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बदहाल स्थिति में टोंक में हाउसिंग बोर्ड का सामुदायिक भवन

टोंक में हाउसिंह बोर्ड की ओर से बसाई गई कॉलोनी में जहां लोग मूलभूत सुविधाओं से महरूम होकर रह रहे हैं वहीं बोर्ड द्वारा बनाया गया कम्युनिटी हॉल भी बदहाली के आंसू रो रहा है.

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Published : May 26, 2019, 4:21 PM IST

टोंक. रिहायशी इलाकों में घर बनाने का सपना मध्यमवर्ग से जुड़ा लगभग हर परिवार देखता है, ऐसे में अगर हाउसिंग बोर्ड द्वारा बनायी कॉलोनी में मकान मिल जाये तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता, लेकिन राजस्थान के टोंक जिले की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहने वाले वाशिंदे इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं.

टोंक में हाउसिंग बोर्ड द्वारा बसाई गई कॉलोनी में ना तो यहां उन्हें मूलभूत सुविधाएं मिलती है ऊपर से जो सुविधा दे रखी है उसकी भी हालत खस्ता है. जब हम इस मामले पर बात करने हाउसिंग बोर्ड कार्यालय पर पहुंचे तो हमे वहां कार्यालय पर ताले लटके मिले और कोई भी अधिकारी वहां नहीं मिला. हम बात कर रहे हैं हाउसिंग बोर्ड के सामुदायिक भवन की.

टोंक : बदहाल स्थिति में हाउसिंह बोर्ड कॉलोनी

टोंक जिला मुख्यालय पर केंद्रीय बस स्टैंड के पास बड़े-बड़े दावों के साथ सरकारी कॉलोनी के रूप मे हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी बनाई गई थी लेकिन अपने निर्माण काल के बाद से अब तक ना आवासन मंडल ने यहां के बाशिंदों की सुध ली है. यही कारण है कि हाउसिंग बोर्ड के लोगों की सुविधाओं के लिए बनाया गया सामुदायिक भवन विरान खंडहर के रूप में तब्दील हो चुका है.

जहां भवन के टूटे दरवाजे और चारों और जंगली पेड़ देखकर महज किसी वीराने का आभास हो जाता है, लेकिन सामुदायिक भवन के और तो आवासन मंडल और ना ही नगर परिषद कोई ध्यान देना चाहता है आखिर कुछ तो वजह रही होगी इस वीरान और उजाड़ जगह की, यूं ही तो लोग शिकायत नहीं करते हैं.

टोंक की पॉश कॉलोनी के नाम से जानी जाने वाली हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी का हाल बहुत ही बुरा है, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी की सड़कें खस्ताहाल है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस कॉलोनी की ओर ध्यान भी नहीं देते और जब अधिकारियों से इस मामले पर बात करनी चाहिए तो उनके कार्यालय पर ताले लटके मिले, अब देखना होगा कि हाउसिंग बोर्ड प्रशासन इस सामुदायिक भवन की सुध लेता है या ऐसे ही विरान खंडहर अवस्था में पड़ा रहेगा.

टोंक. रिहायशी इलाकों में घर बनाने का सपना मध्यमवर्ग से जुड़ा लगभग हर परिवार देखता है, ऐसे में अगर हाउसिंग बोर्ड द्वारा बनायी कॉलोनी में मकान मिल जाये तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता, लेकिन राजस्थान के टोंक जिले की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहने वाले वाशिंदे इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं.

टोंक में हाउसिंग बोर्ड द्वारा बसाई गई कॉलोनी में ना तो यहां उन्हें मूलभूत सुविधाएं मिलती है ऊपर से जो सुविधा दे रखी है उसकी भी हालत खस्ता है. जब हम इस मामले पर बात करने हाउसिंग बोर्ड कार्यालय पर पहुंचे तो हमे वहां कार्यालय पर ताले लटके मिले और कोई भी अधिकारी वहां नहीं मिला. हम बात कर रहे हैं हाउसिंग बोर्ड के सामुदायिक भवन की.

