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Famous Kite Flyer Abdul: एक डोर से उड़ाते हैं 1000 पतंगें, तीन पीढ़ियों से चला आ रहा हुनर

उदयपुर के अब्दुल कादिर ने पतंगबाजी में बड़ा मुकाम हासिल (Abdul Fly 1000 kites with one string) किया है. उन्होेंने एक डोर से हजार पतंगें उड़ाने के अनोखा विश्व रिकॉर्ड बनाया है. मकरसंक्रांति, निर्जला एकादशी व अन्य त्योहारों पर इनकी पतंगबाजी देखने वालों की भीड़ लगती है.

Famous Kite Flyer Abdul
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Published : Jan 11, 2023, 7:32 PM IST

पतंगबाज अब्दुल

उदयपुर. आसमान में एक साथ रंगबिरंगी ढेरों पतंगें उड़ते तो आपने देखी होंगी लेकिन क्या कभी एक डोर में एक साथ हजार पतंगें उड़ती देखीं हैं? जी हां, उदयपुर के एक पतंगबाज अपने इसी हुनर के लिए जाने जाते हैं. हम बात कर रहे हैं झीलों की नगरी उदयपुर के अब्दुल कादिर की जिन्होंने पतंगबाजी में खास मुकाम हासिल किया है.

अंतरराष्ट्रीय पतंगबाज अब्दुल कादिर ने एक डोर से 1,000 से अधिक पतंगें उड़ाने के साथ कई रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं. कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने पतंगों के माध्यम से जन जागरूकता का संदेश भी दिया है. पिछले 20 सालों से पतंगबाजी में अब्दुल कादिर ने कई रिकॉर्ड भी बनाए हैं. यही नहीं अब्दुल के परिवार में उनकी तीन पीढ़ियां पतंगबाजी के इस अद्भुत हुनर में पारंगत हैं. यही वजह है कि इनकी अनोखी पतंगबाजी देखने के लिए लोगों की भीड़ जुट गई है.

Famous Kite Flyer Abdul
अब्दुल के नाम कई रिकॉर्ड

पढ़ें. कंप्यूटर गर्ल वंशिका का कमाल, चंद सेकंड में बोल व लिख देती है अरबों के पहाड़े...CM से लेकर IAS तक हैरान

एक डोर में 1000 पतंग
सुनने में भले ही विश्वास न हो लेकिन उदयपुर के अब्दुल कादिर ने एक डोर में 1000 से भी अधिक पतंगें उड़ाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है. उनकी इस कला को देख कर लोग हैरत में पड़ जाते हैं. यही नहीं उन्होंने पतंगबाजी में सोशल मैसेज भी दिए हैं जिसमें पतंगों पर कोरोना प्रोटोकॉल की पालना करने, मास्क लगाने, कोरोना वैक्सीन जरूरी समेत तमाम स्लोगन लिखे हुए थे.

अंतरराष्ट्रीय पतंगबाज अब्दुल कादिर ने हर साल की तरह इस बार भी मकर सक्रांति के अवसर पर अनोखी पतंगबाजी का प्रदर्शन करेंगे.अब्दुल के अलावा परिवार की तीन पीढ़ियां इसी काम में लगी हैं.अब्दुल ने एक डोर पर एक हजार पतंगें उड़ाईं.इनमें विभिन्न साइज और डिजाइन की पतंगें शामिल थे इसके साथ ही पतंगबाजी के माध्यम से समाज में भाईचारे का संदेश भी दिया.

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अनोखी पतंगबाजी

पढ़ें. Women Wrestlers In Bharatpur: राजस्थान केसरी सुमन हैं कमाल, भारत केसरी जीतने वाली यूपी की बेटी भी बेमिसाल

2001 से पतंग उड़ाना शुरू किया
अब्दुल ने एक ही डोर से 1000 पतंगों को आसमान में उड़ाकर अद्भुत रिकॉर्ड बनाया है. इससे पहले उन्होंने 15 फीट के भालू की आकृति की पतंग, 45 फीट की छिपकली, तिरंगा, फाइटर प्लेन और तितली की आकृति की पतंगें भी उड़ाई हैं. उनके इस हुनर का हर कोई कायल है. अब्दुल ने बताया कि वे 2001 से पतंगबाजी कर रहे हैं. देश के कई राज्यों में हुई प्रतियोगिता में उन्होंने भाग लिया.

