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एक ऐसा अस्पताल जहां पंजाब से भी इलाज के लिए आते हैं रोगी

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Published : Feb 1, 2020, 3:08 PM IST

श्रीगंगानगर में एक ऐसा अस्पताल है जहां जिले भर के अलावा पंजाब से भी लोग इलाज करवाने आ रहे हैं. इस जिला अस्पताल में सुविधाओं को और बेहतर बनाने के लिए नई-नई योजानाओं को लाया जा रहा है.

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श्रीगंगानगर जिला अस्पताल

श्रीगंगानगर. एक ऐसा जिला अस्पताल जहां न केवल राजस्थान के मरीज इलाज करवाने हर रोज आते हैं, बल्कि पंजाब के भी महिलाएं, पुरुष और बच्चे बडी संख्या में इलाज करवाने के लिए इस अस्पताल में आते हैं. इसे राजस्थान सरकार की स्वास्थ्य से जुडी योजनाओं का असर ही कहेंगे कि इस अस्पताल में हर रोज तीन हजार के करीब मरीज आते हैं.

श्रीगंगानगर जिला अस्पताल

श्रीगंगानगर जिला अस्पताल में भले ही कम सुविधाओं, डॉक्टर्स के खाली पद, नर्सिंग स्टाफ और तकनीकी स्टाफ की कमी है, लेकिन जिला अस्पताल के पीएमओ कि बेहतरीन मैनेजमेंट व्यवस्था के चलते इन तमाम सारे खाली पदों के बाद भी यहां आने वाले रोगियों को सस्ता व बेहतर इलाज मिल रहा है.

यह भी पढे़ं- बजट 2020 : चुनौतियां और उम्मीदें, 'क्या फील गुड का होगा अहसास'

खुशी की बात यह है कि इस जिला अस्पताल में 11 करोड़ रुपए की लागत से एक ऐसा भवन बनेगा बन रहा है, जिससे आने वाले समय में न केवल प्रसूताओं को, बल्कि नवजात बच्चों को भी बेहतर इलाज मिलेगा. एमसीएच यूनिट चालू होने के बाद प्रसव के दौरान होने वाली मौतों पर भी रोक लगेगी. साथ ही नवजात बच्चों की भी मरने से बचाया जाएगा. आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित यह भवन अपने अंतिम चरण में हैं. 11 करोड़ रुपए की लागत से बनकर यूनिट चालू होने के बाद कैसी सुविधाएं मिलेगी, इसके बारे में पूरी जानकारी ईटीवी भारत को दी जिला अस्पताल के पीएमओ केशव कामरा ने क्या कहा आप भी सुनिए.

  • जिला अस्पताल भवन में नया भवन मिलने से 55 हजार वर्ग फुट निर्मित जगह होगी. इससे हर काम के लिए अलग-अलग कमरे होंगे.
  • वर्तमान एमसीएच भवन तंग जगह पर है. बेड से बेड की दूरी सेंट्रल लाइन से ढाई मीटर फासले पर होने का निर्धारित मापदंड पूरा नहीं हो रहा है.
  • इस भवन में निर्धारित मापदंड के अनुसार होने से संक्रमण का खतरा न के बराबर होगा.
  • भवन में 16 बेड का प्री लेबर रूम अलग होगा, इसमें प्रसव से पहले प्रसूताओं को रखा जाएगा.
  • वहीं, लेबर रूम में टेबल की संख्या 5 से बढ़कर 10 तक हो जाएगी. एक साथ ज्यादा प्रशव करवाए जा सकेंगे. वर्तमान में प्री लेबर रूम में 7 बेड ही है. वार्ड में सभी मरीजों को एक साथ ही रखा जाए जाता है.

यह भी पढ़ें- बजट 2020 : जानें स्वास्थ्य क्षेत्र में क्या मिल सकता है खास

  • नए एमसीएच में 11 कोटेज कमरे भी होंगे. फिलहाल अस्पताल में नए भवन में लिफ्ट लगेगी. इसमें भर्ती जच्चा-बच्चा को किसी जांच, ओटी और अन्य काम के लिए भूतल से पहली मंजिल पर ले जाने के लिए स्ट्रेचर धकेल कर ले जाने की दुविधा नहीं होगी.
  • लिफ्ट से ही मरीज के परिजनों को पहली मंजिल पर ले जाया जा सकेगा. नए एमसीएच में हर बेड पर ऑक्सीजन की पाइप लाइन से सप्लाई करने की व्यवस्था होगी. यानी 100 गायनिक बेड और 24 बेड की नर्सरी सहित करीब सवा सौ ऑक्सीजन सप्लाई कनेक्शन होंगे.
  • ऑक्सीजन सप्लाई की पाइप लाइन बिछाने में 16 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे. ऑक्सीजन सिलेंडर इधर-उधर उठाकर ले जाने की मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी. जरूरत पड़ने पर मरीज को तुरंत ही अक्सीजन लगाई जा सकेगी.
  • वर्तमान में जिला अस्पताल में एमसीएच की छमता 50 बेड है. इसमें औसतन 100 मरीज रोजाना भर्ती होते हैं. व्यवस्थाएं बनाए रखने के लिए 117 बेड लगाए हुए हैं.
  • बरामदे में भी कुछ बैड लगाने पढ़ रहे हैं. ऐसे में सो बैड बनने से समस्याओं का समाधान होगा.

