श्रीगंगानगर. आखिर वही हुआ जिसका अंदाजा लगाया जा रहा था, सभापति करुणा चांडक की ओर से नगर परिषद सभागार में रखा गया स्नेह मिलन समारोह भारी विरोध में तब्दील हो गया. पार्षदों के कार्यक्रम प्रारंभ होते ही सभापति से सवाल किया कि यह समारोह बोर्ड बैठक है या स्नेह मिलन.
नगर परिषद में ऐसा पहली बार है कि आयुक्त और सभापति ने अलग-अलग पत्र जारी किए. पार्षदों ने कहा कि आज शहर की हालात यह है कि वार्डों में सफाई नहीं हो रही, आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है, जगह-जगह गंदगी के ढ़ेर लगे हुए हैं. नालियों का पानी सड़क पर आ रहा है.
नगर परिषद में फोन करते हैं तो आयुक्त के साथ ही अन्य अधिकारी भी फोन रिसीव नहीं करते. परिषद में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है. इन हालातों में विकास की बात करना भी बेमानी होगा. बैठक के दौरान आयुक्त प्रियंका बुड़ानिया ने भ्रष्टाचार के आरोपों को निराधार बताया. रोचक यह रहा कि सभापति करुणा चांडक ने स्नेह मिलन तो बुलाया लेकिन, खुद कुछ भी नहीं बोली.
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वहीं पार्षदों की समस्या सुनने के बाद विधायक राजकुमार गौड़ ने कहा कि राज्य सरकार की मंशा है कि आमजनता के अधिक से अधिक काम हो. वार्डो में पार्षद जनता से सिधे जुडे होते हैं ऐसे में वार्ड के लोग अपनी समस्या उन्हे ही बताएंगे, मगर परिषद अधिकारी और आयुक्त जनप्रतिनिधियों का फोन नहीं उठाना गम्भीर समस्या है.
सीएम अशोक गहलोत के आदेश पर आईएएस अधिकारी भी फोन रिसीव करते हैं. ऐसे में आयुक्त को भी सरकार के आदेश की पालना करनी चाहिए. सभी एक होकर काम करेंगे तभी शहर का विकास हो सकता है. वार्ड 61 के पार्षद संजय बिश्नोई ने आयुक्त प्रियंका बुड़ानिया पर निशाना साधा. बिश्नोई ने कहा कि नामांतरण के खेल से हर कोई वाकिफ है. आयुक्त ने आचार संहिता के दौरान गलत तरीके से नामांतरण किए हैं.
इसी तरह पार्षद बबीता गौड़, रमेश चंद्र शर्मा, कमला बिश्नोई, रितु धवन, अशोक गुजराल, विजेंद्र स्वामी ने अपने-अपने वार्ड की समस्याएं बैठक में रखी. कुल मिलाकर स्नेह मिलन के नाम पर बुलाई गई. बैठक पूरी तरह से वार्डों की समस्या में आकर तब्दील हो गई और किसी प्रकार की रणनीति नहीं बन सकी.