अब तक उन्होंने हैदराबाद, केरला, गोवा, चंडीगढ़, पंजाब में हुई कई पतंगबाजी की प्रतियोगिताओं में भाग लिया है. इनमें उन्हें सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय पतंगबाज के खिताब से भी नवाजा गया. उन्होंने कई पुरस्कार भी जीते हैं. हाल ही में गुजरात में आयोजित हो रहे जी-20 बैठक के उपलक्ष्य में पतंगबाजी महोत्सव में अब्दुल अपना हुनर दिखाएंगे. हाल में वह गुजरात में आयोजित पतंगबाजी प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए गए हैं.

अब्दुल की तीन पीढ़ियां कर रहीं पतंगबाजी
अब्दुल कादिर ने बताया कि उनके दादा, पिता को भी पतंगबाजी में महारत हासिल है. अब अब्दुल तीसरी पीढ़ी हैं जो इस कला में पारंगत हैं. उनके दादा नूर सां का पतंगबाजी में काफी नाम था. उन्होंने करीब 50 साल तक पतंगबाजी प्रतियोगिताओं में भाग लिया. अब्दुल कादिर ने बताया कि उनके पिता अब्दुल रशीद ने भी पतंगबाजी में देशभर में नाम कमाया. इसके बाद अब्दुल परिवार की इस कला को आगे बढ़ा रहे हैं. अब्दुल ने बताया कि पतंगबाजी का जुनून उनके दादा को था. फिर उन्हें देखकर पिता ने सीखा और अब यह उनके अंदर आ गया है. पूरा परिवार 50 सालों से इस पतंगबाजी की कला से जुड़ा हुआ है.

पढ़ें. Special : डिजिटलाइज हो रहा राजस्थानी फड़ आर्ट, ऐसे होगा 700 साल पुरानी कला का विस्तार...

इस तरह बनाते हैं पतंगें
अब्दुल ने बताया कि इन पतंगों को बनाने के लिए लकड़ी की कमान और कपड़े की सिलाई कर उसे बैलेंस बनाया जाता है. एक डोर पर इतनी सारी पतंगें उड़ने के पीछे खास तकनीक है. ऐसे में पतंग को उड़ाने के लिए ऊपर वाली लकड़ी पतली होनी चाहिए ताकि हवा में ऊंचाई मिल सके. जबकि सीधी लगने वाली लकड़ी मोटी होनी चाहिए जिससे हवा में संतुलन बना रहे.

इसके बाद रेशम की मजबूत डोर पर पतंगों को एक-एक फीट की दूरी पर बांधते हैं. इसके साथ ही इन्हें उड़ाने के लिए मध्यम गति की हवा चलना भी जरूरी है. इन पतंगों को अलग-अलग डिजाइन भी दी जाती है जिनमें उन पर आंख, मुंह की आकृति बनाकर आकर्षक बनाया जाता है. उन्होंने बताया कि इसे बनाने में करीब 15 दिन का समय लगता है.

पढ़ें. बीकानेर में बनती है लकड़ी की गणगौर, हाथों के हुनर से जीवंत हो उठती हैं प्रतिमाएं

पतंगबाजी से दे चुके हैं कई संदेश
उदयपुर के फतेहसागर झील के किनारे मकर सक्रांति, निर्जला एकादशी के अवसर पर पतंगबाजी की जाती है. अब्दुल कादिर ने पतंगबाजी के माध्यम से समाज को अलग-अलग संदेश भी दिए हैं. अब तक उन्होंने पतंगों के माध्यम से बेटी बचाओ, पर्यावरण बचाओ, पानी और झीलों को बचाने, कोरोना जन जागरूकता के साथ ही हिंदू मुस्लिम एकता का भी संदेश दिया गया.

इस तरह की अनोखी पतंगबाजी की शुरुआत
अब्दुल कादिर ने बताया कि उन्होंने पहली बार एक साथ 7 पतंगें उड़ाईं थीं. इसके बाद 100 पतंगें फिर 200 पतंगों का रिकॉर्ड बनाने के साथ एक डोर में 500 पतंगें उन्होंने उड़ाई थीं. पिछली बार उन्होंने एक डोर में 1000 पतंगें उड़ाकर हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दिया था.

जी-20 शेरपा बैठक के दौरान कुंभलगढ़ दुर्ग में उड़ाई पतंग
झीलों की नगरी उदयपुर में आयोजित जी-20 शेरपा बैठक के दौरान अब्दुल कादिर ने राजसमंद के कुंभलगढ़ दुर्ग में एक बार में एक साथ 600 पतंगें उड़ाई थीं. ऐसे में दुनिया भर से आए मेहमान जब कुंभलगढ़ दुर्ग देखने गए तो अब्दुल की पतंगबाजी देखकर काफी उत्साहित नजर आए. इस दौरान शहर शेरपा ने भी पतंगबाजी का लुफ्त उठाया. इन दिनों गुजरात में भारत सरकार की ओर से जी-20 को लेकर आयोजित बैठक में अब्दुल कादिर पतंगबाजी के माध्यम से जी-20 के लोगो को प्रमोट कर रहे हैं.

