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सगली भाषावां ने मान्यता...राजस्थानी ने टालो क्यूं, म्हारी जुबान पर तालो क्यूं

श्रीगंगानगर के सूरतगढ़ में गुरुवार को मातृभाषा दिवस मनाया गया. बता दें कि सरकार ने प्रदेश के सरकारी, निजी स्कूल और कॉलेजों में गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस राजस्थानी भाषा में मनाने के आदेश जारी किए, जिससे सभी राजस्थानी भाषा हैताळुओं में खुशी की लहर है.

श्रीगंगानगर न्यूज , sriganganagar news
श्रीगंगानगर में मनाया गया मातृभाषा दिवस
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Published : Feb 20, 2020, 8:00 PM IST

सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). विशाल शब्दकोश, समृद्ध साहित्य, सांस्कृतिक परंपरा और गौरवशाली इतिहास के बावजूद 76 वर्ष से संवैधानिक मान्यता के लिए बाट जोह रही राजस्थानी भाषा हैताळुओं के लिए खुश खबर है.

सरकार ने प्रदेश के सरकारी-निजी स्कूल और कॉलेजों में गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस राजस्थानी भाषा में मनाने के आदेश जारी किए हैं. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को है, लेकिन महाशिवरात्रि अवकाश होने के कारण एक दिन पूर्व दिवस मनाने के संशोधित आदेश जारी कर दिए गए हैं.

श्रीगंगानगर में मनाया गया मातृभाषा दिवस

जहां जिले के विद्यालयों में गुरुवार को मातृभाषा दिवस मनाया गया. अन्तर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के उपलक्ष में गुरूवार को विद्यालयों में मातृ भाषा दिवस मनाया गया. कार्यक्रम में छात्रों ने कहा कि भाषा को मान्यता नहीं होने से राजस्थान खुला बाड़ा बन गया है. वहीं एक छात्रा ने कहा कि 'सगली भाषावां ने मान्यता, राजस्थानी ने टालो क्यूं, म्हारी जुबान पर तालो क्यूं'.

पीएम और सीएम को ज्ञापन
अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता समिति के प्रदेश महासचिव मनोजकुमार स्वामी ने बताया कि संभाग और जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन के लिए एक माह से तैयारियां की जा रही है. सीएम को 3 सूत्री मांगों का ज्ञापन भेजकर दूसरी राज भाषा का दर्जा देने, प्राथमिक शिक्षा में अनिवार्य रूप से लागू करने और आरटेट में राजस्थानी भाषा को शामिल करने और पीएम से राजस्थानी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की जाएगी.

यह भी पढ़ेंः खेल बजटः ओलम्पिक में गोल्ड पर अब मिलेंगे 3 करोड़ रुपए, राज्य खेलों में क्रिकेट और हैंडबॉल भी शामिल

उन्होंने बताया कि वे भाषा हैताळु मातृभाषा दिवस पर 21 को जिला और संभाग मुख्यालयों पर एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन कर संवैधानिक मान्यता के लिए सीएम और पीएम को ज्ञापन भेजेंगे.

साथ ही इस दिन दिल्ली में साकेत साहू के नेतृत्व में भोजपुरी और अन्य भाषाओं के लिए होने वाले प्रदर्शन में राजस्थानी भाषा हैताळुओं की ओर से महावीर मूंड प्रतिनिधित्व करेंगे और ज्ञापन सौंपेंगे.

क्यों नहीं राजस्थानी भाषा को मान्यता

उन्होंने कहा कि कड़े संघर्ष के बाद आखिरकार बांग्ला को राजभाषा का दर्जा मिला. वहीं, भाषा की मान्यता के आंदोलन में जान गंवाने वाले शहीदों की याद में 21 फरवरी 1952 को शहीद स्मारक बना और 1956 में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाना शुरू हुआ.

