ETV Bharat / state

रेवदर सीट पर भाजपा-कांग्रेस में कांटे की टक्कर, पंजे ने खेला नए चेहरे पर दांव, यहां जानें सीट का सियासी समीकरण - रेवदर विधानसभा चुनाव 2023

Rajasthan assembly Election 2023, सिरोही के रेवदर विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर होने की संभावना है, क्योंकि दोनों ही पार्टियों ने कोली समाज के प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. वहीं, कोली समाज के मतदाता यहां निर्णायक की भूमिका में हैं.

Rajasthan assembly Election 2023
Rajasthan assembly Election 2023
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 5, 2023, 3:47 PM IST

सिरोही. जिले के रेवदर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने नामांकन कर दिया है. यहां दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. भाजपा ने जगसीराम कोली को प्रत्याशी है, जो पिछले चार बार से विधायक हैं. वहीं, कांग्रेस ने कोली समाज के ही मोतीलाल कोली को मैदान में उतारा है. मोतीलाल कोली वर्तमान में जिला परिषद के सदस्य हैं. हालांकि, इन दोनों ही दलों के इतर बसपा से बीनाराम मेघवाल, भारत आदिवासी पार्टी से गणपत मेघवाल मैदान में हैं.

भाजपा और कांग्रेस की ताकत : रेवदर सीट पर पिछले 20 सालों से भाजपा का कब्जा रहा है. ऐसे में ये सीट भाजपा का गढ़ माना जाता है. जगसीराम कोली क्षेत्र में खासा लोकप्रिय हैं और उनकी छवि बेहतर मानी जाती है. यही वजह है कि उन्हें चुनावों में इसका लाभ भी मिलता रहा है. इसके अलावा यह सीट एससी के लिए आरक्षित है. साथ ही कोली समाज का प्रत्याशी होने से जनरल और ओबीसी वोटरों का रुख भी भाजपा की ओर देखा जाता रहा है, लेकिन इस बार कांग्रेस ने यहां बड़ा दांव खेला है.

इसे भी पढ़ें - Special : मोदी के मुखौटों से लेकर IPL बैलून तक, ये चुनावी प्रचार सामग्रियां हैं 'खास'

वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी मोतीराम कोली पूर्व में प्रधान रह चुके हैं. यहां की स्थानीय समस्याओं से अवगत हैं. साथ ही वर्तमान में उनकी पत्नी बासन ग्राम पंचायत की सरपंच भी हैं. ऐसे में स्थानीय जनता का रुख इस बार कांग्रेस की तरफ भी हो सकता है. इतना ही नहीं मोतीराम कोली का समाज के युवाओं में अच्छी पकड़ होने से इस बार कोली समाज के वोटरों के बंटने की संभावना अधिक है.

दोनों की कमजोरियां : भाजपा प्रत्याशी जगसीराम कोली 20 साल से विधायक होने के बाद भी क्षेत्र में विकास के मुद्दों पर स्थानीय जनता को संतुष्ट नहीं कर पाए हैं. क्षेत्र शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन आदि में अब भी पिछड़ा हुआ है. ऐसे में इस बार युवाओं में परिवर्तन की आस उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. साथ ही कांग्रेस में भी कोली समाज का प्रत्याशी होने से अपने समाज के सम्पूर्ण वोट भी इस बार अपने पक्ष में करने में मुश्किलें देखने को मिलेगी.

इसे भी पढ़ें - राजस्थान : भाजपा ने 15 नामों की 5वीं सूची जारी की, 2 सीटों पर प्रत्याशियों की सीट बदली

कांग्रेस प्रत्याशी मोतीराम कोली पर पहले हिंदू-मुस्लिम दंगों में शामिल होने के अलावा कुछ आपराधिक मामलों में सम्मिलित होने के भी आरोप लगते आए हैं. छवि दबंग के रूप में होने से कहीं न कहीं एक सामान्य प्रत्याशी के रूप में लोग जगसीराम पर भरोसा जता सकते हैं. कुछ बयानबाजियां भी वायरल हो रही हैं. इससे भी क्षेत्र के लोगों की सोच प्रभावित हो सकती हैं.

सीट की खासियत : क्षेत्र के मतदाता पिछले लंबे समय से भाजपा के पक्ष में वोट करते आए हैं. यहां कमल और कांग्रेस की राजनीति पर हमेशा हावी रही है. जब उम्मीदवार नीरज डांगी रहे तब भी समीकरणों को परिवर्तित करने में कमल कांग्रेस राजनीति सक्रिय भूमिका में रही. ऐसे में इस बार लोढ़ा गुट के मोतीराम को इसका सामना करने में भी मुश्किलें पेश आ सकती है.

जातिगत समीकरण व वोटों का दबदबा : यहां कोली, मेघवाल, गरासिया जाति के वोटर सबसे अधिक हैं. इनके अलावा चौधरी, देवासी व जनरल वोटर्स हार जीत तय करते आए हैं. इस बार कोली समाज के दोनों प्रत्याशी होने से वोटों का बंटवारा होने की संभावना है. खास कर युवा वर्ग परिणाम में अहम भूमिका निभा सकता है.

