सूरतगढ़( श्रीगंगानगर). एक तरफ गर्मी का मौसम तो दूसरी तरफ नहरबंदी के चलते गांवों में पेयजल संकट गहराने लगा है. हालात ये है कि अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए लोगों को 400 से लेकर 600 रुपए प्रति टैंकर के हिसाब से पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है. इसके साथ ही कस्बे के गांवों में महिलाएं दिनभर जैसे-तैसे पानी की व्यवस्था कर रही हैं.
भगवानसर सरपंच सीमा मुंजाल ने बताया कि 20 मार्च से नहरबंदी के बाद वाटरवर्क्स की डिग्गियों में पानी स्टोरेज किया गया था, लेकिन 47 दिन से अधिक नहरबंदी के कारण डिग्गियों खाली होने लगी है. साथ ही पेयजल किल्लत के चलते ग्रामीणों को गर्मी की शुरुआत के साथ ही पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.
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वहीं, गर्मी में गांव की महिलाएं और बच्चों को दिनभर पानी की व्यवस्था के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. पंचायत समिति के पूर्व डायरेक्टर राजकुमार मुंजाल, साहबराम नायक, राजेंद्र गेदर, त्रिलोक सिंह, राजेश भदौरिया ने बताया कि जलदाय विभाग के अधिकारियों को पेयजल किल्लत को लेकर शिकायत की जाती है तो वे नहरबंदी का बहाना बनाते हैं. जिससे 50 हजार लोग हो रहे है प्रभावित.
ट्यूबवेल से भर रहे हैं डिग्गियां...
ग्रामीणों ने रोष प्रकट करते हुए बताया कि अभी ये हालत है तो आगे गर्मी में क्या स्थिति रहेगी. गांव 7 एसजीएम, साहूवाला, भगवानसर, ढाबाझालार, सरदारगढ़, 26, 27, 28 पीबीएन, 2 केएसआर और श्योपुरा सहित आसपास के चकों और ढाणियों में भाखड़ा पीबीएन की सरदारगढ़ माइनर का पानी पहुंचता है. लेकिन नहरबंदी के बाद अभी तक इस माइनर में पानी नही पहुंचने से ग्रामीणों के सामने पेयजल का संकट खड़ा हो गया है. ग्राम पंचायत भगवानसर में ग्रामीणों ने ट्यूबवेल से पाइनलाइन के माध्यम से वाटरवर्क्स की डिग्गियों में पानी संग्रहित किया, लेकिन वो भी पर्याप्त नहीं है.
ग्रामीणों ने एसडीएम को भेजा ज्ञापन...
ग्राम पंचायत भगवानसर के ग्रामीणों ने एसडीएम को ज्ञापन भेज भाखड़ा पीबीएन नहर में पानी छोड़ने की मांग की है. ग्रामीणों ने ज्ञापन में लिखा है कि भाखड़ा पीबीएन नहर क्षेत्र के लिए जीवनदायी नहर है. गत 1 माह से अधिक नहरबंदी के चलते कम मात्रा में पानी छोड़ा गया, लेकिन पीने योग्य पर्याप्त मात्रा में पानी भी वाटरवर्क्स की डिग्गियों में नही पहुंचा. ऐसे में अब केवल 2-3 दिन का पानी डिग्गियों में शेष बचा है. ग्रामीणों की मांग है कि नहर में पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ा जाए. ताकि पेयजल के लिए डिग्गियों में पानी स्टोरेज किया जा सके.