उदयपुर. मेवाड़ संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल किसी भी समय लाक्षागृह बन सकता है. जिस अस्पताल में प्रतिदिन सैंकड़ों मरीज अपनी जान बचाने और उपचार के लिए आते हैं वही अस्पताल मरीजों की जान पर कब खतरा बन जाए कुछ नहीं कहा जा सकता. चौंकाने वाली बात ये है कि अस्पताल प्रशासन इन जोखिमों को जानते हुए भी अनजान बन रहा है.
लेकिन निर्माण के बावजूद बीते 4 साल में यह पंप हाउस कभी भी शुरू नहीं हो पाया है. जिसके चलते यहां लगाए गए करोड़ों रुपए खर्च कर लगाए गए संसाधन धूल फांकते नजर आ रहे हैं. इससे भी बड़ी बात यह है कि पंप हाउस का बिजली भी अभी तक दुरुस्त नहीं किया गया. ऐसे में कभी कोई अनचाहा हादसा होता है तो इसके गंभीर परिणाम जान-माल की हाने की साथ चुकाने पड़ सकते हैं.
इस पूरे मामले पर जब उदयपुर के चीफ फायर ऑफिसर से बात की गई तो उन्होंने खुद स्वीकार किया कि आग लगने की स्थिति में वहां संसाधनों की कमी मरीजों और काम करने वाले लोगों की जान पर भारी पड़ सकती है. और इसे जल्द से जल्द दुरुस्त करने की जरूरत है. वहीं अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर लाखन पोसवाल का कहना है कि पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की लापरवाही के चलते अस्पताल में इतनी बड़ी खामी सामने आई है. इसे जल्द ही दुरुस्त किया जाएगा.
अस्पताल अधीक्षक फायर फायटिंग सिस्टम को जल्द दुरस्त करने और दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात तो स्वीकार करते हैं लेकिन सवाल ये है कि जो काम पिछले चार साल से आज दिन तक दुरस्त नहीं हो पाए हैं वो कब हो पाएंगे. क्या अस्पताल प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है. या फिर अपनी जिम्मेदारी से भागता हुआ नजर आ रहा है. प्रशासन की ये गंभीर लापरवाही कभी भी लाक्षागृह का रूप ले सकती है.