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खेती और हथकरघा हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़, अब होगा लोकल-टू-ग्लोबल का सपना सच : पूर्व मंत्री सैनी

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Published : Oct 7, 2020, 4:02 PM IST

टोंक के देवली में कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस प्रशिक्षण में 20 बुनकरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. ये प्रशिक्षण 06 अक्टूबर 2020 से 20 नवंबर 2020 तक चलेगा.

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कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

देवली (टोंक). उपखंड के आंवा गांव में भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा संचालित समर्थ योजना के अंतर्गत कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह आयोजन आचार्य विद्यासागर हथकरघा प्रशिक्षण और उत्पादन सहकारी समिति आंवा में किया गया.

कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व कृषि मंत्री डॉ. प्रभुलाल सैनी रहे. इस दौरान उन्होंने कहा कि खेती और हथकरघा देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था को सर्वाधिक मजबूती, इन्हीं के द्वारा प्रदान की जाती है. पिछले एक दशक में जिस आर्थिक संकट ने दुनिया को घेरा है, उसने सभी विकसित देशों को विकेंद्रीकरण अर्थव्यवस्था की ओर आकर्षित किया है.

पढ़ेंः कांग्रेस विधायक त्रिवेदी के निधन पर राजस्थान में शोक की लहर...पिता से मिली थी राजनीतिक विरासत

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में स्थानीय खपत के लिए स्थानीय उत्पादन की बहुत आवश्यकता है. इसी से हम प्रधानमंत्री के विजन लोकल टू ग्लोबल को प्राप्त कर सकते हैं. हथकरघा के द्वारा बने वस्त्र हस्तचालित मशीनों द्वारा निर्मित होते है. जिसमें किसी प्रकार की पानी और बिजली की आवश्यकता नहीं होती. डॉ. सैनी ने लगातार हथकरघा परिवार की घटती संख्या को चिंता का विषय बताया. उन्होंने बताया कि वर्ष 1995-96 में जहां बुनकरों की संख्या 65.51 लाख थी. वहीं, हथकरघा जनगणना 2019 -20 के अनुसार इनकी लगभग 31.44 लाख रह गई.

सैनी ने कहा कि सरकार द्वारा युवाओं को स्टार्टअप शुरू करने के लिए अनेक प्रकार की सहायता दी जाती है. इसलिए युवाओं को बढ़-चढ़कर इस प्रकार के स्टार्टअप शुरू करने चाहिए. आंवा सरपंच दिव्यांश महेंद्र भारद्वाज ने बताया कि अगर गांव का विकास करना है, तो इस प्रकार के लघु कुटीर उद्योग स्थापित करना अति आवश्यक है.

बुनकर सेवा केंद्र के डिप्टी डायरेक्टर तपन शर्मा ने बताया कि सरकार बुनकरों के उन्नयन के लिए लगातार प्रयासरत है. साथ ही कई प्रकार की ऐसी योजनाएं है, जिसके माध्यम से बुनकर अपना स्वरोजगार स्थापित कर सकते है. आचार्य विद्यासागर हतकरघा प्रशिक्षण और उत्पादन सहकारी समिति के अध्यक्ष आशीष जैन ने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री के टोंक आगमन पर उन्हें आंवा हतकरघा से बना दुपट्टा ओढा कर स्वागत किया गया था.

पढ़ेंः ब्यूरोक्रेसी विवाद ! ऊर्जा विभाग के CMD का तबादला हुआ तो लगा दी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, CS ने देर रात की नामंजूर

इस प्रशिक्षण में 20 बुनकरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. ये प्रशिक्षण 06 अक्टूबर 2020 से 20 नवंबर 2020 तक चलेगा. इसमें बुनकरों को विभिन्न तरह के प्रशिक्षण दिया जाएगा. जिसमें जूट के बैग बनाना और कुशन कवर, पर्दे, सिल्क माहेश्वरी साड़ी डिजाइन युक्त फैब्रिक्स बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. जो मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत के लिए एक सार्थक प्रयास होगा.

देवली (टोंक). उपखंड के आंवा गांव में भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा संचालित समर्थ योजना के अंतर्गत कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह आयोजन आचार्य विद्यासागर हथकरघा प्रशिक्षण और उत्पादन सहकारी समिति आंवा में किया गया.

कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व कृषि मंत्री डॉ. प्रभुलाल सैनी रहे. इस दौरान उन्होंने कहा कि खेती और हथकरघा देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था को सर्वाधिक मजबूती, इन्हीं के द्वारा प्रदान की जाती है. पिछले एक दशक में जिस आर्थिक संकट ने दुनिया को घेरा है, उसने सभी विकसित देशों को विकेंद्रीकरण अर्थव्यवस्था की ओर आकर्षित किया है.

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उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में स्थानीय खपत के लिए स्थानीय उत्पादन की बहुत आवश्यकता है. इसी से हम प्रधानमंत्री के विजन लोकल टू ग्लोबल को प्राप्त कर सकते हैं. हथकरघा के द्वारा बने वस्त्र हस्तचालित मशीनों द्वारा निर्मित होते है. जिसमें किसी प्रकार की पानी और बिजली की आवश्यकता नहीं होती. डॉ. सैनी ने लगातार हथकरघा परिवार की घटती संख्या को चिंता का विषय बताया. उन्होंने बताया कि वर्ष 1995-96 में जहां बुनकरों की संख्या 65.51 लाख थी. वहीं, हथकरघा जनगणना 2019 -20 के अनुसार इनकी लगभग 31.44 लाख रह गई.

सैनी ने कहा कि सरकार द्वारा युवाओं को स्टार्टअप शुरू करने के लिए अनेक प्रकार की सहायता दी जाती है. इसलिए युवाओं को बढ़-चढ़कर इस प्रकार के स्टार्टअप शुरू करने चाहिए. आंवा सरपंच दिव्यांश महेंद्र भारद्वाज ने बताया कि अगर गांव का विकास करना है, तो इस प्रकार के लघु कुटीर उद्योग स्थापित करना अति आवश्यक है.

बुनकर सेवा केंद्र के डिप्टी डायरेक्टर तपन शर्मा ने बताया कि सरकार बुनकरों के उन्नयन के लिए लगातार प्रयासरत है. साथ ही कई प्रकार की ऐसी योजनाएं है, जिसके माध्यम से बुनकर अपना स्वरोजगार स्थापित कर सकते है. आचार्य विद्यासागर हतकरघा प्रशिक्षण और उत्पादन सहकारी समिति के अध्यक्ष आशीष जैन ने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री के टोंक आगमन पर उन्हें आंवा हतकरघा से बना दुपट्टा ओढा कर स्वागत किया गया था.

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इस प्रशिक्षण में 20 बुनकरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. ये प्रशिक्षण 06 अक्टूबर 2020 से 20 नवंबर 2020 तक चलेगा. इसमें बुनकरों को विभिन्न तरह के प्रशिक्षण दिया जाएगा. जिसमें जूट के बैग बनाना और कुशन कवर, पर्दे, सिल्क माहेश्वरी साड़ी डिजाइन युक्त फैब्रिक्स बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. जो मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत के लिए एक सार्थक प्रयास होगा.

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