सिरोही. जिले में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. जहां पर एक बच्चे पर दो युवकों ने उसके पिता होने का दावा किया. दावे के बाद पूरा मामला पहले अदालत फिर बाल संरक्षण आयोग गया. जहां डीएनए जांच के बाद डीएनए से मिलान होने वाले युवक को बच्चा सौंपा गया.
दरअसल, सिरोही में एक अजीबीगरोब मामला सामने आया. जिसमें एक बालक पर 2 लोग पिता होने का दावा कर रहे थे, लेकिन प्रशासन और बाल संरक्षण आयोग की ओर से डीएनए टेस्ट करवाकर बालक को उसके असली पिता को सौंप दिया गया. सिरोही जिले में डीएनए टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर बच्चे को उसके जैविक पिता को सौंपा गया है. जिला बाल संरक्षण समिति के सदस्यों ने राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा संगीता बेनीवाल की मौजूदगी में बच्चे को उसके बायालॉजिकल पिता को सुपुर्द किया.
बाल संरक्षण समिति के सदस्यों के अनुसार मामला सिरोही जिले की रेवदर तहसील और जालोर जिले का है. जालोर की एक युवती का शादी के पहले एक युवक से प्रेम प्रसंग था. 2014 में युवती की शादी दूसरे युवक से होने के बाद 2017 तक वह अपने ससुराल में रही. इन तीन सालों में वह अपने प्रेमी के संपर्क में भी आई. 2017 के अंत में ही युवती ने एक बच्चे को जन्म दिया, जिसके बाद वह बच्चे को लेकर अपने प्रेमी के साथ जालोर चली गई. प्रेमी के साथ युवती लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगी. वहीं 2020 में युवती की मौत हो गई. महिला की मौत के बाद उसके पति ने रेवदर उपखंड अधिकारी से बच्चे को दिलवाने की न्यायिक गुहार लगाई.
पढ़ें- दर्दनाक दास्तां: मोहब्बत में लांघी 'सीमा', पाक में बंदी और अब वतन वापसी की उम्मीद में परिवार...
इधर प्रेमी ने भी बच्चे पर अपना दावा पेश किया. रेवदर उपखण्ड अधिकारी ने मामले की जानकारी जिला बाल अधिकार संरक्षण समिति को दी. समिति ने इस प्रकरण पर संज्ञान लेते हुए बच्चे की कस्टडी ले लिया. बाल अधिकारी संरक्षण समिति ने बच्चे का जैविक पिता मालूम करने के लिए डीएनए टेस्ट करवाने का फैसला किया. डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद शुक्रवार को बाल अधिकार संरक्षण भवन में रह रहे बच्चे को राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा संगीता बेनीवाल, जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद व पुलिस अधीक्षक हिम्मत अभिलाष टांक की मौजूदगी में बच्चे को उसके जैविक पिता को सौंप दिया गया. डीएनए रिपोर्ट के मुताबिक बच्चे का जैविक पिता युवती का प्रेमी नहीं, बल्कि उसका पति ही था.