टोंक. पूर्व उपमुख्यमंत्री और टोंक विधायक सचिन पायलट ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है. सचिन पायलट ने कृषि कानून को लेकर मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार किसान विरोधी है और बिना किसानों की सहमति के देश के पूंजीपतियों के लिए कृषि कानून बनाए गए हैं. उन्होंने सरकार से तीनों कानून वापस लेने की मांग की. पायलट जनसंपर्क अभियान के तहत रविवार को टोंक पहुंचे थे.
किसानों को संबोधित करते हुए पायलट ने कहा कि राजस्थान और देश भर में हर जगह आज किसान धरने दे रहे हैं. उन्होनें कहा कि एक तरफ कोरोना काल चल रहा है तो दूसरी तरफ पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं. सिलेंडर के दाम बढ़ रहे हैं. देश में बेरोजगारी और महंगाई बढ़ रही है. ऐसे में केवल किसानों ने देश की अर्थव्यवस्था को अपने कंधों पर उठा रखा था उसी पर सरकार ने आत्मघाती प्रहार किया है.
किसका हित साधने के लिए कृषि कानून बनाया
सचिन पायलट ने कहा कि वो कौन से किसान थे जिन्होंने मांग रखी की कानून बनाओ. उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा कि किसका हित साधने के लिए ये कानून बने हैं. सचिन पायलट ने मोदी सरकार से तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि सरकार ने कानून बनाने से पहले ना तो किसान से चर्चा की ना ही राज्य सरकारों से. सरकार ने जबरदस्ती, जल्दबाजी में यह कानून लागू कर दिए हैं.
सहयोगी दलों ने क्यों दिया इस्तीफा
सचिन पायलट ने कहा कि अगर यह कानून किसानों के हित में हैं तो किसान धरना क्यों दे रहे हैं. सरकार के ही सहयोगी अकाली दल और हनुमान बेनीवाल की आरएलपी एनडीए से क्यों अलग हो गई. पायलट ने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों से बात करनी चाहिए और जो समर्थन मूल्य 1947 से लेकर आजतक सरकार देती आ रही है. उसकी लिखित में गारंटी दे.