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श्रीगंगानगर में कोरोना का खौफ...पासपोर्ट ऑफिस तो खुला लेकिन भीड़ अब भी गायब - etvbharat hindi news

श्रीगंगानगर में पासपोर्ट कार्यालय में अभी भी कोरोना के कारण सन्नाटा पसरा हुआ है. सरकार की गाइडलाइन के बाद पासपोर्ट कार्यालय तो खोले दिए गए हैं, लेकिन संक्रमण का भय लोगों में इतना है कि अब पासपोर्ट कार्यालय में आने से लोग कतरा रहे हैं.

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श्रीगंगानगर में कोरोना की वजह से पासपोर्ट ऑफिस रहता है खाली
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Published : Oct 22, 2020, 12:29 PM IST

श्रीगंगानगर. कोरोना संकटकाल के दौरान सरकार द्वारा देश की तमाम संस्थाएं बंद कर लॉकडाउन लागू किया गया था. संक्रमण के खतरे को देखते हुए सरकार ने उन दफ्तरों को भी लॉक कर दिया था, जिनसे दूसरे देशों की कनेक्टिविटी जुड़ी हुई थी. वहीं, लॉकडाउन खुलने के बाद भी इन दफ्तरों में अभी भी सन्नाटा पसरा रहता है.

श्रीगंगानगर में कोरोना की वजह से पासपोर्ट ऑफिस रहता है खाली

सरकारी दफ्तरों में लोग अब जरूरत के कार्य करवाने के लिए आने से भी डर रहे हैं. ऐसा ही सन्नाटा इन दिनों श्रीगंगानगर के पासपोर्ट कार्यालय में पसरा हुआ है. सरकार की गाइडलाइन के बाद पासपोर्ट कार्यालय तो खोले दिए गए हैं, लेकिन संक्रमण का भय लोगों में इतना है कि अब पासपोर्ट कार्यालय में आने से डर रहे हैं.

कोरोना संक्रमण व लॉकडाउन से पहले श्रीगंगानगर के पासपोर्ट कार्यालय में हर रोज 200 लोग पासपोर्ट के लिए आते थे, लेकिन अब पासपोर्ट कार्यालय में गिने चुने लोग ही नजर आते हैं. जहां लंबी लाइनों में खड़े होकर लोग अपने पारी का इंतजार करते थे. अब उन्हें इंतजार नहीं करना पड़ता है, बल्कि सीधे वे संबंधित अधिकारी के पास जाकर अपना काम चंद मिनटों में करवा लेते हैं. पासपोर्ट दफ्तर में भी भीड़ नजर नहीं आती है, क्योंकि यहां पर कार्मिकों की संख्या भी विदेश मंत्रालय ने अब कम कर दी है. केवल एक क्लर्क ही पासपोर्ट से जुड़ी फाइलें संभाल रहा है.

पढ़ें: अलवर: सारिस्का क्षेत्र के 9 गांवों में रहने वाले 216 परिवारों को किया जाएगा विस्थापित

वहीं, दफ्तर में पासपोर्ट बनवाने के लिए रोजाना 10 से 20 लोग ही मुश्किल से आ रहे हैं. पासपोर्ट बनवाने के लिए आने वाले लोगों की संख्या कम होने से अब पासपोर्ट दफ्तर में काम का बोझ भी कम हो गया है. जिसके चलते अब पासपोर्ट के लिए आ रहे गिने-चुने लोगों का काम हाथों हाथ हो जाता है. पासपोर्ट बनवाने आई छात्रा ने बताया कि उसका काम आसानी से हो गया. पासपोर्ट कार्यालय में ड्यूटी संभाल रहे आशीष गोयल बताते हैं कि दफ्तर में अब वे अकेले ही कार्य करते हैं.

