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Shardiya Navratri 2022 : यहां माता करतीं हैं अग्नि स्नान, रोग-दोष से मिलती है मुक्ति...

नवरात्रि के नौ दिन माता रानी के नौ स्वरूपों की अराधना की (Udaipur Idana Mata temple) जाती है. राजस्थान सहित देश के अन्य स्थानों पर माता के चमत्कारी मंदिर हैं, जहां देश-विदेश से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. इन्हीं में एक है उदयपुर का ईडाणा माता मंदिर जहां माता स्वयं अग्नि स्नान करतीं हैं. इस अग्नि में चुनरी, धागे और वहां मौजूद सबकुछ जलकर भस्म हो जाता है, लेकिन माता की प्रतिमा को कोई क्षति नहीं पहुंचती है. जानिए महारानी के इस अनोखे रूप की कहानी...

Goddess takes fire bath in Udaipur
माता रानी अग्नि स्नान करतीं हैं
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Published : Oct 3, 2022, 6:07 PM IST

उदयपुर. प्रदेश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ दुर्गा अष्टमी का पर्व (Shardiya Navratri 2022) मनाया जा रहा है. इस दौरान माता रानी के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. राजस्थान के उदयपुर जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर ईडाणा माता का मंदिर है. इन्हें मेवल की महारानी के नाम से भी जाना जाता है. यह दुनिया का एकमात्र ऐसा माता रानी का मंदिर है, जहां मां स्वयं अग्नि स्नान करतीं हैं. माना जाता है कि माता के दर्शन से ही भक्तों को रोग-दोष से मुक्ति मिल जाती है. मेवाड़ के शक्तिपीठों में से एक ईडाणा माता के इस मंदिर में अग्नि स्नान को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

नवरात्रि पर्व पर देश-दुनिया से बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता रानी के दर्शन के लिए पहुंच (Udaipur Idana Mata temple) रहे हैं. माना जाता है कि माता के दरबार में बीमारियों से ग्रसित लोग बिल्कुल स्वस्थ्य होकर हंसी-खुशी अपने घर लौटते हैं. भक्तों ने बताया कि ईडाणा माता का ये मंदिर करीब 5 हजार साल पुराना है. इन वर्षों में माता को लेकर स्थानीय और दूर-दराज के लोगों में भी आस्था बढ़ती चली गई.

यहां माता करतीं हैं अग्नि स्नान

मंदिर की मान्यता : ऐसा माना जाता है कि ईडाणा माता एक बरगद पेड़ के नीचे प्रकट हुईं थीं. कालांतर में क्षेत्र से गुजर रहे एक संत को स्वयं माता रानी ने एक कन्या के रूप में दर्शन देते हुए वहीं रहने का निवेदन किया. इस पर संत ने खूब भक्ति आराधना के साथ उनकी पूजा की. कुछ ही दिनों में यहां अलग-अलग चमत्कार होने लगे. माता के चमत्कार के कारण नेत्रहीनों को दिखाई देने लगा, लकवाग्रस्त लोग ठीक होने लगे, निःसंतानों को औलाद होने लगे. इस तरह धीरे-धीरे माता रानी की मान्यता देश-दुनिया में बढ़ने लगी. यहां भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने से मंदिर का प्रचार-प्रसार भी फैलने लगा. अब गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, अन्य राज्यों के अलावा देश के कोने-कोने से भक्त आने लगे.

पढ़ें. अरावली की पहाड़ियों में बसा अनोखा मंदिर, यहां माता करती हैं अग्नि स्नान...रोचक है कारण

दुनिया का एकमात्र मंदिर जहां माता अग्नि स्नान करतीं हैं : देश-दुनिया का ये एकमात्र मंदिर (Goddess takes fire bath in Udaipur) है, जहां माता रानी स्वयं अपने मंदिर में अग्नि स्नान करतीं हैं. भक्तों ने बताया कि माता रानी के ऊपर भार होते ही माता अग्नि स्नान कर लेती हैं. इस दौरान माता को चुनरी आदि का चढ़ावा चढ़ाया जाता है. अग्नि स्नान में चढ़ावे के साथ सब कुछ भस्म हो जाता है. वहीं, अग्नि नजदीक के बरगद के पेड़ को भी चपेट में ले लेती है. लेकिन माता रानी की मूर्ति पर इस अग्नि स्नान से कोई असर नहीं होता. अग्नि स्नान के बाद भी माता की मूर्ति बिल्कुल सही सलामत रहती है. दूसरी तरफ माता के समीप अखंड ज्योत भी निरंतर जलती रहती है.