पढ़ेंः संस्था प्रधानों की वाकपीठ संगोष्ठी आयोजित, एसडीएम बोले शिक्षक ही बना सकते हैं देश को 'विश्व गुरु'

दुर्भाग्य की बात है कि 1944 में बंगाल के दिनाजपुर में हुए राजस्थानी सम्मेलन में राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर उठी मांग 76 साल बाद भी पूरी नहीं हुई है. तत्कालीन प्रदेश सरकार ने 25 अगस्त 2003 को विधानसभा में राजस्थानी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित कर केंद्र सरकार को भिजवा दिया था, जो 17 वर्षों से केंद्र सरकार के पास लंबित पड़ा है.

सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). विशाल शब्दकोश, समृद्ध साहित्य, सांस्कृतिक परंपरा और गौरवशाली इतिहास के बावजूद 76 वर्ष से संवैधानिक मान्यता के लिए बाट जोह रही राजस्थानी भाषा हैताळुओं के लिए खुश खबर है.

सरकार ने प्रदेश के सरकारी-निजी स्कूल और कॉलेजों में गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस राजस्थानी भाषा में मनाने के आदेश जारी किए हैं. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को है, लेकिन महाशिवरात्रि अवकाश होने के कारण एक दिन पूर्व दिवस मनाने के संशोधित आदेश जारी कर दिए गए हैं.

श्रीगंगानगर में मनाया गया मातृभाषा दिवस

जहां जिले के विद्यालयों में गुरुवार को मातृभाषा दिवस मनाया गया. अन्तर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के उपलक्ष में गुरूवार को विद्यालयों में मातृ भाषा दिवस मनाया गया. कार्यक्रम में छात्रों ने कहा कि भाषा को मान्यता नहीं होने से राजस्थान खुला बाड़ा बन गया है. वहीं एक छात्रा ने कहा कि 'सगली भाषावां ने मान्यता, राजस्थानी ने टालो क्यूं, म्हारी जुबान पर तालो क्यूं'.

पीएम और सीएम को ज्ञापन
अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता समिति के प्रदेश महासचिव मनोजकुमार स्वामी ने बताया कि संभाग और जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन के लिए एक माह से तैयारियां की जा रही है. सीएम को 3 सूत्री मांगों का ज्ञापन भेजकर दूसरी राज भाषा का दर्जा देने, प्राथमिक शिक्षा में अनिवार्य रूप से लागू करने और आरटेट में राजस्थानी भाषा को शामिल करने और पीएम से राजस्थानी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की जाएगी.

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उन्होंने बताया कि वे भाषा हैताळु मातृभाषा दिवस पर 21 को जिला और संभाग मुख्यालयों पर एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन कर संवैधानिक मान्यता के लिए सीएम और पीएम को ज्ञापन भेजेंगे.

साथ ही इस दिन दिल्ली में साकेत साहू के नेतृत्व में भोजपुरी और अन्य भाषाओं के लिए होने वाले प्रदर्शन में राजस्थानी भाषा हैताळुओं की ओर से महावीर मूंड प्रतिनिधित्व करेंगे और ज्ञापन सौंपेंगे.

क्यों नहीं राजस्थानी भाषा को मान्यता

उन्होंने कहा कि कड़े संघर्ष के बाद आखिरकार बांग्ला को राजभाषा का दर्जा मिला. वहीं, भाषा की मान्यता के आंदोलन में जान गंवाने वाले शहीदों की याद में 21 फरवरी 1952 को शहीद स्मारक बना और 1956 में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाना शुरू हुआ.

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दुर्भाग्य की बात है कि 1944 में बंगाल के दिनाजपुर में हुए राजस्थानी सम्मेलन में राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर उठी मांग 76 साल बाद भी पूरी नहीं हुई है. तत्कालीन प्रदेश सरकार ने 25 अगस्त 2003 को विधानसभा में राजस्थानी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित कर केंद्र सरकार को भिजवा दिया था, जो 17 वर्षों से केंद्र सरकार के पास लंबित पड़ा है.

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