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राष्ट्रपति मुर्मू का ब्रह्माकुमारी संस्था से गहरा जुड़ाव, 11 सितंबर से माउंट आबू दौरे पर रहेंगी, तैयारियां शुरू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ​​​​​​​आबूरोड ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में 11 सितंबर से शुरू हो रही ग्लोबल समिट का उद्घाटन करने पहुंचेंगी. जिसके चलते राष्ट्रपति के प्रस्तावित दौरे को लेकर पूरा जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है. शुक्रवार को तमाम अधिकारियों ने शांतिवन में व्यवस्था को परखा.

Mount Abu Tour from 11th September
राष्ट्रपति दौरे को लेकर तैयारियां शुरू
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Published : Sep 2, 2022, 6:52 PM IST

सिरोही. राष्ट्रपति बनने के बाद द्रौपदी मुर्मू अपने दो दिवसीय दौरे पर सिरोही जिले के ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय आबू रोड शांतिवन में पहली बार आ रही हैं. वह 11 सितंबर को शांतिवन में शुरू हो रहे ग्लोबल समिट का उद्घाटन करेंगी. इसके बाद दोपहर में (Preparation for Draupadi Murmu Tour) माउंट आबू स्थित ज्ञान सरोवर अकादमी में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगी. राष्ट्रपति के दो दिवसीय दौरे को लेकर शांतिवन में तैयारियां जोर-शोर से जारी हैं.

वहीं, प्रशासन भी सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर अलर्ट हो गया है. शुक्रवार को एडिशनल कलेक्टर कालूराम खौर, एसपी ममता गुप्ता, सीओ सुमंगला, एसडीएम, तहसीलदार सहित तमाम अधिकारियों ने शांतिवन में व्यवस्था को परखा. साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को लेकर (President Draupadi Murmu Rajasthan Tour) जरूरी दिशा-निर्देश अधिकारियों को दिए. इसके साथ ही राष्ट्रपति अपने दो दिनी दौरे के दौरान राजयोग मेडिटेशन का भी अभ्यास करेंगी.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की स्पीच

मुर्मू का आध्यात्म और राजयोग मेडिटेशन के प्रति विशेष लगाव है, इसका जिक्र वह झारखंड का राज्यपाल रहते हुए भी कई बार सार्वजनिक मंच से कर चुकी हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि जीवन में आध्यात्म की राह अपनाने के बाद उन्हें आगे बढने की प्रेरणा मिली. ब्रह्माकुमारीज का राजयोग मेडिटेशन सीखने के बाद देश की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की जिंदगी और विचारधारा में क्या परिवर्तन आए. कैसे उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को संभाले रखा और आज देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद राष्ट्रपति तक पहुंचीं. यहां जानिए सबकुछ.

राष्ट्रपति रोजाना पढ़ती हैं 'मुरली' : राष्ट्रपति मुर्मू आज भी रोजाना 'मुरली' पढ़ती हैं. दरअसल, ब्रह्माकुमारीज से जुड़े सभी सदस्य अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिए रोजाना परमात्म महावाक्य (जिसे सभी ज्ञान 'मुरली' कहते हैं) पढ़ते और सुनते हैं. संस्थान के सभी सेवाकेंद्र पर एक साथ, एक ही समय पर सुबह 7 बजे से मुरली क्लास शुरू होती है. इसमें परमात्मा जो शिक्षाएं, सावधानियां और मार्गदर्शन देते हैं उसे प्रैक्टिकल जीवन में धारण करने का अभ्यास करते हैं. संस्थान से जुडऩे के बाद लोगों के जीवन में परिवर्तन का यह मुख्य आधार भी है. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि राज्यपाल बनने के बाद प्रोटोकाल के चलते अब रोजाना ब्रह्माकुमारीज सेवाकेंद्र पर जाना नहीं हो पाता है. इसलिए घर पर ही रोज मुरली पढ़ती और सुनती हूं.

अलसुबह 3.30 बजे से शुरू हो जाती है दिनचर्या : राष्ट्रपति मुर्मू की दिनचर्या आज भी अलसुबह 3.30 बजे से शुरू हो जाती है. सबसे पहले वह ज्योति बिंदु स्वरूप (Draupadi Murmu Brahma Kumaris Sirohi) परमपिता शिव परमात्मा का ध्यान करती हैं, जिन्हें सभी प्यार से शिवबाबा कहते हैं. शिवलिंग के आकार की लाल लाइट के बिंदू पर वह अपना ध्यान लगाती हैं. राजयोग मेडिटेशन ध्यान की वह अवस्था है, जिसमें हम खुद को आत्मा समझकर परमपिता परमात्मा को याद करते हैं.