पतंगबाज अब्दुल

उदयपुर. आसमान में एक साथ रंगबिरंगी ढेरों पतंगें उड़ते तो आपने देखी होंगी लेकिन क्या कभी एक डोर में एक साथ हजार पतंगें उड़ती देखीं हैं? जी हां, उदयपुर के एक पतंगबाज अपने इसी हुनर के लिए जाने जाते हैं. हम बात कर रहे हैं झीलों की नगरी उदयपुर के अब्दुल कादिर की जिन्होंने पतंगबाजी में खास मुकाम हासिल किया है.

अंतरराष्ट्रीय पतंगबाज अब्दुल कादिर ने एक डोर से 1,000 से अधिक पतंगें उड़ाने के साथ कई रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं. कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने पतंगों के माध्यम से जन जागरूकता का संदेश भी दिया है. पिछले 20 सालों से पतंगबाजी में अब्दुल कादिर ने कई रिकॉर्ड भी बनाए हैं. यही नहीं अब्दुल के परिवार में उनकी तीन पीढ़ियां पतंगबाजी के इस अद्भुत हुनर में पारंगत हैं. यही वजह है कि इनकी अनोखी पतंगबाजी देखने के लिए लोगों की भीड़ जुट गई है.

Famous Kite Flyer Abdul
अब्दुल के नाम कई रिकॉर्ड

पढ़ें. कंप्यूटर गर्ल वंशिका का कमाल, चंद सेकंड में बोल व लिख देती है अरबों के पहाड़े...CM से लेकर IAS तक हैरान

एक डोर में 1000 पतंग
सुनने में भले ही विश्वास न हो लेकिन उदयपुर के अब्दुल कादिर ने एक डोर में 1000 से भी अधिक पतंगें उड़ाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है. उनकी इस कला को देख कर लोग हैरत में पड़ जाते हैं. यही नहीं उन्होंने पतंगबाजी में सोशल मैसेज भी दिए हैं जिसमें पतंगों पर कोरोना प्रोटोकॉल की पालना करने, मास्क लगाने, कोरोना वैक्सीन जरूरी समेत तमाम स्लोगन लिखे हुए थे.

अंतरराष्ट्रीय पतंगबाज अब्दुल कादिर ने हर साल की तरह इस बार भी मकर सक्रांति के अवसर पर अनोखी पतंगबाजी का प्रदर्शन करेंगे.अब्दुल के अलावा परिवार की तीन पीढ़ियां इसी काम में लगी हैं.अब्दुल ने एक डोर पर एक हजार पतंगें उड़ाईं.इनमें विभिन्न साइज और डिजाइन की पतंगें शामिल थे इसके साथ ही पतंगबाजी के माध्यम से समाज में भाईचारे का संदेश भी दिया.

Famous Kite Flyer Abdul
अनोखी पतंगबाजी

पढ़ें. Women Wrestlers In Bharatpur: राजस्थान केसरी सुमन हैं कमाल, भारत केसरी जीतने वाली यूपी की बेटी भी बेमिसाल

2001 से पतंग उड़ाना शुरू किया
अब्दुल ने एक ही डोर से 1000 पतंगों को आसमान में उड़ाकर अद्भुत रिकॉर्ड बनाया है. इससे पहले उन्होंने 15 फीट के भालू की आकृति की पतंग, 45 फीट की छिपकली, तिरंगा, फाइटर प्लेन और तितली की आकृति की पतंगें भी उड़ाई हैं. उनके इस हुनर का हर कोई कायल है. अब्दुल ने बताया कि वे 2001 से पतंगबाजी कर रहे हैं. देश के कई राज्यों में हुई प्रतियोगिता में उन्होंने भाग लिया.

अब तक उन्होंने हैदराबाद, केरला, गोवा, चंडीगढ़, पंजाब में हुई कई पतंगबाजी की प्रतियोगिताओं में भाग लिया है. इनमें उन्हें सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय पतंगबाज के खिताब से भी नवाजा गया. उन्होंने कई पुरस्कार भी जीते हैं. हाल ही में गुजरात में आयोजित हो रहे जी-20 बैठक के उपलक्ष्य में पतंगबाजी महोत्सव में अब्दुल अपना हुनर दिखाएंगे. हाल में वह गुजरात में आयोजित पतंगबाजी प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए गए हैं.