श्रीगंगानगर. एक ऐसा जिला अस्पताल जहां न केवल राजस्थान के मरीज इलाज करवाने हर रोज आते हैं, बल्कि पंजाब के भी महिलाएं, पुरुष और बच्चे बडी संख्या में इलाज करवाने के लिए इस अस्पताल में आते हैं. इसे राजस्थान सरकार की स्वास्थ्य से जुडी योजनाओं का असर ही कहेंगे कि इस अस्पताल में हर रोज तीन हजार के करीब मरीज आते हैं.

श्रीगंगानगर जिला अस्पताल

श्रीगंगानगर जिला अस्पताल में भले ही कम सुविधाओं, डॉक्टर्स के खाली पद, नर्सिंग स्टाफ और तकनीकी स्टाफ की कमी है, लेकिन जिला अस्पताल के पीएमओ कि बेहतरीन मैनेजमेंट व्यवस्था के चलते इन तमाम सारे खाली पदों के बाद भी यहां आने वाले रोगियों को सस्ता व बेहतर इलाज मिल रहा है.

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खुशी की बात यह है कि इस जिला अस्पताल में 11 करोड़ रुपए की लागत से एक ऐसा भवन बनेगा बन रहा है, जिससे आने वाले समय में न केवल प्रसूताओं को, बल्कि नवजात बच्चों को भी बेहतर इलाज मिलेगा. एमसीएच यूनिट चालू होने के बाद प्रसव के दौरान होने वाली मौतों पर भी रोक लगेगी. साथ ही नवजात बच्चों की भी मरने से बचाया जाएगा. आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित यह भवन अपने अंतिम चरण में हैं. 11 करोड़ रुपए की लागत से बनकर यूनिट चालू होने के बाद कैसी सुविधाएं मिलेगी, इसके बारे में पूरी जानकारी ईटीवी भारत को दी जिला अस्पताल के पीएमओ केशव कामरा ने क्या कहा आप भी सुनिए.

  • जिला अस्पताल भवन में नया भवन मिलने से 55 हजार वर्ग फुट निर्मित जगह होगी. इससे हर काम के लिए अलग-अलग कमरे होंगे.
  • वर्तमान एमसीएच भवन तंग जगह पर है. बेड से बेड की दूरी सेंट्रल लाइन से ढाई मीटर फासले पर होने का निर्धारित मापदंड पूरा नहीं हो रहा है.
  • इस भवन में निर्धारित मापदंड के अनुसार होने से संक्रमण का खतरा न के बराबर होगा.
  • भवन में 16 बेड का प्री लेबर रूम अलग होगा, इसमें प्रसव से पहले प्रसूताओं को रखा जाएगा.
  • वहीं, लेबर रूम में टेबल की संख्या 5 से बढ़कर 10 तक हो जाएगी. एक साथ ज्यादा प्रशव करवाए जा सकेंगे. वर्तमान में प्री लेबर रूम में 7 बेड ही है. वार्ड में सभी मरीजों को एक साथ ही रखा जाए जाता है.