अग्नि स्नान का कोई समय तय नहीं : खास बात ये है कि, इस अग्नि स्नान का कोई समय या तिथि तय (miracle in Idana Mata Temple in Rajasthan) नहीं है. माताजी के अग्नि स्नान के दर्शन करने वाले श्रद्धालु अपने आप को बेहद भाग्यशाली मानते हैं. माताजी अग्नि स्नान करती हैं तो सारा श्रृंगार जलकर भस्म हो जाता है. लेकिन माता की प्रतिमा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. माता स्वयं ज्वाला का रूप ले लेतीं हैं. आग की लपटें 10 से 20 फीट तक ऊंची उठती हैं. माता के अग्नि स्नान के बाद उनका नया श्रृंगार किया जाता है. अग्नि स्नान की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में आस-पड़ोस गांव के लोग दर्शन के लिए दौड़े आते हैं.

पढ़ें. Amer Shila Mata Mandir: यहां पर है माता की तांत्रिक और जागृत प्रतिमा, बंगाल से है खास कनेक्शन!

बीमारियों से ग्रसित लोग होते हैं रोग मुक्त : ईडाणा माता के दर्शन के लिए देश-दुनिया से लोग पहुंचते हैं. इसके साथ ही विभिन्न रोगों से ग्रस्त मरीजों को भी यहां पर लाया जाता है. मान्यता है कि ऐसे लोग यहां से ठीक होकर वापस अपने घर लौटते हैं. इस दौरान पीड़ितों के भोजन और रहने का इंतजाम मंदिर करता है. अंबालाल शर्मा ईडाणा माता सचिव ने बताया कि यह बहुत प्राचीन मंदिर है. यहां अलग-अलग बीमारियों से ग्रसित लोग आते हैं और माता रानी की भक्ति से उनके सभी रोग-दोष दूर होते हैं. यहां मनोकामनाएं पूरी होने के बाद भक्त माता रानी को त्रिशूल चढ़ाया करते हैं.

मंदिर के पुजारी चंपालाल ने बताया कि उदयपुर से 60 किलोमीटर दूर बंबोरा होकर मंदिर पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा उदयपुर से रामेश्वर महादेव मार्ग पर गिंगला होकर ईडाणा पहुंचा जाता है. इसके अलावा सलूंबर से लूदो होकर मंदिर पहुंचते हैं. इसके अलावा लसाड़िया माता के मंदिर जाने का मार्ग है. पंडित चंपालाल ने बताया कि माता रानी की प्रात 5 बजे और संध्या 6:30 बजे आरती की जाती है. नवरात्रि के इस पर्व पर 9 दिनों तक यज्ञशाला में माता का पाठ और यज्ञ किया जाता है. इसमें पंडित मां की विधि विधान से पूजा-अर्चना करते हैं. इस दौरान माता को विशेष भोग चढ़ाया जाता है.

उदयपुर. प्रदेश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ दुर्गा अष्टमी का पर्व (Shardiya Navratri 2022) मनाया जा रहा है. इस दौरान माता रानी के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. राजस्थान के उदयपुर जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर ईडाणा माता का मंदिर है. इन्हें मेवल की महारानी के नाम से भी जाना जाता है. यह दुनिया का एकमात्र ऐसा माता रानी का मंदिर है, जहां मां स्वयं अग्नि स्नान करतीं हैं. माना जाता है कि माता के दर्शन से ही भक्तों को रोग-दोष से मुक्ति मिल जाती है. मेवाड़ के शक्तिपीठों में से एक ईडाणा माता के इस मंदिर में अग्नि स्नान को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

नवरात्रि पर्व पर देश-दुनिया से बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता रानी के दर्शन के लिए पहुंच (Udaipur Idana Mata temple) रहे हैं. माना जाता है कि माता के दरबार में बीमारियों से ग्रसित लोग बिल्कुल स्वस्थ्य होकर हंसी-खुशी अपने घर लौटते हैं. भक्तों ने बताया कि ईडाणा माता का ये मंदिर करीब 5 हजार साल पुराना है. इन वर्षों में माता को लेकर स्थानीय और दूर-दराज के लोगों में भी आस्था बढ़ती चली गई.