टोंक : बदहाल स्थिति में हाउसिंह बोर्ड कॉलोनी

टोंक जिला मुख्यालय पर केंद्रीय बस स्टैंड के पास बड़े-बड़े दावों के साथ सरकारी कॉलोनी के रूप मे हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी बनाई गई थी लेकिन अपने निर्माण काल के बाद से अब तक ना आवासन मंडल ने यहां के बाशिंदों की सुध ली है. यही कारण है कि हाउसिंग बोर्ड के लोगों की सुविधाओं के लिए बनाया गया सामुदायिक भवन विरान खंडहर के रूप में तब्दील हो चुका है.

जहां भवन के टूटे दरवाजे और चारों और जंगली पेड़ देखकर महज किसी वीराने का आभास हो जाता है, लेकिन सामुदायिक भवन के और तो आवासन मंडल और ना ही नगर परिषद कोई ध्यान देना चाहता है आखिर कुछ तो वजह रही होगी इस वीरान और उजाड़ जगह की, यूं ही तो लोग शिकायत नहीं करते हैं.

टोंक की पॉश कॉलोनी के नाम से जानी जाने वाली हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी का हाल बहुत ही बुरा है, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी की सड़कें खस्ताहाल है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस कॉलोनी की ओर ध्यान भी नहीं देते और जब अधिकारियों से इस मामले पर बात करनी चाहिए तो उनके कार्यालय पर ताले लटके मिले, अब देखना होगा कि हाउसिंग बोर्ड प्रशासन इस सामुदायिक भवन की सुध लेता है या ऐसे ही विरान खंडहर अवस्था में पड़ा रहेगा.

Intro:नॉट-खबर में पीटूसी भेजी गयी है।

हाउसिंग बोर्ड का बदहाल सामुदायिक भवन....

एंकर- रिहायशी इलाकों में घर बनाने का सपना मध्यमवर्ग से जुड़ा लगभग हर परिवार देखता है, ऐसे में अगर हाउसिंग बोर्ड द्वारा बनायी कॉलोनी में मकान मिल जाये तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता, लेकिन राजस्थान के टोंक जिले की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहने वाले वाशिंदे इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं, क्योंकि ना तो यहां उन्हें मूलभूत सुविधाएं मिलती है ऊपर से जो सुविधा दे रखी है उसकी भी हालत खस्ता है, जब हम इस मामले पर बात करने हाउसिंग बोर्ड कार्यालय पर पहुंचे तो हमे वहाँ कार्यालय पर ताले लटके मिले और कोई भी अधिकारी वहां नहीं मिला। हम बात कर रहे हैं हाउसिंग बोर्ड के सामुदायिक भवन की।




Body:वीओ- टोंक जिला मुख्यालय पर केंद्रीय बस स्टैंड के पास बड़े-बड़े दावों के साथ सरकारी कॉलोनी के रूप मे हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी बनाई गई थी लेकिन अपने निर्माण काल के बाद से अब तक ना आवासन मंडल ने यहाँ के वासिंदो की सुध ली है यही कारण है कि हाउसिंग बोर्ड के लोगों की सुविधाओं के लिए बनाया गया सामुदायिक भवन विरान खंडहर के रूप में तब्दील हो चुका है जहां भवन के टूटे दरवाजे और चारों और जंगली पेड़ देखकर महज किसी विरानी का आभास हो जाता है, लेकिन सामुदायिक भवन के और तो आवासन मंडल और ना ही नगर परिषद कोई ध्यान देना चाहता है आखिर कुछ तो वजह रही होगी इस वीरान और उजाड़ जगह की,यूं ही तो लोग शिकायत नहीं करते हैं।

बाईट-01-हितेंद्र जैन- स्थानीय निवासी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी
बाईट-02-अनिता देवी- स्थानीय निवासी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी

पीटूसी रविश टेलर...


Conclusion:फाइनल वीओ- टोंक की पॉश कॉलोनी के नाम से जानी जाने वाली हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी का हाल बहुत ही बुरा है, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी की सड़कें खस्ताहाल है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस कॉलोनी की ओर ध्यान भी नहीं देते और जब अधिकारियों से इस मामले पर बात करनी चाहिए तो उनके कार्यालय पर ताले लटके मिले,अब देखना होगा कि हाउसिंग बोर्ड प्रशासन इस सामुदायिक भवन की सुध लेता है या ऐसे ही विरान खंडहर अवस्था में पड़ा रहेगा।

रविश टेलर

टोंक
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