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मेवाड़ संभाग का सबसे बड़े सरकारी अस्पताल कभी भी बन सकता है लाक्षागृह, देखें Exclusive रिपोर्ट

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Published : Feb 22, 2019, 12:12 AM IST

महाराणा भूपाल अस्पताल के हालात अब मरीजों के साथ ही डॉक्टर और वहां काम करने वाले अधिकारी कर्मचारियों की जान के दुश्मन बन गए हैं. क्योंकि अस्पताल में लंबे समय से फायर फाइटिंग सिस्टम फेल है.

महाराणा भूपाल अस्पताल

उदयपुर. मेवाड़ संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल किसी भी समय लाक्षागृह बन सकता है. जिस अस्पताल में प्रतिदिन सैंकड़ों मरीज अपनी जान बचाने और उपचार के लिए आते हैं वही अस्पताल मरीजों की जान पर कब खतरा बन जाए कुछ नहीं कहा जा सकता. चौंकाने वाली बात ये है कि अस्पताल प्रशासन इन जोखिमों को जानते हुए भी अनजान बन रहा है.

वीडियो

लेकिन निर्माण के बावजूद बीते 4 साल में यह पंप हाउस कभी भी शुरू नहीं हो पाया है. जिसके चलते यहां लगाए गए करोड़ों रुपए खर्च कर लगाए गए संसाधन धूल फांकते नजर आ रहे हैं. इससे भी बड़ी बात यह है कि पंप हाउस का बिजली भी अभी तक दुरुस्त नहीं किया गया. ऐसे में कभी कोई अनचाहा हादसा होता है तो इसके गंभीर परिणाम जान-माल की हाने की साथ चुकाने पड़ सकते हैं.

इस पूरे मामले पर जब उदयपुर के चीफ फायर ऑफिसर से बात की गई तो उन्होंने खुद स्वीकार किया कि आग लगने की स्थिति में वहां संसाधनों की कमी मरीजों और काम करने वाले लोगों की जान पर भारी पड़ सकती है. और इसे जल्द से जल्द दुरुस्त करने की जरूरत है. वहीं अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर लाखन पोसवाल का कहना है कि पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की लापरवाही के चलते अस्पताल में इतनी बड़ी खामी सामने आई है. इसे जल्द ही दुरुस्त किया जाएगा.

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अस्पताल अधीक्षक फायर फायटिंग सिस्टम को जल्द दुरस्त करने और दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात तो स्वीकार करते हैं लेकिन सवाल ये है कि जो काम पिछले चार साल से आज दिन तक दुरस्त नहीं हो पाए हैं वो कब हो पाएंगे. क्या अस्पताल प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है. या फिर अपनी जिम्मेदारी से भागता हुआ नजर आ रहा है. प्रशासन की ये गंभीर लापरवाही कभी भी लाक्षागृह का रूप ले सकती है.

उदयपुर. मेवाड़ संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल किसी भी समय लाक्षागृह बन सकता है. जिस अस्पताल में प्रतिदिन सैंकड़ों मरीज अपनी जान बचाने और उपचार के लिए आते हैं वही अस्पताल मरीजों की जान पर कब खतरा बन जाए कुछ नहीं कहा जा सकता. चौंकाने वाली बात ये है कि अस्पताल प्रशासन इन जोखिमों को जानते हुए भी अनजान बन रहा है.

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लेकिन निर्माण के बावजूद बीते 4 साल में यह पंप हाउस कभी भी शुरू नहीं हो पाया है. जिसके चलते यहां लगाए गए करोड़ों रुपए खर्च कर लगाए गए संसाधन धूल फांकते नजर आ रहे हैं. इससे भी बड़ी बात यह है कि पंप हाउस का बिजली भी अभी तक दुरुस्त नहीं किया गया. ऐसे में कभी कोई अनचाहा हादसा होता है तो इसके गंभीर परिणाम जान-माल की हाने की साथ चुकाने पड़ सकते हैं.

इस पूरे मामले पर जब उदयपुर के चीफ फायर ऑफिसर से बात की गई तो उन्होंने खुद स्वीकार किया कि आग लगने की स्थिति में वहां संसाधनों की कमी मरीजों और काम करने वाले लोगों की जान पर भारी पड़ सकती है. और इसे जल्द से जल्द दुरुस्त करने की जरूरत है. वहीं अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर लाखन पोसवाल का कहना है कि पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की लापरवाही के चलते अस्पताल में इतनी बड़ी खामी सामने आई है. इसे जल्द ही दुरुस्त किया जाएगा.

