श्रीगंगानगर. किसी भी रसोई का जायका बिना आलू प्याज के बढ़ ही नहीं सकता है. ये दोनों बेसिक सब्जी है, जिसके बिना स्वाद के मायने और कोई भी सब्जी अधूरी ही रहेगी. त्योहारी सीजन ने आलू-प्याज के भाव (rate of potato and onion) बढ़ा दिए हैं. ऐसे में गरीबों और मध्यम वर्ग के जेबों पर दोनों सब्जियां भार डाल रही हैं. वहीं कभी जिस सेब के दाम कभी आसमान छूते थे, उसके दाम जमीन पर आ गिरे हैं.
बता दें कि आलू-प्याज को रसोई की शान कहा जाता था लेकिन समय के साथ महंगाई की मार दोनों पर इस कदर पड़ रही है कि अब आलु-प्याज गरीब की थाली से दूर होता जा रहा है. आलू और प्याज के आसमान छूते भाव के कारण सामान्य वर्ग से आलू भी दूर होने लगा है. वहीं सेब सस्ता होने से व्यापारी इसे अब गरीब आदमी की पहुंच में बता कर सेव खाने की आदत डालने की बात कर रहे हैं.
आलु-प्याज के भाव बढ़े तो सेब धड़ाम
अपने स्वाद के लिए प्रसिद्ध कश्मीरी व हिमाचल प्रदेश का सेव अब बाजार में 40 रुपए किलोग्राम तक मिल जाएगा. वहीं आलू-प्याज के भाव सामान्यत 50 से 60 रुपए होने के कारण गरीब को रूला रहे हैं. सेब का सस्ता होने का कारण इस बार हिमाचल और कश्मीर में सेब का बंपर उत्पादन होना भी बताया जा रहा है.
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किसी जमाने में कहा जाता था कि सेब जैसा फल बादशाहों को नसीब होता है लेकिन इस बार सेब का दाम औंधे मुंह गिरा है.
इससे अब अमीरों की पहुंच वाला सेब अब समान्य वर्ग खरीद सकता है लेकिन गरीब को आलू प्याज पकाने के लिए सोचना पड़ रहा है.
सेब सस्ते पर खरीद नहीं रहे ग्राहक
कोरोना काल में मध्यम वर्ग की हालत इतनी खराब हो गई है कि आलू प्याज ने उनके रसोई का बजट बिगाड़ दिया है. ऐसे में मध्यम वर्ग रसोई का समीकरम बिठाने के लिए संभल कर खर्च कर रहा है.
यही वजह है कि श्रीगंगानगर में सेब सस्ते हैं लेकिन उसे कोई खरीदने को तैयार नहीं है. ऐसे में व्यापारी इस बार सेब सस्ते होने के भले ही कोई कारण बताए लेकिन जिस तरह से श्रीगंगानगर के बाजार में सेब के भाव गिरे हैं, उससे सेब आम आदमी की पहुंच में आ तो गया है लेकिन कोरोना ने आर्थिक हालत इतनी खराब कर दी है कि लोग सस्ता सेब भी कम ही खरीद रहे हैं.
फुटकर विक्रेता परेशान
यहीं कारण है की फुटकर विक्रेता बाजार में मंदी की मार का रोना रो रहे हैं. सब्जी मंडी से लेकर फल मंडी में हालात यह हैं कि यहां चारों तरफ सेव ही नजर आ रहे हैं. वहीं आलू-प्याज रेहड़ियों पर लिमिट मात्रा में ही नजर आता है.
अमीरों के फल सेव को भले ही बंपर उत्पादन के चलते भाव नीचे हैं, जिससे आम आदमी की पहुंच में आ गया है लेकिन मांग बढ़ने के साथ अगर सेब के भाव में अचानक तेजी आ गई तो गरीब आलू-प्याज के साथ-साथ सेब खाने से भी महरूम हो जाएंगे. बाजार में मंदी होने के बाद भी आलू प्याज उसी तेजी के साथ बिक रहा है.