यहां माता करतीं हैं अग्नि स्नान

मंदिर की मान्यता : ऐसा माना जाता है कि ईडाणा माता एक बरगद पेड़ के नीचे प्रकट हुईं थीं. कालांतर में क्षेत्र से गुजर रहे एक संत को स्वयं माता रानी ने एक कन्या के रूप में दर्शन देते हुए वहीं रहने का निवेदन किया. इस पर संत ने खूब भक्ति आराधना के साथ उनकी पूजा की. कुछ ही दिनों में यहां अलग-अलग चमत्कार होने लगे. माता के चमत्कार के कारण नेत्रहीनों को दिखाई देने लगा, लकवाग्रस्त लोग ठीक होने लगे, निःसंतानों को औलाद होने लगे. इस तरह धीरे-धीरे माता रानी की मान्यता देश-दुनिया में बढ़ने लगी. यहां भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने से मंदिर का प्रचार-प्रसार भी फैलने लगा. अब गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, अन्य राज्यों के अलावा देश के कोने-कोने से भक्त आने लगे.

पढ़ें. अरावली की पहाड़ियों में बसा अनोखा मंदिर, यहां माता करती हैं अग्नि स्नान...रोचक है कारण

दुनिया का एकमात्र मंदिर जहां माता अग्नि स्नान करतीं हैं : देश-दुनिया का ये एकमात्र मंदिर (Goddess takes fire bath in Udaipur) है, जहां माता रानी स्वयं अपने मंदिर में अग्नि स्नान करतीं हैं. भक्तों ने बताया कि माता रानी के ऊपर भार होते ही माता अग्नि स्नान कर लेती हैं. इस दौरान माता को चुनरी आदि का चढ़ावा चढ़ाया जाता है. अग्नि स्नान में चढ़ावे के साथ सब कुछ भस्म हो जाता है. वहीं, अग्नि नजदीक के बरगद के पेड़ को भी चपेट में ले लेती है. लेकिन माता रानी की मूर्ति पर इस अग्नि स्नान से कोई असर नहीं होता. अग्नि स्नान के बाद भी माता की मूर्ति बिल्कुल सही सलामत रहती है. दूसरी तरफ माता के समीप अखंड ज्योत भी निरंतर जलती रहती है.

अग्नि स्नान का कोई समय तय नहीं : खास बात ये है कि, इस अग्नि स्नान का कोई समय या तिथि तय (miracle in Idana Mata Temple in Rajasthan) नहीं है. माताजी के अग्नि स्नान के दर्शन करने वाले श्रद्धालु अपने आप को बेहद भाग्यशाली मानते हैं. माताजी अग्नि स्नान करती हैं तो सारा श्रृंगार जलकर भस्म हो जाता है. लेकिन माता की प्रतिमा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. माता स्वयं ज्वाला का रूप ले लेतीं हैं. आग की लपटें 10 से 20 फीट तक ऊंची उठती हैं. माता के अग्नि स्नान के बाद उनका नया श्रृंगार किया जाता है. अग्नि स्नान की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में आस-पड़ोस गांव के लोग दर्शन के लिए दौड़े आते हैं.

पढ़ें. Amer Shila Mata Mandir: यहां पर है माता की तांत्रिक और जागृत प्रतिमा, बंगाल से है खास कनेक्शन!

बीमारियों से ग्रसित लोग होते हैं रोग मुक्त : ईडाणा माता के दर्शन के लिए देश-दुनिया से लोग पहुंचते हैं. इसके साथ ही विभिन्न रोगों से ग्रस्त मरीजों को भी यहां पर लाया जाता है. मान्यता है कि ऐसे लोग यहां से ठीक होकर वापस अपने घर लौटते हैं. इस दौरान पीड़ितों के भोजन और रहने का इंतजाम मंदिर करता है. अंबालाल शर्मा ईडाणा माता सचिव ने बताया कि यह बहुत प्राचीन मंदिर है. यहां अलग-अलग बीमारियों से ग्रसित लोग आते हैं और माता रानी की भक्ति से उनके सभी रोग-दोष दूर होते हैं. यहां मनोकामनाएं पूरी होने के बाद भक्त माता रानी को त्रिशूल चढ़ाया करते हैं.

मंदिर के पुजारी चंपालाल ने बताया कि उदयपुर से 60 किलोमीटर दूर बंबोरा होकर मंदिर पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा उदयपुर से रामेश्वर महादेव मार्ग पर गिंगला होकर ईडाणा पहुंचा जाता है. इसके अलावा सलूंबर से लूदो होकर मंदिर पहुंचते हैं. इसके अलावा लसाड़िया माता के मंदिर जाने का मार्ग है. पंडित चंपालाल ने बताया कि माता रानी की प्रात 5 बजे और संध्या 6:30 बजे आरती की जाती है. नवरात्रि के इस पर्व पर 9 दिनों तक यज्ञशाला में माता का पाठ और यज्ञ किया जाता है. इसमें पंडित मां की विधि विधान से पूजा-अर्चना करते हैं. इस दौरान माता को विशेष भोग चढ़ाया जाता है.

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