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श्रीगंगानगर: सरकार और परिवहन मंत्री पर रोडवेज कर्मचारियों ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

मंगलवार को राज्य भर के कर्मचारियों ने श्रीगंगानगर के केंद्रीय बस स्टैंड पर एक घंटा कार्य बहिष्कार किया. इस दौरान यूनियन कर्मचारियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि परिवहन विभाग के अंदर चल रहे घोटाले से ऊपरी मंत्री भी जुड़े हुए हैं.

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रोडवेज कर्मचारियों ने दिया धरना
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Published : Feb 25, 2020, 9:26 PM IST

श्रीगंगानगर. जिले के केंद्रीय बस स्टैंड पर राज्य भर के कर्मचारिओं ने धरना दिया. धरने पर बैठे रोडवेज कर्मचारियों का आरोप है कि राज्य सरकार की ओर से हर महीने 45 करोड़ सहायता के रूप में रोडवेज कर्मचारियों को दिए जाते थे. इस बार मुख्यमंत्री ने बजट में इसकी घोषणा नहीं की है.

रोडवेज कर्मचारियों ने दिया धरना

कर्मचारियों ने कहा कि इससे पता चलता है कि सरकार रोडवेज को बंद करना चाहती है. रोडवेज यूनियन की चार मांग सरकार से जुड़ी हुई है. साल 2018 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और परिवहन मंत्री ने वादा किया था कि अगर वे सत्ता मे आए, तो रोडवेज कर्मचारियों को सातवां वेतन लागू करवाया जाएगा. साथ ही नई बसें, नई भर्ती और रोडवेज के रिटायर्ड कर्मचारियों को भुगतान किया जाएगा. लेकिन डेढ़ साल बाद भी राज्य सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया है. बल्कि सहायता के रूप में रोडवेज को मिल रहे 45 करोड़ रुपए भी बजट में घोषणा नहीं की है.

यह भी पढ़ें- नागौरः सार्वजनिक तालाब से पानी भरने को लेकर विवाद, आमने-सामने हुए 2 गांवों के लोग

रोडवेज कर्मचारियों की मानें, तो सरकार में बैठे मंत्री बड़े नेता खुद भ्रष्टाचार में लिपटे हुए हैं. जबकि रोडवेज को बदनाम किया जा रहा है. रोडवेज घाटे में नहीं है, बल्कि रोडवेज कर्मचारी प्रदेश की जनता को अच्छी सेवा दे रहा है. उन्होंने कहा कि अपने 8 घंटे की ड्यूटी के बजाय 14 घंटे ड्यूटी देकर रोडवेज कर्मचारी रोडवेज को जिंदा रखे हुए हैं.

श्रीगंगानगर. जिले के केंद्रीय बस स्टैंड पर राज्य भर के कर्मचारिओं ने धरना दिया. धरने पर बैठे रोडवेज कर्मचारियों का आरोप है कि राज्य सरकार की ओर से हर महीने 45 करोड़ सहायता के रूप में रोडवेज कर्मचारियों को दिए जाते थे. इस बार मुख्यमंत्री ने बजट में इसकी घोषणा नहीं की है.

रोडवेज कर्मचारियों ने दिया धरना

कर्मचारियों ने कहा कि इससे पता चलता है कि सरकार रोडवेज को बंद करना चाहती है. रोडवेज यूनियन की चार मांग सरकार से जुड़ी हुई है. साल 2018 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और परिवहन मंत्री ने वादा किया था कि अगर वे सत्ता मे आए, तो रोडवेज कर्मचारियों को सातवां वेतन लागू करवाया जाएगा. साथ ही नई बसें, नई भर्ती और रोडवेज के रिटायर्ड कर्मचारियों को भुगतान किया जाएगा. लेकिन डेढ़ साल बाद भी राज्य सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया है. बल्कि सहायता के रूप में रोडवेज को मिल रहे 45 करोड़ रुपए भी बजट में घोषणा नहीं की है.

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रोडवेज कर्मचारियों की मानें, तो सरकार में बैठे मंत्री बड़े नेता खुद भ्रष्टाचार में लिपटे हुए हैं. जबकि रोडवेज को बदनाम किया जा रहा है. रोडवेज घाटे में नहीं है, बल्कि रोडवेज कर्मचारी प्रदेश की जनता को अच्छी सेवा दे रहा है. उन्होंने कहा कि अपने 8 घंटे की ड्यूटी के बजाय 14 घंटे ड्यूटी देकर रोडवेज कर्मचारी रोडवेज को जिंदा रखे हुए हैं.

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