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लंदन की धरती पर भारतीय संस्कृति की धूम, परंपरागत तरीके से दादा खेड़ा को लगाई धोक

लंदन की धरती पर बसे श्रीगंगानगर के युवाओं ने अपनी पुरानी परंपराओं को जीवित रखते हुए लोक देवता की पूजा की. इस कार्यक्रम में फ्रांस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, दुबई, जापान और जर्मनी सहित विभिन्न देशों में रह रहे प्रवासी भारतीय एनआरआई शामिल हुए.

लंदन में दादा खेड़ा की पूजा, Worship of Dada Kheda in London
लंदन की धरती पर भारतीय संस्कृति की धूम
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Published : Jun 29, 2020, 12:01 PM IST

श्रीगंगानगर. वर्तमान में पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से डरी हुई है. अमीर हो या गरीब, हर वर्ग इस वक्त कोरोना से जंग लड़ रहा है. ऐसे में लंदन में रहने वाले श्रीगंगानगर के प्रवासी भारतीय अपनी हिंदू परंपराओं और मान्यताओं को बढ़ाने का भी कार्य कर रहे हैं. विदेश धरती पर रहने वाले श्रीगंगानगर के कुछ युवाओं ने अपने पूर्वजों की याद में पहली बार नई परंपरा की शुरुआत करते हुए लोक देवता की पूजा लंदन में की है.

लंदन में परंपरागत तरीके से दादा खेड़ा को लगाई धोक

हरियाणवी गीतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की तर्ज पर अब विदेशों में बसे भारतीयों को दादा खेड़ा की महिमा बताई गयी. युवाओं ने अपने पूर्वजों की याद में रविवार को लंदन में दादा नगर खेड़ा भैया भोमिया जठेरा की धोक पूजा लगाई. ईटीवी भारत को लंदन से कार्यक्रम के संयोजक रोहित अहलावत ने कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि लंदन की धरती पर लोक देवता दादा भोमिया की पूजा का कार्यक्रम हिंदू परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार पहली बार हुआ है. जिसमें दुनिया भर में रहने वाले भारतीय हिंदुओं ने कार्यक्रम के प्रति श्रद्धा रखते हुए ऑनलाइन धोक लगाई.

पढ़ेंः नाबालिग दुष्कर्म मामले में सांसद ने कांग्रेस पर लगाया आरोप, कहा- राजस्थान सरकार का काम अपराधियों को संरक्षण देना

इस कार्यक्रम में फ्रांस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, दुबई, जापान और जर्मनी सहित विभिन्न देशों में रह रहे प्रवासी भारतीय एनआरआई शामिल हुए. विदेश में बसे हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड के युवाओं ने अपनी सभ्यता और संस्कृति से नई पीढ़ी को अवगत कराने के लिए यह पहल की है. परंपरागत तरीके से दादा नगर खेड़े का प्रतीक चिह्न बना कर महिलाओं की अगुवाई में धोक लगाकर ज्योत की गयी. कार्यक्रम का मकसद विदेश में भारत की नई पीढ़ी को अपने पुरखों के अध्यात्म और संस्कृति से जोड़ने का है.

पढ़ेंः पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन आज, गहलोत-पायलट रहेंगे मौजूद

युवाओं की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में पहली बार बड़ी संख्या में दुनिया के अलग-अलग कोनों से भारतीय परंपराओं को मानने वाले लोगों ने भाग लिया. वहीं, महिलाओं ने हरियाणवी वेशभूषा और भाषा में कार्यक्रम का आयोजन किया. महिलाओं के लोकगीत ने कार्यक्रम में धूम मचा दी. इस कार्यक्रम में डॉ. मीनाक्षी डबास, निशा अहलावत, नीलम बालियान, मंजू तोमर, मोना अहलावत, रेखा लकरा सहित कई अन्य लोग भी मैजूद रहे.

श्रीगंगानगर. वर्तमान में पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से डरी हुई है. अमीर हो या गरीब, हर वर्ग इस वक्त कोरोना से जंग लड़ रहा है. ऐसे में लंदन में रहने वाले श्रीगंगानगर के प्रवासी भारतीय अपनी हिंदू परंपराओं और मान्यताओं को बढ़ाने का भी कार्य कर रहे हैं. विदेश धरती पर रहने वाले श्रीगंगानगर के कुछ युवाओं ने अपने पूर्वजों की याद में पहली बार नई परंपरा की शुरुआत करते हुए लोक देवता की पूजा लंदन में की है.

लंदन में परंपरागत तरीके से दादा खेड़ा को लगाई धोक

हरियाणवी गीतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की तर्ज पर अब विदेशों में बसे भारतीयों को दादा खेड़ा की महिमा बताई गयी. युवाओं ने अपने पूर्वजों की याद में रविवार को लंदन में दादा नगर खेड़ा भैया भोमिया जठेरा की धोक पूजा लगाई. ईटीवी भारत को लंदन से कार्यक्रम के संयोजक रोहित अहलावत ने कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि लंदन की धरती पर लोक देवता दादा भोमिया की पूजा का कार्यक्रम हिंदू परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार पहली बार हुआ है. जिसमें दुनिया भर में रहने वाले भारतीय हिंदुओं ने कार्यक्रम के प्रति श्रद्धा रखते हुए ऑनलाइन धोक लगाई.

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इस कार्यक्रम में फ्रांस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, दुबई, जापान और जर्मनी सहित विभिन्न देशों में रह रहे प्रवासी भारतीय एनआरआई शामिल हुए. विदेश में बसे हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड के युवाओं ने अपनी सभ्यता और संस्कृति से नई पीढ़ी को अवगत कराने के लिए यह पहल की है. परंपरागत तरीके से दादा नगर खेड़े का प्रतीक चिह्न बना कर महिलाओं की अगुवाई में धोक लगाकर ज्योत की गयी. कार्यक्रम का मकसद विदेश में भारत की नई पीढ़ी को अपने पुरखों के अध्यात्म और संस्कृति से जोड़ने का है.

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युवाओं की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में पहली बार बड़ी संख्या में दुनिया के अलग-अलग कोनों से भारतीय परंपराओं को मानने वाले लोगों ने भाग लिया. वहीं, महिलाओं ने हरियाणवी वेशभूषा और भाषा में कार्यक्रम का आयोजन किया. महिलाओं के लोकगीत ने कार्यक्रम में धूम मचा दी. इस कार्यक्रम में डॉ. मीनाक्षी डबास, निशा अहलावत, नीलम बालियान, मंजू तोमर, मोना अहलावत, रेखा लकरा सहित कई अन्य लोग भी मैजूद रहे.

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