पासपोर्ट से संबंधित रोजाना की फाइलें पोस्ट ऑफिस में जमा करवाकर जयपुर भिजवाई जाती है. जिसके बाद आवेदकों को संबंधित पुलिस थाना में पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए बुलाया जाता है. साथ ही लॉकडाउन से पहले यहां पासपोर्ट अधिकारी रितेश गुप्ता अपनी सेवाएं दे रहे थे. जबकि अब विदेश मंत्रालय ने उन्हें जयपुर दफ्तर में पद स्थापित कर दिया है. अब जैसे-जैसे पासपोर्ट बनवाने के लिए आने वाले लोगों की संख्या में इजाफा होगा, वैसे कार्मिकों की जरूरत भी बढ़ेगी. ऐसे में विदेश मंत्रालय की तैयारी भी उसी हिसाब से रहेगी.

श्रीगंगानगर. कोरोना संकटकाल के दौरान सरकार द्वारा देश की तमाम संस्थाएं बंद कर लॉकडाउन लागू किया गया था. संक्रमण के खतरे को देखते हुए सरकार ने उन दफ्तरों को भी लॉक कर दिया था, जिनसे दूसरे देशों की कनेक्टिविटी जुड़ी हुई थी. वहीं, लॉकडाउन खुलने के बाद भी इन दफ्तरों में अभी भी सन्नाटा पसरा रहता है.

श्रीगंगानगर में कोरोना की वजह से पासपोर्ट ऑफिस रहता है खाली

सरकारी दफ्तरों में लोग अब जरूरत के कार्य करवाने के लिए आने से भी डर रहे हैं. ऐसा ही सन्नाटा इन दिनों श्रीगंगानगर के पासपोर्ट कार्यालय में पसरा हुआ है. सरकार की गाइडलाइन के बाद पासपोर्ट कार्यालय तो खोले दिए गए हैं, लेकिन संक्रमण का भय लोगों में इतना है कि अब पासपोर्ट कार्यालय में आने से डर रहे हैं.

कोरोना संक्रमण व लॉकडाउन से पहले श्रीगंगानगर के पासपोर्ट कार्यालय में हर रोज 200 लोग पासपोर्ट के लिए आते थे, लेकिन अब पासपोर्ट कार्यालय में गिने चुने लोग ही नजर आते हैं. जहां लंबी लाइनों में खड़े होकर लोग अपने पारी का इंतजार करते थे. अब उन्हें इंतजार नहीं करना पड़ता है, बल्कि सीधे वे संबंधित अधिकारी के पास जाकर अपना काम चंद मिनटों में करवा लेते हैं. पासपोर्ट दफ्तर में भी भीड़ नजर नहीं आती है, क्योंकि यहां पर कार्मिकों की संख्या भी विदेश मंत्रालय ने अब कम कर दी है. केवल एक क्लर्क ही पासपोर्ट से जुड़ी फाइलें संभाल रहा है.

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वहीं, दफ्तर में पासपोर्ट बनवाने के लिए रोजाना 10 से 20 लोग ही मुश्किल से आ रहे हैं. पासपोर्ट बनवाने के लिए आने वाले लोगों की संख्या कम होने से अब पासपोर्ट दफ्तर में काम का बोझ भी कम हो गया है. जिसके चलते अब पासपोर्ट के लिए आ रहे गिने-चुने लोगों का काम हाथों हाथ हो जाता है. पासपोर्ट बनवाने आई छात्रा ने बताया कि उसका काम आसानी से हो गया. पासपोर्ट कार्यालय में ड्यूटी संभाल रहे आशीष गोयल बताते हैं कि दफ्तर में अब वे अकेले ही कार्य करते हैं.

पासपोर्ट से संबंधित रोजाना की फाइलें पोस्ट ऑफिस में जमा करवाकर जयपुर भिजवाई जाती है. जिसके बाद आवेदकों को संबंधित पुलिस थाना में पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए बुलाया जाता है. साथ ही लॉकडाउन से पहले यहां पासपोर्ट अधिकारी रितेश गुप्ता अपनी सेवाएं दे रहे थे. जबकि अब विदेश मंत्रालय ने उन्हें जयपुर दफ्तर में पद स्थापित कर दिया है. अब जैसे-जैसे पासपोर्ट बनवाने के लिए आने वाले लोगों की संख्या में इजाफा होगा, वैसे कार्मिकों की जरूरत भी बढ़ेगी. ऐसे में विदेश मंत्रालय की तैयारी भी उसी हिसाब से रहेगी.

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