श्रीगंगानगर. दूषित पानी को रोकने की मांग को लेकर बुधवार को श्रीगंगानागर के लोगों ने जलदाय विभाग के अधीक्षण अभियंता का घेराव किया. मुख्यमंत्री के नाम अधीक्षण अभियंता को दिए गए ज्ञापन में नागरिकों का कहना है कि नहरों में आए दूषित पानी के कारण बीमारियां फैलने का डर है.
इसलिए इस पानी की सप्लाई पर रोक लगाई जाए. राजस्थान की गंगनहर और आईजीएनपी में पंजाब से छोड़े गए जहरीले केमिकल युक्त पानी को रोका जाए, ताकि दूषित पानी पीकर बढ़ने वाली बीमारियों को रोका जा सके. लोगों के इसी आक्रोश व मामले की गम्भीरता को देखते हुए गहलोत सरकार गंभीर दिखाई देने लगी है. जिसके चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पंजाब सरकार को पत्र लिखा है.
गहलोत के निर्देश पर मुख्य सचिव की ओर से लिखे गए पत्र में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT National Green Tribunal) के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए पंजाब के उच्च अधिकारियों को इस मामले में उचित कार्रवाई कर प्रदूषण रोकने के लिए प्रभावी निगरानी तंत्र विकसित करने का अनुरोध किया गया है.
इंदिरा गांधी नहर, गंगनहर और भाखड़ा सिंचाई प्रणाली में पंजाब से आ रहे दूषित जल पर गहरी चिंता जाहिर की गई है. पंजाब के हरीके बैराज से छोड़े गए औद्योगिक अपशिष्ट व दूषित पानी राजस्थान में आने के बाद इसे जलदाय विभाग द्वारा लोगों को पीने के लिए सप्लाई किया जाएगा.
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बुधवार को गंगनहर व आईजीएनपी (IGNP) में आए काले व पीले मलमूत्र युक्त पानी में बदबू आ रही है. उधर दूषित पानी आने से लोगों में भले ही आक्रोश है, लेकिन जलदाय विभाग इस पानी को पीने योग्य बता रहा है. लोगों का यही गुस्सा सीएम गहलोत को भी सोचने पर मजबूर कर रहा है.