टोंक. जिले में रियासत काल से ही चली आ रही बादशाह की सवारी निकाली गई. इस दौरान रंग-गुलाल से रंगे हुए होली के दीवानों ऊंट और घोड़ें पर बैठकर बैंड बाजे के साथ नाचते-गाते जुलूस निकला. वहीं शहर के लोगों ने गुलाल और फूलों की बारिश से बादशाह की सवारी का स्वागत किया.
बताया जा रहा है कि पुरानी टोंक के अजमेर वालो की कोठी से शुरू होकर बादशाह की सवारी मुख्य बाजार होते हुए बड़ा कुएं से होकर लौटी. बादशाह की सवारी के साथ-साथ भारी पुलिस जाब्ता भी मौजूद रहा. साथ ही ड्रोन कैमरे से जुलूस और अन्य गतिविधयों पर पुलिस ने नजर रखी.
अमन-चैन और गंगा-जमुनी तहजीब के शहर टोंक की शान धुलण्डी पर निकलने वाली बादशाह की सवारी एक बार फिर शान से निकली और प्रेम-भाई चारे ओर सौहार्द का संदेश देते हुए होली के मस्तानो-दीवानों ने रंगों के इस त्योहार पर लोगों का खूब मनोरंजन भी किया. इस दौरान एक-दूसरे पर रंग-गुलाल उड़ाते हुए होली के रंग बिखेरे.
पुरानी टोंक से शुरू होकर बादशाह की सवारी का जुलूस माणक चौक, मिया का चौक, चूड़िगरान मोहल्ले से होकर घंटाघर होते हुए सुभाष बाजार, पांच बत्ती होते हुए मंदिरों-मस्जिदों के सामने से बड़ा कुएं होते हुए वापस लौटा. इस दौरान पुलिस और प्रशासन की ओर से सुरक्षा के माकूल इंतजाम किया गया. बादशाह की सवारी के साथ पुलिस और एसटीएफ के जवानों ने मोर्चा सभालते हुए टोंक में बादशाह की सवारी के जुलूस में कानून व्यवस्था बनाए रखने में योगदान दिया.
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बता दें कि टोंक राजस्थान की एकमात्र नवाबी रियासत रहा है और नवाबी काल से ही साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक धुलण्डी पर बादशाह की सवारी का जुलूस ऊंट, घोड़ों और बेंडबाजो के साथ निकालने की परंपरा टोंक में रही है. इस जुलूस का धुलण्डी पर टोंक की जनता को इंतजार रहता है. एक बार फिर से रियासत काल से चली आ रही बादशाह की सवारी के जुलूस की परंपरा का निर्वहन शान से हुआ और अमन-चैन और शांति-प्रेम का संदेश नवाबी शहर टोंक ने दिया.