क्षेत्र के चुनावी मुद्दे : चुनावी मुद्दों की बात करें तो क्षेत्र में जिला अस्पताल नहीं है. इसकी मांग लंबे समय से उठती रही है, लेकिन अब तक जिला अस्पताल नहीं बन सका है. रेवदर में किसानों के लिए कृषि मंडी, मंडार सिरोही बाईपास, आबूरोड महिला महाविद्यालय और महिला थाने की मांग सहित हवाई पट्टी के विस्तारीकरण की मांग अहम है.

सिरोही. जिले के रेवदर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने नामांकन कर दिया है. यहां दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. भाजपा ने जगसीराम कोली को प्रत्याशी है, जो पिछले चार बार से विधायक हैं. वहीं, कांग्रेस ने कोली समाज के ही मोतीलाल कोली को मैदान में उतारा है. मोतीलाल कोली वर्तमान में जिला परिषद के सदस्य हैं. हालांकि, इन दोनों ही दलों के इतर बसपा से बीनाराम मेघवाल, भारत आदिवासी पार्टी से गणपत मेघवाल मैदान में हैं.

भाजपा और कांग्रेस की ताकत : रेवदर सीट पर पिछले 20 सालों से भाजपा का कब्जा रहा है. ऐसे में ये सीट भाजपा का गढ़ माना जाता है. जगसीराम कोली क्षेत्र में खासा लोकप्रिय हैं और उनकी छवि बेहतर मानी जाती है. यही वजह है कि उन्हें चुनावों में इसका लाभ भी मिलता रहा है. इसके अलावा यह सीट एससी के लिए आरक्षित है. साथ ही कोली समाज का प्रत्याशी होने से जनरल और ओबीसी वोटरों का रुख भी भाजपा की ओर देखा जाता रहा है, लेकिन इस बार कांग्रेस ने यहां बड़ा दांव खेला है.

इसे भी पढ़ें - Special : मोदी के मुखौटों से लेकर IPL बैलून तक, ये चुनावी प्रचार सामग्रियां हैं 'खास'

वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी मोतीराम कोली पूर्व में प्रधान रह चुके हैं. यहां की स्थानीय समस्याओं से अवगत हैं. साथ ही वर्तमान में उनकी पत्नी बासन ग्राम पंचायत की सरपंच भी हैं. ऐसे में स्थानीय जनता का रुख इस बार कांग्रेस की तरफ भी हो सकता है. इतना ही नहीं मोतीराम कोली का समाज के युवाओं में अच्छी पकड़ होने से इस बार कोली समाज के वोटरों के बंटने की संभावना अधिक है.

दोनों की कमजोरियां : भाजपा प्रत्याशी जगसीराम कोली 20 साल से विधायक होने के बाद भी क्षेत्र में विकास के मुद्दों पर स्थानीय जनता को संतुष्ट नहीं कर पाए हैं. क्षेत्र शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन आदि में अब भी पिछड़ा हुआ है. ऐसे में इस बार युवाओं में परिवर्तन की आस उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. साथ ही कांग्रेस में भी कोली समाज का प्रत्याशी होने से अपने समाज के सम्पूर्ण वोट भी इस बार अपने पक्ष में करने में मुश्किलें देखने को मिलेगी.

इसे भी पढ़ें - राजस्थान : भाजपा ने 15 नामों की 5वीं सूची जारी की, 2 सीटों पर प्रत्याशियों की सीट बदली

कांग्रेस प्रत्याशी मोतीराम कोली पर पहले हिंदू-मुस्लिम दंगों में शामिल होने के अलावा कुछ आपराधिक मामलों में सम्मिलित होने के भी आरोप लगते आए हैं. छवि दबंग के रूप में होने से कहीं न कहीं एक सामान्य प्रत्याशी के रूप में लोग जगसीराम पर भरोसा जता सकते हैं. कुछ बयानबाजियां भी वायरल हो रही हैं. इससे भी क्षेत्र के लोगों की सोच प्रभावित हो सकती हैं.

सीट की खासियत : क्षेत्र के मतदाता पिछले लंबे समय से भाजपा के पक्ष में वोट करते आए हैं. यहां कमल और कांग्रेस की राजनीति पर हमेशा हावी रही है. जब उम्मीदवार नीरज डांगी रहे तब भी समीकरणों को परिवर्तित करने में कमल कांग्रेस राजनीति सक्रिय भूमिका में रही. ऐसे में इस बार लोढ़ा गुट के मोतीराम को इसका सामना करने में भी मुश्किलें पेश आ सकती है.

जातिगत समीकरण व वोटों का दबदबा : यहां कोली, मेघवाल, गरासिया जाति के वोटर सबसे अधिक हैं. इनके अलावा चौधरी, देवासी व जनरल वोटर्स हार जीत तय करते आए हैं. इस बार कोली समाज के दोनों प्रत्याशी होने से वोटों का बंटवारा होने की संभावना है. खास कर युवा वर्ग परिणाम में अहम भूमिका निभा सकता है.

क्षेत्र के चुनावी मुद्दे : चुनावी मुद्दों की बात करें तो क्षेत्र में जिला अस्पताल नहीं है. इसकी मांग लंबे समय से उठती रही है, लेकिन अब तक जिला अस्पताल नहीं बन सका है. रेवदर में किसानों के लिए कृषि मंडी, मंडार सिरोही बाईपास, आबूरोड महिला महाविद्यालय और महिला थाने की मांग सहित हवाई पट्टी के विस्तारीकरण की मांग अहम है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.