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अस्पताल अधीक्षक फायर फायटिंग सिस्टम को जल्द दुरस्त करने और दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात तो स्वीकार करते हैं लेकिन सवाल ये है कि जो काम पिछले चार साल से आज दिन तक दुरस्त नहीं हो पाए हैं वो कब हो पाएंगे. क्या अस्पताल प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है. या फिर अपनी जिम्मेदारी से भागता हुआ नजर आ रहा है. प्रशासन की ये गंभीर लापरवाही कभी भी लाक्षागृह का रूप ले सकती है.

Intro:मेवाड़ संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में प्रतिदिन मरीज अपनी जान बचाने और उपचार के लिए आते हैं लेकिन संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में मरीजों की जान है जोखिम में है जी हां संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल कभी भी लाक्षागृह में तब्दील हो सकता है पेश है एक रिपोर्ट


Body:मेवाड़ संभाग में सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के हालात अब मरीजों के साथ ही डॉक्टर और वहां काम करने वाले अधिकारी कर्मचारियों की जान के दुश्मन बन गए हैं जी हां मेवाड़ संभाग के सबसे बड़े महाराणा भूपाल अस्पताल कभी भी मरीजों के लिए लाक्षागृह बन सकता है जी हां महाराणा भूपाल अस्पताल में किसी भी अनहोनी होने पर अस्पताल लाक्षागृह बन सकता है आपको बता दें कि अस्पताल में लंबे समय से फायर फाइटिंग सिस्टम को दुरुस्त नहीं किया गया जिसके चलते पूरे अस्पताल का फायर फाइटिंग सिस्टम फेल हो गया है यहां तक कि जब ईटीवी भारत की टीम ने जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की तो देखा कि अस्पताल में बनी सातों इमारत में किसी भी जगह फायर फाइटिंग सिस्टम से ना तो पानी निकला और ना ही इन के हालात ठीक लगे बल्कि अपनी जर्जर अवस्था में स्थापित सिस्टम खुद ही अपनी हकीकत की पोल खोल रहा था आपको बता दें कि अस्पताल प्रशासन द्वारा यहां 2014 में मेंटेनेंस के नाम पर जहां पानी की लाइन को तोड़ दिया गया था जिसके बाद पीडब्ल्यूडी ने आगजनी की घटना की सुरक्षा के तौर पर अस्पताल के मध्य ही एक वाटर टैंक का निर्माण किया यह निर्माण यह सोचकर किया गया था कि अस्पताल के किसी भी हिस्से में अगर कभी कोई आगजनी की घटना होगी तो यहां से पानी भेज वहां आग पर काबू पाया जाएगा लेकिन बीते 4 साल में यह पंप हाउस कभी भी शुरू नहीं हो पाया जिसके चलते यहां लगाए गए करोड़ों रुपए के संसाधन अब धूल फूंक रहे हैं यहां तक कि बीते 4 साल में पंप हाउस में बिजली के कनेक्शन तक को दुरुस्त नहीं किया गया और यह बनाए गए संसाधनों का उपयोग नहीं किया इस पूरे मामले पर जब उदयपुर के चीफ फायर ऑफिसर से बात की गई तो उनका कहना था कि महाराणा भूपाल अस्पताल में आग लगने की स्थिति में वहां संसाधनों की कमी मरीजों और काम करने वाले लोगों की जान का दुश्मन बन सकती है इसे जल्द से जल्द दुरुस्त करने की जरूरत है तो वही अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर लाखन पोसवाल का कहना है कि पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की लापरवाही के चलते अस्पताल में इतनी बड़ी खामी सामने आई है इसे जल्द ही दुरुस्त किया जाएगा और दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी


Conclusion:कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि प्रतिदिन 15000 से अधिक लोगों की जान को जोखिम में डाल लोगों की जान बचाने वाला उदयपुर का महाराणा भूपाल अस्पताल छोटी सी लापरवाही में कभी भी लाक्षागृह का रूप ले सकता है
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