सिरोही. प्रदेश के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू में डंपिंग यार्ड को लेकर कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. माउंट आबू में रोजाना हजारों टन कचरा निकलता है. इसको लेकर कोई व्यवस्था नहीं होने से कचरा निष्पादन नहीं हो पा रहा है. इससे लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, डंपिग यार्ड के लिए माउंट आबू से 25 किलोमीटर दूर आबूरोड के आमथला में एक जमीन पर डंपिग यार्ड बनाया है. लेकिन, यहां भी खुले में कचरा डाला जा रहा है. इसके चलते आस-पास के लोगों का जीना भी दुश्वार हो गया है.
लाखो पर्यटक आते हैं माउंट आबू
प्रदेश का एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू में गुजरात सहित अन्य प्रदेशों और विदेशों से पर्यटक हर साल लाखों की संख्या में आते हैं. लेकिन, शहर में सूखे और गीले कचरे के निष्पादन को लेकर कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. पर्यटकों के भारी संख्या में आने से माउंट आबू में दोनों ही तरह का कचरा भारी मात्रा में होता है. ऐसे में प्रशासन और राज्य सरकार स्तर पर कचरे के निष्पादन को लेकर योजना बनाई जानी चाहिए .
नगरपालिका भेज चुकी है प्रस्ताव
नगर पालिका कमिश्नर राम किशोर ने बताया कि माउंट आबू में सफाई व्यवस्था दूरुस्त रहे, इसको लेकर इसको लेकर वो विशेष अभियान चला रहे हैं. सभी वार्डों में सफाई व्यवस्था सही हो, इसको लेकर पार्षद के साथ मिलकर प्रयास कर रहे हैं. डोर टू डोर कचरे के लिए अलग से टीम बना रखी है. उन्होंने कहा कि शनिवार, रविवार और छुट्टियों में ज्यादा संख्या में पर्यटक आते हैं. ऐसे में पर्यटन स्थलों पर भारी मात्रा में कचरा होता है. इसको लेकर एक प्रस्ताव बनाया गया है कि एक अलग से सफाई कर्मचारियों की टीम का गठन किया जाए. रात और दिन में यहां सफाई करवाई जाए, जिससे पर्यटन स्थल साफ रह सके. उन्होंने कहा कि कचरे को निष्पादन करने के लिए हमने गीला और सूखा कचरा अलग करने की योजना बनाई है. अभी कचरा आबूरोड में डाला जा रहा है. हमने प्रस्ताव बनाकर भेजा है कि यूआईटी या राज्य सरकार जमीन उपलब्ध करवाए तो एक डंपिंग यार्ड बनाया जा सके. इसको लेकर जिला कलेक्टर के साथ बैठक भी हो चुकी है. शहर साफ हो सके, लेकर पालिका लगातार प्रयास कर रही है. कोशिश की जा रही है कि शहर में सफाई ठीक तरह से हो और पर्यटकों को कोई परेशानी ना हो.
खुले कचरे में भालू तलाशते हैं भोजन
माउंट आबू एक अभ्यारण क्षेत्र है, ऐसे में यहां वन्य जीवों भी बड़ी संख्या में हैं. बड़ी संख्या में भालू माउंट आबू के जंगलों में है. शाम ढलते ही ये भालू भोजन कि तलाश में आबादी क्षेत्र का रुख करते हैं. अशोक वाटिका सहित अन्य जगहों पर जहां कचरे को एकत्रित किया जाता है, वहां भालुओं के झुंड को अक्सर ही देखा जाता है. लेकिन, प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
विधायक और नेता प्रतिपक्ष ने जताई नाराजगी
माउंट आबू विधायक समाराम गरासिया ने कहा कि जब से नगरपालिका में कांग्रेस का बोर्ड बना है, तभी से माउंट आबू में सफाई व्यवस्था चरमरा गई है. शहर में गंदगी का आलम है. डंपिंग यार्ड की कोई व्यवस्था नही है. वहीं, नगरपालिका के नेता प्रतिपक्ष सुनील आचार्य ने कहा कि गीले और सूखा कचरे का सही निष्पादन अलग से हो, इसको लेकर उन्होंने कई बार मुद्दा उठाया. लेकिन, कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. हिल स्टेशन होने की वजह से डंपिंग यार्ड नहीं बन पा रहा है. सरकार को इसके बारे में जल्द फैसला लेकर कचरे का निष्पादन करना चाहिए.
आबूरोड में खुले में डाल जा रहा है कचरा
वर्तमान में माउंट आबू में कचरे को एकत्रित कर आमथला में बने डंपिग यार्ड में खुले में कचरा डाला जा रहा है. पालिका ने अस्थाई तौर पर इसे डंपिंग यार्ड बना रखा है. कचरे के साथ ही मृत पशुओं और जानवरों को भी डाल जा रहा है. इसके चलते आस-पास के लोगों का जीना दूभर हो गया है. इसके विरोध में कई बार धरना प्रदर्शन हो चुके है. लोगो का कहना है कि खुले में कचरा डालना से क्षेत्र में प्रदूषण हो रहा है जिसका उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है.