हुए इनके साथ भी सख्त रवैया अख्तियार किया जाना चाहिए ना कि महापुरुषों के बारे में बताना व पढ़ाना चाहिए.