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श्रीगंगानगर: CAA के विरोध में सड़क पर उतरे मार्क्सवादी, राष्ट्रपति के नाम दिया ज्ञापन - मार्क्सवादी नेता का विरोध

श्रीगंगानगर में भारतीय कम्युनिस्ट मार्क्सवादी पार्टी ने नागरिक संशोधन एक्ट के विरोध में जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया. इस दौरान इन लोगों ने बिल को संविधान की मूल भावना के पूरी तरह खिलाफ बताते हुए कहा कि ये ना केवल अनुच्छेद 14 बल्कि अनुच्छेद 15 और 21 का भी उल्लंघन करता है.

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नागरिक संशोधन बिल के विरोध में मार्क्सवादी नेता उतरे सड़क पर
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Published : Dec 19, 2019, 4:01 PM IST

श्रीगंगानगर. भारतीय कम्युनिस्ट मार्क्सवादी पार्टी ने नागरिक संशोधन एक्ट के विरोध में जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. प्रदर्शनकारियों ने जिला कलेक्ट्रेट के बाहर घंटों तक ट्रैफिक रोककर एक्ट के विरोध में जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया.

नागरिक संशोधन बिल के विरोध में मार्क्सवादी नेता उतरे सड़क पर

बताया जा रहा है कि वामपंथी पार्टियों के देशव्यापी आह्वान पर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेताओं ने प्रदर्शन करते हुए 15 दिसंबर 2019 को भारतीय संसद की ओर से पारित नागरिकता संशोधन बिल 2019 को रद्द करने की मांग की है. मार्क्सवादी नेताओं ने बिल को संविधान की मूल भावना के पूरी तरह खिलाफ बताते हुए कहा कि ये ना केवल अनुच्छेद 14 बल्कि अनुच्छेद 15 और 21 का भी उल्लंघन है.

यह भी पढ़ें- श्रीगंगानगर में लॉटरी निकलने के बाद गांवो में मचा चुनावी घमासान

एक्ट का विरोध कर रहे मार्क्सवादी नेताओं ने कहा कि भारत की नागरिकता कानून में धर्म विशेष पर कानून बनाने से मुस्लिम और अन्य उत्पीड़न अल्पसंख्यकों को किसी भी स्थिति में समान शिक्षा से वंचित करता है. साथ ही भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों पर विशेष रूप से एक शारीरिक प्रहार करता है.

उन्होने आरोप लगाया की बिल मोदी सरकार का मनमाना अव्यावहारिक निर्णय हैं. जिसकी पूरे भारत में निंदा हो रही है. उन्होने कहा की बिल को लेकर संपूर्ण भारत में अराजकता का माहौल है. ऐसे में ये लोग मांग करते हैं कि बिल के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्रों और आम लोगों पर बर्बर लाठीचार्ज और गिरफ्तारियों पर अंकुश लगाया जाए.

श्रीगंगानगर. भारतीय कम्युनिस्ट मार्क्सवादी पार्टी ने नागरिक संशोधन एक्ट के विरोध में जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. प्रदर्शनकारियों ने जिला कलेक्ट्रेट के बाहर घंटों तक ट्रैफिक रोककर एक्ट के विरोध में जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया.

नागरिक संशोधन बिल के विरोध में मार्क्सवादी नेता उतरे सड़क पर

बताया जा रहा है कि वामपंथी पार्टियों के देशव्यापी आह्वान पर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेताओं ने प्रदर्शन करते हुए 15 दिसंबर 2019 को भारतीय संसद की ओर से पारित नागरिकता संशोधन बिल 2019 को रद्द करने की मांग की है. मार्क्सवादी नेताओं ने बिल को संविधान की मूल भावना के पूरी तरह खिलाफ बताते हुए कहा कि ये ना केवल अनुच्छेद 14 बल्कि अनुच्छेद 15 और 21 का भी उल्लंघन है.

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एक्ट का विरोध कर रहे मार्क्सवादी नेताओं ने कहा कि भारत की नागरिकता कानून में धर्म विशेष पर कानून बनाने से मुस्लिम और अन्य उत्पीड़न अल्पसंख्यकों को किसी भी स्थिति में समान शिक्षा से वंचित करता है. साथ ही भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों पर विशेष रूप से एक शारीरिक प्रहार करता है.

उन्होने आरोप लगाया की बिल मोदी सरकार का मनमाना अव्यावहारिक निर्णय हैं. जिसकी पूरे भारत में निंदा हो रही है. उन्होने कहा की बिल को लेकर संपूर्ण भारत में अराजकता का माहौल है. ऐसे में ये लोग मांग करते हैं कि बिल के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्रों और आम लोगों पर बर्बर लाठीचार्ज और गिरफ्तारियों पर अंकुश लगाया जाए.

Intro:श्रीगंगानगर : भारतीय कम्युनिस्ट मार्क्सवादी पार्टी ने श्रीगंगानगर जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शनकारियों ने जिला कलेक्ट्रेट के बाहर घंटों तक सड़क रोककर बिल के विरोध में जमकर नारेबाजी करते हुये प्रदर्शन किया। वामपंथी पार्टियों के देशव्यापी आह्वान पर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के नेताओं ने प्रदर्शन करते हुए 15 दिसंबर 2019 को भारतीय संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन बिल 2019 को रद्द करने की मांग की है। मार्क्सवादी नेताओं ने बिल को संविधान की मूल भावना के पूरी तरह खिलाफ बताते हुए ना केवल अनुच्छेद 14 बल्कि अनुच्छेद 15 और 21 का भी उल्लंघन बताया है।


Body:बिल का विरोध कर रहे मार्क्सवादी नेताओं ने कहा कि भारत की नागरिकता कानून में धर्म विशेष पर परिसन करने से मुस्लिम और अन्य उत्पीड़न अल्पसंख्यकों को किसी भी स्थिति में समान शिक्षा से वंचित करता है। साथ ही भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों पर विशेष रूप से एक शारीरिक प्रहार करता है।उन्होने आरोप लगाया की बिल मोदी सरकार का मनमाना अव्यावहारिक निर्णय हैं। जिसकी पूरे भारत में निंदा हो रही है।उन्होने कहां की बिल को लेकर संपूर्ण भारत में अराजकता का माहौल है। ऐसे में मांग करते हैं कि बिल के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्रों व आम लोगों पर बर्बर लाठीचार्ज व गिरफ्तारियो पर अंकुश लगाया जाए।

बाईट : शयोपत सिंह,मार्क्सवादी नेता।


Conclusion:बिल के विरोध मे प्रदर्शन।
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