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  • नए एमसीएच में 11 कोटेज कमरे भी होंगे. फिलहाल अस्पताल में नए भवन में लिफ्ट लगेगी. इसमें भर्ती जच्चा-बच्चा को किसी जांच, ओटी और अन्य काम के लिए भूतल से पहली मंजिल पर ले जाने के लिए स्ट्रेचर धकेल कर ले जाने की दुविधा नहीं होगी.
  • लिफ्ट से ही मरीज के परिजनों को पहली मंजिल पर ले जाया जा सकेगा. नए एमसीएच में हर बेड पर ऑक्सीजन की पाइप लाइन से सप्लाई करने की व्यवस्था होगी. यानी 100 गायनिक बेड और 24 बेड की नर्सरी सहित करीब सवा सौ ऑक्सीजन सप्लाई कनेक्शन होंगे.
  • ऑक्सीजन सप्लाई की पाइप लाइन बिछाने में 16 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे. ऑक्सीजन सिलेंडर इधर-उधर उठाकर ले जाने की मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी. जरूरत पड़ने पर मरीज को तुरंत ही अक्सीजन लगाई जा सकेगी.
  • वर्तमान में जिला अस्पताल में एमसीएच की छमता 50 बेड है. इसमें औसतन 100 मरीज रोजाना भर्ती होते हैं. व्यवस्थाएं बनाए रखने के लिए 117 बेड लगाए हुए हैं.
  • बरामदे में भी कुछ बैड लगाने पढ़ रहे हैं. ऐसे में सो बैड बनने से समस्याओं का समाधान होगा.
Intro:श्रीगंगानगर : एक ऐसा जिला अस्पताल जहां ना केवल राजस्थान के मरीज इलाज करवाने हर रोज आते हैं बल्कि पंजाब के भी महिलाएं,पुरुष व बच्चे बडी संख्या में इलाज करवाने के लिए इस अस्पताल में आते हैं। इसे राजस्थान सरकार की स्वास्थ्य से जुडी योजनाओं का असर ही कहेंगे कि इस अस्पताल में हर रोज तीन हजार के करीब मरीज आते हैं।श्रीगंगानगर जिला अस्पताल में भले ही कम सुविधाओं,डॉक्टर्स के खाली पद,नर्सिंग स्टाफ व तकनीकी स्टाफ की कमी है।लेकिन जिला अस्पताल के पीएमओ कि बेहतरिन मैनेजमेंट व्यवस्था के चलते इन तमाम सारे खाली पदों के बाद भी यहां आने वाले रोगियों को सस्ता व बेहतर इलाज मिल रहा है। अब खुशी की बात यह है कि इस जिला अस्पताल में 11 करोड रुपए की लागत से एक ऐसा भवन बनेगा बन रहा है जिससे आने वाले समय में ना केवल प्रसूताओं को बल्कि नवजात बच्चों को भी यहां बेहतर इलाज मिलेगा।एमसीएच यूनिट चालू होने के बाद प्रसव के दौरान होने वाली मौतों पर भी रोक लगेगी साथ ही नवजात बच्चों की भी मरने से बचाया जाएगा।आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित यह भवन अपने अंतिम चरण में हैं। 11 करोड रुपए की लागत से बनकर युनिट चालू होने के बाद कैसी सुविधाएं मिलेगी। इसके बारे में पूरी जानकारी ईटीवी भारत को दी जिला अस्पताल के पीएमओ केशव कामरा ने।क्या कहा जरा आप भी सुनिए।


Body:जिला अस्पताल भवन में नया भवन मिलने से 55 हजार वर्ग फुट निर्मित जगह होगी।इससे हर काम के लिए अलग-अलग कमरे होंगे।वर्तमान एमसीएच भवन तंग जगह पर है।बेड से बेड की दूरी सेंट्रल लाइन से ढाई मीटर फासले पर होने का निर्धारित मापदंड पूरा नहीं हो रहा है।इस भवन में निर्धारित मापदंड के अनुसार होने से संक्रमण का खतरा न के बराबर होगा। भवन में 16 बेड का प्री लेबर रूम अलग होगा। इसमें प्रसव से पहले प्रसूताओं को रखा जाएगा। वही लेबर रूम में टेबल की संख्या 5 से बढ़कर 10 तक हो जाएगी। एक साथ ज्यादा प्रशव करवाए जा सकेंगे। वर्तमान में प्री लेबर रूम में 7 बेड ही है। वार्ड में सभी मरीजों को एक साथ ही रखा जाए जाता है। नए एमसीएच में 11 कोटेज कमरे भी होंगे। फिलहाल अस्पताल में नए भवन में लिफ्ट लगेगी इसमें भर्ती जच्चा-बच्चा को किसी जांच,ओटी व अन्य काम के लिए भूतल से पहली मंजिल पर ले जाने के लिए स्ट्रेचर धकेल कर ले जाने की दुविधा नहीं होगी। लिफ्ट से ही मरीज के परिजनों को पहली मंजिल पर ले जाया जा सकेगा। नए एमसीएच में हर बेड पर ऑक्सीजन की पाइप लाइन से सप्लाई करने की व्यवस्था होगी। यानी 100 गायनिक बेड और 24 बेड की नर्सरी सहित करीब सवा सौ ऑक्सीजन सप्लाई कनेक्शन होंगे। ऑक्सीजन सप्लाई की पाइप लाइन बिछाने में 16 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। ऑक्सीजन सिलेंडर इधर-उधर उठाकर ले जाने की मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। जरूरत पड़ने पर मरीज को तुरंत ही अक्सीजन लगाई जा सकेगी। वर्तमान में जिला अस्पताल में एमसीएच की छमता 50 बेड है। इसमें औसतन 100 मरीज रोजाना भर्ती होते हैं। व्यवस्थाएं बनाए रखने के लिए 117 बेड लगाए हुए हैं। बरामदे में भी कुछ बैड लगाने पढ़ रहे हैं। ऐसे में सो बैड बनने से समस्याओं का समाधान होगा।

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Conclusion:एसा अस्पताल जहाँ खाली पदो के बाद भी मिलता है बेहतर इलाज।
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