श्रीगंगानगर. बाल दिवस के मौके पर श्रीगंगानगर जिला बाल संरक्षण इकाई एवं बाल अधिकारिता विभाग की ओर से जागरुकता रैली निकाली गई. इस दौरान हुए कार्यक्रम में जिला सेशन न्यायाधीन पवन कुमार वर्मा ने बाल अपराध और हिंसा में बढ़ोतरी के कारण निवारण पर चर्चा की.
वर्मा ने कहा कि बाल अपराध के आंकड़े नई पीढ़ी में बढ़ती निराशा और हिंसक प्रवृत्ति की ओर इशारा करते हैं. सामाजिक नैतिकता का अवमूल्यन,परिवार संस्था का कमजोर पड़ना, बढ़ती व्यवसायिकता और कमजोर कानून इसके कारण हैं. बाल अपराधों की बढ़ती संख्या भविष्य के लिए खतरे का संकेत है.
भारतीय कानून के अनुसार 16 वर्ष की आयु तक के बच्चे अगर कोई ऐसा कार्य करते हैं जो समाज या कानून की नजर में अपराध है तो ऐसे अपराधियों को बाल अपराधी की श्रेणी में रखा जाता है. किशोर न्याय अधिनियम 2000 के अनुसार अगर कोई बच्चा कानून के खिलाफ चला जाता है तो आम आरोपियों की तरह न्यायिक प्रक्रिया से गुजरना अथवा अपराधियों की तरह जेल या फांसी नहीं बल्कि बाल गृहों में सुधार के लिए भेजा जाएगा. भारत में नाबालिग उम्र में अपराध की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है. पिछले एक दशक में बच्चों के खिलाफ अपराध तेजी से बढ़े हैं.
बाल अपराध में मोबाइल और इंटरनेट की भूमिका
अतिरिक्त जिला सेशन न्यायाधीश पवन कुमार वर्मा ने कहा कि जब से मोबाइल और इंटरनेट बालकों के हाथों में आया है उसके बाद से बाल अपराधों में बढ़ोतरी हुई है. बच्चों के लिए जागरुकता कार्यक्रम चलाए जाने की दरकार है. मोबाइल व इंटरनेट का इस्तेमाल बालकों के ज्ञान में बढ़ोतरी के लिए किया जाना चाहिए, इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए.