टोंक.अपने पेट का भरण-पोषण करने के लिए लोगों को मध्यप्रदेश से राजस्थान खींच लाई पर यहां भी इनके साथ गलत हो रहा है. और वहीं इन्हें काम तो मिला वन विभाग में गड्ढे खोदने की पर जब भुगतान का समय आया तो मालपुरा वन विभाग के रेंजर ने अपना इरादा बदल लिया. और जब मजदूरों ने अपनी मजदूरी मांगी तो वन विभाग के रेंजर ने उनके मेहनत के पैसे देने में आनाकानी करने लगे. वहीं जब बात बिगड़ गई और खुद को मजदूरों ने ठगा महसूस किया तो इन मजदूरों ने कलेक्ट्रेट में अपना बसेरा डाल लिया. ऐसे में वन विभाग की फजीहत भले ही बढ़ गई हो पर अवैध खनन के लिए बदनाम और अपने वन क्षेत्रों की रक्षा में नाकाम इन अधिकारियों पर अभी जूं तक नहीं रेंगी है.
वहीं मालपुरा वन विभाग के रेंजर पर गड्ढा खुदाई की मजदूरी नहीं देने का आरोप है. दो वक्त की रोटी की जुगाड़ में एमपी से पिछले एक महीने से कंटोली में वन विभाग के गड्ढे खोदने के लिए आए परिवार सहित 50 मजदूर बुधवार को जिला कलेक्ट्रेट में डेरा डाले हुए है. जिनका आरोप है कि वन विभाग के रेंजर जोगेंद्र सिंह ने बकाया राशि 2 लाख 21 हजार रुपए नहीं दे रहे है. मजदूरों का आरोप है कि गड्ढे खुदाई की मजदूरी 14 रुपए तय हुई थी. लेकिन रेंजर 5 रूपये के हिसाब से मजदूरी दे रहे है.
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मजदूरों ने जिला कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर बताया कि कांटोली में 15 जनवरी से गड्ढे खोदने का काम शुरू किया गया था. जिसकी मजदूरी 2 लाख 80 हजार रुपए होती है. जिसमें से रेंजर ने सिर्फ 59 हजार रूपये ही खर्च के बतौर पर दिए थे, बाकी राशि मांगी तो गाली-गलौज करके भगा दिया. वहीं मजदूर मंगलवार की रात को ही टोंक आ गए. जिन्होंने नगर परिषद टोंक के रैन बसेरे में रात बिताई थी बुधवार की सुबह जिला कलक्ट्रेट में डेरा डाल दिया. लेकिन अभी तक किसी अधिकारी ने सुध नहीं ली है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि इन मजदूरों ने घर छोड़कर मजदूरी की तलाश में राजस्थान में हर जगह भटक रहे है. ऐसे में प्रशासन भी इनकी सुध नहीं ले रही है.