उदयपुर. झीलों की नगरी में लोक संस्कृति के अनूठे पर्व शिल्पग्राम उत्सव का आगाज बुधवार को हुआ. पश्चिमी सांस्कृतिक केंद्र की ओर से 21 से 30 दिसंबर तक शिल्पग्राम महोत्सव आयोजित किया जा रहा है. प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र ने पारंपरिक नगाड़ा बजाकर एवं दीप प्रज्जवलित कर इस उत्सव का शुभारंभ किया.
समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने सभी अतिथियों का स्वागत कर कहा कि शिल्पग्राम जीवन से जुड़ी उत्सवधर्मिता का त्योहार है. भारतीय संस्कृति जीवन से जुड़े संस्कारों से ही प्रत्यक्षतः जुड़ी हुई है. जीवन से जुड़े जो संस्कार हैं, उनसे ही कला उपजती रही है. उन्होंने कहा कि यहां जो स्टॉल लगाए हैं, उनको देखकर यह अनुभूत होता है कि परम्पराओं को कैसे कलाकारों ने अपने शिल्प, चित्रकला और अन्य कलाओं में उकेरा है.
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राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करती है. यह सारा विश्व हमारा परिवार है. इसलिए सर्वे भवन्तु सुखिन के भावों से हमारी संस्कृति ओतप्रोत है. हमारे यहां शिल्प शास्त्रों में विविध प्रकार की कलाओं तथा हस्तशिल्पों का विशद् विवेचन किया गया है. शिल्प के अंतर्गत विभिन्न प्रकार से जुड़े हस्तशिल्प, डिजाइन और उनसे जुड़े सिद्धान्तों को वर्णित किया गया है. राज्यपाल मिश्र ने कहा कि उदयपुर का यह शिल्पग्राम देशभर में विख्यात है. सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पर राजस्थान, गोवा, गुजरात और महाराष्ट्र की ग्रामीण और स्वदेशी संस्कृति एक साथ अनुभूत की जा सकती है. इन सभी राज्यों के विभिन्न जातीय समुदायों की संस्कृति, उनकी जीवनशैली और परंपराओं को यहां झोपड़ियों में दर्शाया गया है.
राज्यपाल ने कहा कि शिल्पग्राम उत्सव में 400 शिल्पकार और 700 लोक कलाकार भाग ले रहे हैं. इन सबके पास कलाओं का अनमोल खजाना है. उन्होंने कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि शिल्पग्राम में बेणेश्वर धाम के संत मावजी महाराज के चोपड़ों में समाहित चित्रों का छायांकन कर प्रलेखन किया गया है. यह हमारी धरोहर है. इस धरोहर का संग्रहण और संरक्षण सराहनीय कार्य है.
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सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मन मोहा : शिल्पग्राम उत्सव के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य रंगमंच पर 'समागम' के आयोजन के अंतर्गत 9 राज्यों के सवा दो सौ कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया. कार्यक्रम की शुरुआत प्रोलोग से हुई जिसमें दीपों से उत्सव का प्रकाश फैलाया. इसके बाद पश्चिम बंगाल के श्री खोल नृत्य का कार्यक्रम हुआ. इसके बाद जम्मू कश्मीर रॉफ, असम का बोडई शिखला, उड़ीसा को गोटीपुआ, महाराष्ट्र का लावणी, गोवा का समई, झारखण्ड का छऊ, गुजरात का डांग और पंजाब के भांगड़े की प्रस्तुतियां सम्मोहक रहीं. अंत में समस्त प्रतिभागियों ने एक साथ 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की थीम पर आकर्षक सामूहिक नृत्य प्रस्तुति दी. कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ.
केंद्र के निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने बताया कि इस बार बाहर से आए कलाकारों (Shilpgram Festival in Udaipur) और व्यापारियों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. राष्ट्रीय स्तर के इस उत्सव के लिए विभिन्न राज्यों के कलाकार व शिल्पकार यहां पहुंचने लगे हैं. उत्सव में देश के कई हिस्सों के कलाकार भाग लेंगे. उत्सव के दौरान आगंतुकों के लिए दिन में बंजारा, रंगमंच व थड़ों पर कार्यक्रम होंगे. वहीं रोजाना शाम 6 बजे से रंगमंच पर कार्यक्रम आयोजित होंगे.
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मेले में विभिन्न किस्म के बाजार (Shilpgram Festival in Udaipur Programs) लगाए गए हैं. इनमें धातु शिल्प, चर्म शिल्प, काष्ठ शिल्प, वस्त्र संसार, अलंकार आदि प्रमुख हैं. शिल्पग्राम में आम जनता के लिए एक तरफा यातायात रहेगा. चार पहिया वाहनों का प्रवेश बड़ी मार्ग से होगा जबकि दुपहिया वाहन रानी रोड से प्रवेश करेंगे.
उत्सव में असम का ढाल थुंगड़ी, छत्तीसगढ़ का कर्मा नृत्य, गोवा का समई नृत्य, पश्चिम बंगाल का खोल वादन, पंजाग का भांगड़ा, गुजरात का डांग, महाराष्ट्र का लावणी व कोली, सिलवास का मास्क नृत्य, भवाड़ा कश्मीर का रौफ की प्रस्तुति देखने को मिलेगी. इसके साथ ही राजस्थान का घूमर, पश्चिम बंगाल का छऊ, ओडिशा का गोटीपुवा, गुजरात का गरबा व राजस्थान के गैर नृत्य की प्रस्तुतियां पहले दो दिन तक देखने को मिलेंगी. उत्सव के लिए रंगमंच को जैसलमेर की पटवों की हवेली के आवक्ष रूप में सुसज्ज्ति किया जा रहा है.
देश के अलग-अलग राज्यों से आए शिल्पकार और कलाकारों ने (Artists of Various States in Shilpgram Festival) बताया कि पिछले 2 साल तक कोरोना के दौरान काफी समस्याएं झेलनी पड़ी. लेकिन अब उम्मीद है कि इस बार उत्सव के दौरान मार्केट अच्छा रहेगा. क्योंकि शिल्पग्राम महोत्सव के बीच क्रिसमस और न्यू ईयर सेलिब्रेट करने के लिए देश-विदेश से सैलानी पहुंचेंगे.
अलग-अलग राज्यों की दुकानें लगी : इस बार सर्दी को देखते हुए ऊनी वस्त्र ज्यादातर देखने को मिल रहे हैं. इसमें हिमाचल, जम्मू कश्मीर, लद्दाख और अलग-अलग राज्यों से आए व्यापारियों ने दुकानें लगाई हैं. खास करके इस बार मफलर, स्वेटर की अलग-अलग क्वालिटी देखने को मिल रही है.
33 साल पुराना है ये गांव : शिल्पग्राम नामक इस गांव की स्थापना 1989 में यानी 33 साल पहले हुई थी. यहां देश के प्रमुख राज्यों की संस्कृति दिखाई गई है. यही नहीं यहां उन्हीं राज्यों के कलाकार भी रहते हैं. जिन्हें केंद्र सरकार की ओर से वेतन भी दिया जाता है. गुजरात, गोवा, महाराष्ट्र, नागालैंड, राजस्थान, झारखंड, असम सहित कश्मीर के भी कलाकार यहां आए हैं. जो अपनी प्रस्तुति देंगे.