श्रीगंगानगर. प्रदेश के सरहदी जिले श्रीगंगानगर में पड़ रही कड़ाके की सर्दी से जनजीवन (Winter in Sri Ganganagar) अस्तव्यस्त हो गया है. अन्न का कटोरा कहे जाने वाले जिले में हालत ये हैं कि दोहपर तक कोहरा छाया रहता है. पूरे दिन में सूर्यदेव के दर्शन मात्र दो से तीन घंटे ही हो पाते हैं. पिछले एक हफ्ते से रात में पांच डिग्री से कम तापमान रिकॉर्ड किया गया है. मौसम विभाग ने अगले दो दिनों के लिए सर्दी का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. जबकि किसानों के चेहरे इस सर्दी में खिल गए हैं.
किसान शिवप्रकाश सहारन ने बताया कि कोहरे के कारण सरसों और गेहूं की फसलों को जबरदस्त (Fog brings cheer to farmers) फायदा हो रहा है. ओस की बूंदे गेहूं, सरसों और जौ की फसलों के लिए काफी लाभदायक है. इससे फसलों को सिंचाई की कमी नहीं रहती और इसके साथ-साथ फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी होती है. उन्होंने बताया कि कोहरे के कारण सरसों और गेहूं की क्वालिटी भी काफी बेहतर हो जाती है. किसानों की मानें तो ऐसा वातावरण अगर अगले 10 दिन तक रहा तो फसलों का उत्पादन ज्यादा देखने को मिलेगा.
मौसम विभाग ने सर्दी को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. इस संबंध में कृषि विभाग की ओर से (Farmers said Fog favourable for Crops) एडवाइजरी जारी कर किसानों से अपील की गई है कि वे फसलों में पाले से बचाव के उपाय करें. कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. जीआर मटोरिया ने बताया कि शीत लहर एवं पाले से सर्दी के मौसम में सभी फसलों को नुकसान होता है. पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां एवं फूल झुलस कर झड़ जाते हैं तथा अधपके फल सिकुड़ जाते हैं. फलियों एवं बालियों में दाने नहीं बनते हैं, बन रहे दाने भी सिकुड़ जाते हैं.
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पाला पड़ने से ऐसे करें बचाव : उन्होंने बताया कि प्रायः पाला पड़ने की सम्भावना 25 दिसम्बर से 15 फरवरी तक अधिक रहती है. उन्होंने बताया कि रबी फसलों में फूल आने एवं बालियां/फलियां आने व बनते समय पाला पड़ने की सर्वाधिक सम्भावनाएं रहती हैं. इस समय कृषकों को सतर्क रहकर फसलों की सुरक्षा के उपाय अपनाने चाहिए. उन्होंने बताया कि पौधों एवं सीमित क्षेत्र वाले उद्यानों/सब्जी वाली फसलों में भूमि के ताप को कम न होने देने के लिए फसलों को पॉलीथिन अथवा भूसे से ढक दें.
वायुरोधी टाटियां, हवा आने वाली दिशा की तरफ यानि उत्तर पश्चिम की तरफ बांधे. नर्सरी, किचन गार्डन एवं कीमती फसल वाले खेतों में उत्तर-पश्चिम की तरफ टाटियां बांधकर क्यारियों के किनारों पर लगाएं तथा दिन में पुनः हटाएं. उन्होंने बताया कि जब पाला पड़ने की सम्भावना हो तब-फसलों में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए. नमीयुक्त जमीन में काफी देरी तक गर्मी रहती है तथा भूमि का तापक्रम एकदम कम नहीं होता है. इससे तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे नही गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है.