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श्रीगंगानगरः सूरतगढ़ ट्रोमा सेंटर में चिकित्सकों और संसाधनों का अभाव, सेंटर बन गया रेफरल सेंटर

श्रीगंगानगर के सूरतगढ़ उपखंड के राजकीय चिकित्साल में बने ट्रोमा सेन्टर में पिछले लंबे समय से चिकित्सकों और संसाधनो के अभाव के चलत यह रेफरल सेन्टर बन कर रह गया है. उपखंड श्रेत्र के सैकड़ों गांवों के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने वाला यह चिकित्सालय चिकित्सकों के अभाव में मरीजों को चिकित्सा सुविधा मुहैया करा पाने में असमर्थ होता नजर आ रहा है.

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ट्रोमा सेंटर बन गया रेफरल सेंटर
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Published : Dec 22, 2019, 11:49 AM IST

सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). जिले के सूरतगढ़ का ट्रोमा सेन्टर आज सूना पड़ा है. महिला और पुरुष वार्ड खाली पड़े हैं, इसकी एक मात्र वजह यहां चिकित्सकों और संसाधनों का अभाव होना है.

सूरतगढ़ के ट्रोमा सेंटर में चिकित्सकों का अभाव

बता दें कि प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही यहां कार्यरत कई चिकित्सक स्वैच्छिक सेवानिवृति ले चुके हैं. वहीं कुछ चिकित्सकों को अन्यत्र स्थान पर पदस्थापित कर दिया गया है. दो करोड़ की लागत से शुरू हुए ट्रोमा सेन्टर को जो नेशनल हाईवे पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को त्वरित उपचार देने के लिए शुरू किया गया था. नेशनल हाईवे पर स्थित होने के कारण दुघर्टनाग्रस्त मरीजों को इलाज के लिए यहां लाया जाता है, लेकिन चिकित्सालय में डॉक्टरों की कमी के चलते अनेक घायलों को रैफर किया जा रहा है.

पढ़ेंः चिकित्सा विभाग करेगा 'स्वास्थ्य मित्र' नियुक्त, गांवों और शहरों में स्वास्थ्य को लेकर देंगे जानकारी

बता दें कि सूरतगढ़ का यह ट्रोमा सेन्टर महज एक चिकित्सक के सहारे सभी को स्वास्थ्य लाभ देने के सरकारी दावों की खानापूर्ति कर रहा है. वास्तव में चिकित्सकों के कमरों में कुर्सियां और महिला-पुरुष वार्डों के बैड खाली पड़े है. चिकित्सकों के अभाव और ट्रोमा सेन्टर सूरतगढ़ शहर के अलावा नेशनल हाईवे 62 तथा फोरलेन पर पड़ने वाले राजियासर, थर्मल, पीलीबंगा, आर्मी केन्ट तथा एयरफोस रोड़ पर दुर्घटनाओं के घायलों को समय पर उपचार नहीं मिल पा रहा है और त्वरित उपचार के अभाव में गंभीर रूप से घायल दम तोड़ देते हैं.

सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). जिले के सूरतगढ़ का ट्रोमा सेन्टर आज सूना पड़ा है. महिला और पुरुष वार्ड खाली पड़े हैं, इसकी एक मात्र वजह यहां चिकित्सकों और संसाधनों का अभाव होना है.

सूरतगढ़ के ट्रोमा सेंटर में चिकित्सकों का अभाव

बता दें कि प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही यहां कार्यरत कई चिकित्सक स्वैच्छिक सेवानिवृति ले चुके हैं. वहीं कुछ चिकित्सकों को अन्यत्र स्थान पर पदस्थापित कर दिया गया है. दो करोड़ की लागत से शुरू हुए ट्रोमा सेन्टर को जो नेशनल हाईवे पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को त्वरित उपचार देने के लिए शुरू किया गया था. नेशनल हाईवे पर स्थित होने के कारण दुघर्टनाग्रस्त मरीजों को इलाज के लिए यहां लाया जाता है, लेकिन चिकित्सालय में डॉक्टरों की कमी के चलते अनेक घायलों को रैफर किया जा रहा है.

