सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). जिले के सूरतगढ़ का ट्रोमा सेन्टर आज सूना पड़ा है. महिला और पुरुष वार्ड खाली पड़े हैं, इसकी एक मात्र वजह यहां चिकित्सकों और संसाधनों का अभाव होना है.
बता दें कि प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही यहां कार्यरत कई चिकित्सक स्वैच्छिक सेवानिवृति ले चुके हैं. वहीं कुछ चिकित्सकों को अन्यत्र स्थान पर पदस्थापित कर दिया गया है. दो करोड़ की लागत से शुरू हुए ट्रोमा सेन्टर को जो नेशनल हाईवे पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को त्वरित उपचार देने के लिए शुरू किया गया था. नेशनल हाईवे पर स्थित होने के कारण दुघर्टनाग्रस्त मरीजों को इलाज के लिए यहां लाया जाता है, लेकिन चिकित्सालय में डॉक्टरों की कमी के चलते अनेक घायलों को रैफर किया जा रहा है.
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बता दें कि सूरतगढ़ का यह ट्रोमा सेन्टर महज एक चिकित्सक के सहारे सभी को स्वास्थ्य लाभ देने के सरकारी दावों की खानापूर्ति कर रहा है. वास्तव में चिकित्सकों के कमरों में कुर्सियां और महिला-पुरुष वार्डों के बैड खाली पड़े है. चिकित्सकों के अभाव और ट्रोमा सेन्टर सूरतगढ़ शहर के अलावा नेशनल हाईवे 62 तथा फोरलेन पर पड़ने वाले राजियासर, थर्मल, पीलीबंगा, आर्मी केन्ट तथा एयरफोस रोड़ पर दुर्घटनाओं के घायलों को समय पर उपचार नहीं मिल पा रहा है और त्वरित उपचार के अभाव में गंभीर रूप से घायल दम तोड़ देते हैं.