अब्दुल की तीन पीढ़ियां कर रहीं पतंगबाजी
अब्दुल कादिर ने बताया कि उनके दादा, पिता को भी पतंगबाजी में महारत हासिल है. अब अब्दुल तीसरी पीढ़ी हैं जो इस कला में पारंगत हैं. उनके दादा नूर सां का पतंगबाजी में काफी नाम था. उन्होंने करीब 50 साल तक पतंगबाजी प्रतियोगिताओं में भाग लिया. अब्दुल कादिर ने बताया कि उनके पिता अब्दुल रशीद ने भी पतंगबाजी में देशभर में नाम कमाया. इसके बाद अब्दुल परिवार की इस कला को आगे बढ़ा रहे हैं. अब्दुल ने बताया कि पतंगबाजी का जुनून उनके दादा को था. फिर उन्हें देखकर पिता ने सीखा और अब यह उनके अंदर आ गया है. पूरा परिवार 50 सालों से इस पतंगबाजी की कला से जुड़ा हुआ है.

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इस तरह बनाते हैं पतंगें
अब्दुल ने बताया कि इन पतंगों को बनाने के लिए लकड़ी की कमान और कपड़े की सिलाई कर उसे बैलेंस बनाया जाता है. एक डोर पर इतनी सारी पतंगें उड़ने के पीछे खास तकनीक है. ऐसे में पतंग को उड़ाने के लिए ऊपर वाली लकड़ी पतली होनी चाहिए ताकि हवा में ऊंचाई मिल सके. जबकि सीधी लगने वाली लकड़ी मोटी होनी चाहिए जिससे हवा में संतुलन बना रहे.

इसके बाद रेशम की मजबूत डोर पर पतंगों को एक-एक फीट की दूरी पर बांधते हैं. इसके साथ ही इन्हें उड़ाने के लिए मध्यम गति की हवा चलना भी जरूरी है. इन पतंगों को अलग-अलग डिजाइन भी दी जाती है जिनमें उन पर आंख, मुंह की आकृति बनाकर आकर्षक बनाया जाता है. उन्होंने बताया कि इसे बनाने में करीब 15 दिन का समय लगता है.

पढ़ें. बीकानेर में बनती है लकड़ी की गणगौर, हाथों के हुनर से जीवंत हो उठती हैं प्रतिमाएं

पतंगबाजी से दे चुके हैं कई संदेश
उदयपुर के फतेहसागर झील के किनारे मकर सक्रांति, निर्जला एकादशी के अवसर पर पतंगबाजी की जाती है. अब्दुल कादिर ने पतंगबाजी के माध्यम से समाज को अलग-अलग संदेश भी दिए हैं. अब तक उन्होंने पतंगों के माध्यम से बेटी बचाओ, पर्यावरण बचाओ, पानी और झीलों को बचाने, कोरोना जन जागरूकता के साथ ही हिंदू मुस्लिम एकता का भी संदेश दिया गया.

इस तरह की अनोखी पतंगबाजी की शुरुआत
अब्दुल कादिर ने बताया कि उन्होंने पहली बार एक साथ 7 पतंगें उड़ाईं थीं. इसके बाद 100 पतंगें फिर 200 पतंगों का रिकॉर्ड बनाने के साथ एक डोर में 500 पतंगें उन्होंने उड़ाई थीं. पिछली बार उन्होंने एक डोर में 1000 पतंगें उड़ाकर हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दिया था.

जी-20 शेरपा बैठक के दौरान कुंभलगढ़ दुर्ग में उड़ाई पतंग
झीलों की नगरी उदयपुर में आयोजित जी-20 शेरपा बैठक के दौरान अब्दुल कादिर ने राजसमंद के कुंभलगढ़ दुर्ग में एक बार में एक साथ 600 पतंगें उड़ाई थीं. ऐसे में दुनिया भर से आए मेहमान जब कुंभलगढ़ दुर्ग देखने गए तो अब्दुल की पतंगबाजी देखकर काफी उत्साहित नजर आए. इस दौरान शहर शेरपा ने भी पतंगबाजी का लुफ्त उठाया. इन दिनों गुजरात में भारत सरकार की ओर से जी-20 को लेकर आयोजित बैठक में अब्दुल कादिर पतंगबाजी के माध्यम से जी-20 के लोगो को प्रमोट कर रहे हैं.

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