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बता दें कि सूरतगढ़ का यह ट्रोमा सेन्टर महज एक चिकित्सक के सहारे सभी को स्वास्थ्य लाभ देने के सरकारी दावों की खानापूर्ति कर रहा है. वास्तव में चिकित्सकों के कमरों में कुर्सियां और महिला-पुरुष वार्डों के बैड खाली पड़े है. चिकित्सकों के अभाव और ट्रोमा सेन्टर सूरतगढ़ शहर के अलावा नेशनल हाईवे 62 तथा फोरलेन पर पड़ने वाले राजियासर, थर्मल, पीलीबंगा, आर्मी केन्ट तथा एयरफोस रोड़ पर दुर्घटनाओं के घायलों को समय पर उपचार नहीं मिल पा रहा है और त्वरित उपचार के अभाव में गंभीर रूप से घायल दम तोड़ देते हैं.

Intro:राजकिय चिकित्साल में बने ट्राॅमा सेन्टर में पिछले लम्बे समय से चिकित्सको व संसाधनो के अभाव के चलत रैफर सेन्टर बन कर रह गया है। उपखण्ड़ श्रेत्र के सैंकड़ों गावों और चकों के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलबध करवाने वाला यह चिकित्सालय चिकित्सकों के अभाव में दम तोड़ रहा है।
Body:
सूरतगढ़ का यह ट्राॅमा सेन्टर आज मरीजों के अभाव में सूना पड़ा है। महिला एवं पुरूष वार्ड खाली पड़े हैं। इसकी एक मात्र वजह चिकित्सकों का अभाव होना है। प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही यहां कार्यरत कई चिकित्सक स्वेच्छिक सेवानिवृति लेे चुके है। वहीं कुछ चिकित्सकों को अन्यत्र स्थान पर पदस्थापित कर दिया गया है। दो करोड़ की लागत से शुरू हुए ट्रोमा सेन्टर को जो नेशनल हाईवे पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को त्वरित उपचार देने के लिए शुरू किया गया था। नेशनल हाईवे पर स्थित होने के कारण दुघर्टना ग्रस्त मरीजो इलाज के लिए यहां लाया जाता है। लेकिन चिकित्सालय में डाॅक्टरों की कमी के चलते अनेक घायलों को रैफर किया जा रहा है।

Conclusion:
सूरतगढ़ का यह ट्राॅमा सेन्टर महज एक चिकित्सक के सहारे सभी को स्वास्थ्य लाभ देने के सरकारी दावों की खानापूर्ति कर रहा है। वास्तव में चिकित्सकों के कमरों में कुर्सियां और महिला-पुरूष वार्डो के बैड खाली पड़े है। दो करोड़ की लागत से शुरू हुए ट्रोमा सेन्टर में घायलों का जीवन बचाने के लिए शुरू किए गए इस ट्रोमा सेन्टर में 4 चिकित्सकों सहित 12 कर्मचारियों का स्टाॅफ लगया गया था। जिन्हें अब यहां से हटाकर मूल स्थान पर भेज दिया गया है। ट्रोमा सेन्टर प्रभारी को भी अपने मूल स्थान पर भेजा जा चुका है। प्रभारी के पास भी चिकित्सकों की कमी का रोना रोने के अलावा और कोई जवाब नहीं है।
चिकित्सकों के अभाव और ट्रोमा सेन्टर सूरतगढ़ शहर के अलावा नेशनल हाईवे 62 तथा फोरलेन पर पड़ने वाले राजियासर, थर्मल, पीलीबंगा, आर्मी केन्ट तथा एयरफोस रोड़ पर दुर्घटनाओं के घायलों को समय पर उपचार नहीं मिल पा रहा और त्वरित उपचार के अभाव में घायलों और गंभीर रूप से बीमार दम तोड़ देते है।
बाईट- 1 डां. विजय भादू, ट्राॅमा सेन्टर प्रभारी
बाईट- 2 डां. मनोज अग्रवाल, बीसीएमएचओ
बाईट- 3 पवन सोनी, स्थानीय नागरिक
विजय स्वामी सूरतगढ़
मो 9001606958
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