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टोंक : कृषि अध्यादेशों के खिलाफ किसानों ने किया प्रदर्शन, जलाई प्रतियां

एक साल पूर्व आज ही के दिन 5 जून को केंद्र सरकार ने एक राष्ट्र एक बाजार के नाम से तीन कृषि अध्यादेश लागू किए थे, जो अब कानून का रूप ले चुका हैं. ऐसे में टोंक में शनिवार को किसानों ने सांसद कार्यालय पर प्रदर्शन कर अध्यादेशों की प्रतियां जलाकर रोष व्यक्त किया.

Farmers protest against agriculture ordinances, कृषि अध्यादेशों के खिलाफ किसान प्रदर्शन
सांसद कार्यालय के बाहर किसानों का प्रदर्शन
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Published : Jun 5, 2021, 2:28 PM IST

टोंक. जिला मुख्यालय पर शनिवार को केंद्र सरकार के कृषि अध्यादेशों के खिलाफ किसानों ने सांसद कार्यालय पर प्रदर्शन कर अध्यादेशों की प्रतियां जलाकर रोष व्यक्त किया. जहां संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देशभर में हो रहे प्रदर्शन के तहत किसान सांसद कार्यालय पर एकत्रित हुए और केंद्र की मोदी सरकार को किसानों और आम जनता का विरोधी सरकार बताते हुए नारेबाजी की.

सांसद कार्यालय के बाहर किसानों का प्रदर्शन

संयुक्त किसान मोर्च के किसान नेता महावीर तोड़गा ने बताया कि आज ही के दिन केंद्र सरकार ने तीनों कृषि अध्यादेश देश के किसानों पर थोपे थे, जिसको लेकर न तो किसानों नेताओं और न ही किसानों से राय मशवरा किया, बस मोदी सरकार ने बहूमत के नशे में तीनों कानून लोकसभा और राज्यसभा में पारित करवा लिए. उन्होंने कहा कि इन्ही कानूनों के खिलाफ बीते 6 महीनों से किसान आंदोलनरत हैं, लेकिन सरकार अपनी हठधर्मिता पर अड़ी हुई.

किसानों का आरोप है केंद्र की मोदी सरकार किसान और आमजनता दोनो को राहत पहुंचाने में विफल रही है. वहीं आंदोलन कर रहे किसानों की नहीं सुन रही है. केंद्र सरकार की ओर से एक राष्ट्र एक बाजार के नाम पर तीन कृषि अध्यादेश 5 जून 2020 को लेकर आई, यह तीनों कृषि अध्यादेश आज कानून की शक्ल भी ले चुके. तीनों कृषि कानून किसान विरोधी है. किसानों का शोषण करने के लिए और बड़े-बड़े पूंजीपतियों को पनपाने के लिए यह तीन कृषि कानून लेकर केंद्र सरकार आई, जबकि देश कोरोना की महामारी से जूझ रहा था.

पढ़ेंः वैक्सीन बर्बादी पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने गहलोत सरकार को जारी किया नोटिस, 8 सप्ताह में मांगी तथ्यात्मक रिपोर्ट

किसानों का शोषण करने के लिए तीनों कृषि कानूनों को पारित किया गया. इन कृषि कानूनों की देश का किसान मांगे नहीं कर रहा था, फिर भी जबरन किसानों के ऊपर थोपा गया. जिसका राजस्थान के किसान ही नहीं बल्कि पूरे भारत के किसान विरोध कर रहे है. बता दें कि एक साल पूर्व आज ही के दिन 5 जून को केंद्र सरकार ने एक राष्ट्र एक बाजार के नाम से तीन कृषि अध्यादेश लागू किए थे, जो अब कानून का रूप ले चुके हैं, लेकिन किसान तीनो कानून को रद्द करवाकर ही रहेंगे.

टोंक. जिला मुख्यालय पर शनिवार को केंद्र सरकार के कृषि अध्यादेशों के खिलाफ किसानों ने सांसद कार्यालय पर प्रदर्शन कर अध्यादेशों की प्रतियां जलाकर रोष व्यक्त किया. जहां संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देशभर में हो रहे प्रदर्शन के तहत किसान सांसद कार्यालय पर एकत्रित हुए और केंद्र की मोदी सरकार को किसानों और आम जनता का विरोधी सरकार बताते हुए नारेबाजी की.

सांसद कार्यालय के बाहर किसानों का प्रदर्शन

संयुक्त किसान मोर्च के किसान नेता महावीर तोड़गा ने बताया कि आज ही के दिन केंद्र सरकार ने तीनों कृषि अध्यादेश देश के किसानों पर थोपे थे, जिसको लेकर न तो किसानों नेताओं और न ही किसानों से राय मशवरा किया, बस मोदी सरकार ने बहूमत के नशे में तीनों कानून लोकसभा और राज्यसभा में पारित करवा लिए. उन्होंने कहा कि इन्ही कानूनों के खिलाफ बीते 6 महीनों से किसान आंदोलनरत हैं, लेकिन सरकार अपनी हठधर्मिता पर अड़ी हुई.

किसानों का आरोप है केंद्र की मोदी सरकार किसान और आमजनता दोनो को राहत पहुंचाने में विफल रही है. वहीं आंदोलन कर रहे किसानों की नहीं सुन रही है. केंद्र सरकार की ओर से एक राष्ट्र एक बाजार के नाम पर तीन कृषि अध्यादेश 5 जून 2020 को लेकर आई, यह तीनों कृषि अध्यादेश आज कानून की शक्ल भी ले चुके. तीनों कृषि कानून किसान विरोधी है. किसानों का शोषण करने के लिए और बड़े-बड़े पूंजीपतियों को पनपाने के लिए यह तीन कृषि कानून लेकर केंद्र सरकार आई, जबकि देश कोरोना की महामारी से जूझ रहा था.

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किसानों का शोषण करने के लिए तीनों कृषि कानूनों को पारित किया गया. इन कृषि कानूनों की देश का किसान मांगे नहीं कर रहा था, फिर भी जबरन किसानों के ऊपर थोपा गया. जिसका राजस्थान के किसान ही नहीं बल्कि पूरे भारत के किसान विरोध कर रहे है. बता दें कि एक साल पूर्व आज ही के दिन 5 जून को केंद्र सरकार ने एक राष्ट्र एक बाजार के नाम से तीन कृषि अध्यादेश लागू किए थे, जो अब कानून का रूप ले चुके हैं, लेकिन किसान तीनो कानून को रद्द करवाकर ही रहेंगे.

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