उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर में दो दिवसीय विश्व प्रसिद्ध हरियाली अमावस्या का मेला का सोमवार से आगाज हुआ. पहले दिन बड़ी संख्या में महिलाएं-पुरुष, बच्चे मेले में आनंद लेते हुए नजर आए. मंगलवार को यह मेला सिर्फ महिलाओं के लिए आयोजित होगा. हरियाली अमावस्या के दिन मानसून भी मेहरबान नजर आया. रिमझिम बारिश के बीच उदयपुर का खूबसूरत फतेहसागर भी लबालब है. लोगों ने बारिश की बूंदों के साथ अलग-अलग व्यंजनों का लुत्फ लिया.
पहले दिन लोगों ने की जमकर खरीदारी : हरियाली अमावस्या पर उदयपुर में आयोजित हुए मेले के पहले दिन लोगों ने बढ़चढ़ खरीदारी की. साथ ही अलग-अलग व्यंजनों का भी आनंद लिया. महिलाओं ने घर से जुड़े सामान खरीदे तो बच्चों ने भी खिलौनों के साथ चकरी, झूले का आनंद लिया. हरियाली अमावस्या के मौके पर सोमवार को लेकसिटी उदयपुर में सहेलियों की बाड़ी से फतेहसागर झील तक विशाल मेला भरा. पिछले 125 सालों से चले आ रहे इस मेले में पहले दिन सभी की एंट्री होती है, जबकि दूसरे दिन पुरुषों की 'नो एंट्री' होगी.
सुबह से ही दिखी मेले की रंगत : नगर निगम में मिली जानकारी के अनुसार सहेलियों की बाड़ी में लगे इस मेले में करीब 700 अधिक दुकानें, जबकि 9 छोटे-बड़े झूले लगाए गए हैं. ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में महिलाएं इस मेले में शामिल होने के लिए पहुंच रही हैं. सुखाड़िया सर्किल सहेलियों की बाड़ी यूआईटी चौराहे से लेकर फतेहसागर तक सुबह से ही मेले की रंगत देखने को मिल रही है.
फतेहसागर के भी खोले गए चारों गेट : मानसून के दौर में उदयपुर का फतेहसागर भी लबालब हो गया. फतेहसागर के ओवरफ्लो होने पर चारों गेट खोले गए हैं. बड़ी संख्या में लोग सेल्फी खिंचवाने के लिए यहां पहुंच रहे हैं. साथ ही इस रमणीय दृश्य का आनंद ले रहे हैं. हालांकि, मेले में सुरक्षा की दृष्टि से माकूल व्यवस्था की गई है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान तैनात किए गए. वरिष्ठ पुलिस के अधिकारी लगातार गश्त के साथ नगर निगम के अधिकारी भी मेले का जायजा ले रहे थे.
महाराणा फतह सिंह ने की थी शुरुआत : इस ऐतिहासिक मेले की शुरुआत महाराणा फतह सिंह के कार्यकाल में सन 1898 में हुई थी. मेवाड़ में पहली बार महिलाओं के लिए विशेष मेला भरना शुरू हुआ था. इतिहासकार श्रीकृष्ण जुगनू ने बताया कि उदयपुर में महिलाओं के लिए हर साल हरियाली अमावस्या के दूसरे दिन भव्य मेला लगता है. पहले इसे दिवाली तालाब कहा जाता था, जिसके बाद इसे फतेहसागर नाम दिया गया.
दूसरा दिन केवल महिलाओं के लिए : पहली बार भरे फतेहसागर मेले को देखने के लिए महाराणा फतह सिंह चावड़ी रानी के साथ पहुंचे थे, जहां पूरे नगर को मुनादी कर बुलाया गया और मेले के रूप में बड़ा जश्न मनाया गया. इस दौरान रानी ने दूसरे दिन सिर्फ महिलाओं के लिए मेला भरने की इच्छा जताई. इस पर फतह सिंह ने इस विशेष मेले की घोषणा की. तब से हरियाली अमावस्या पर लगने वाले दो दिवसीय मेले का दूसरा दिन केवल महिलाओं के लिए आयोजित होता है.