पढ़ें : Presidential Election 2022 : NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का ब्रह्माकुमारी संस्थान से रहा है गहरा लगाव...

परमात्मा के जो गुण और शक्तियां हैं, उनका मन ही मन बुद्धि द्वारा विजुलाइज करने खुद को उनके स्वरूप में स्थित होने के अभ्यास किया जाता है. राजयोग अंतर्जगत की यात्रा है, जिसमें हम स्वचिंतन और परमात्म चिंतन करते हैं. इसके अलावा वह शाम 6.30 बजे से 7.30 बजे तक भी यथासंभव समय होने पर राजयोग मेडिटेशन करती हैं. झारखंड की राज्यपाल रहते हुए मुर्मू ने ब्रह्माकुमारीज संस्थान में दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि आज मैं जो कुछ बोल पाती हूं वह आध्यात्मिक बल के कारण ही बोल पाती हूं. मैंने ज्यादा पढ़ाई नहीं की है, सिर्फ ग्रेजुएट ही किया है, लेकिन कहीं जाती हूं तो किसी भी विषय पर बोल लेती हूं. यह शक्ति परमात्मा ही देते हैं.

2009 में जीवन में आया भूकंप : जीवन के कठिन संघर्ष को याद करते हुए उन्होंने बताया कि बचपन से ही लोगों की भलाई और समाजसेवा करने के बाद भी वर्ष 2009 में मेरे जीवन में भूकंप आ गया. मेरा 25 वर्षीय बड़ा बेटा लक्ष्मण दुनिया छोड़कर चला गया. इस घटना ने मुझे अंदर से झकझोर दिया. दो महीने के लिए डिप्रेशन में चली गई. इस दौरान लोग कहने लगे कि ये तो मर जाएगी. लेकिन मेरे अंदर से आया कि मुझे लोगों के लिए जीना है. फिर मैंने ब्रह्माकुमारी संस्था से संपर्क किया. यहां सात दिन का राजयोग मेडिटेशन का कोर्स करने के बाद मेरे जीवन में अद्भुत परिवर्तन आया. जैसे-जैसे राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास बढ़ता गया तो मेरा दुख कम होता गया.

2013 में जिंदगी में आया फिर से भूचाल : इस घटना से उबरी ही थी कि फिर 2 जनवरी 2013 में जिंदगी ने दोबारा परीक्षा ली. दूसरे बेटे सिपुन ने सड़क दुर्घटना में शरीर छोड़ दिया. चूकि मैं पहले से मेडिटेशन कर रही थी तो इस बार कुछ कम धक्का लगा. ब्रह्माकुमारी बहनों ने मेरी काउंसलिंग की तो धीरे-धीरे यह दुख सहन करने की भी शक्ति आ गई. दो बेटों की मौत के बाद मेरे पति भी डिप्रेशन में चले गए. फिर मेरा छोटा भाई, मेरी माताजी भी चली गईं. एक महीने के अंदर मेरे परिवार में तीन लोगों ने शरीर छोड़ दिया. लेकिन राजयोग ध्यान और परमात्मा की शक्ति ने मुझे संभाले रखा. 2014 में मेरे पति ने भी शरीर छोड़ दिया.

पढ़ें : द्रौपदी मुर्मू : एक भावुक शिक्षक, अनुशासक, शाकाहारी

गांव-गांव दिया राजयोग का संदेश : वर्ष 2009 में ईश्वरीय ज्ञान मिलने के बाद मैंने ब्रह्माकुमारी बहनों के साथ गांव-गांव घूमकर लोगों को राजयोग मेडिटेशन और परमात्मा का संदेश दिया. बाद में मैंने बहनों को सेंटर खोलने के लिए अपना घर भी दे दिया और छोटे भाई को अपने पास बुला लिया. राज्यपाल के लिए मैंने अप्लाई तक नहीं किया था. 2015 में जब झारखंड के राज्यपाल का चयन होना था तो लोगों ने कहा कि आपका नाम राज्यपाल बनाने के लिए चल रहा है. तब तक मुझे पता भी नहीं था और न ही मैंने राज्यपाल के लिए आवेदन किया था. परमात्मा के आशीर्वाद से सब बिना मांगे ही मिलता गया. आगे बढ़कर ही राज्यपाल के लिए ऑफर किया गया.

यहां आने से मुझे जीने की वजह मिल गई : मुझे जब भी ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा निमंत्रण दिया जाता है तो मैं खुशी-खुशी उनकी बातें सुनने के लिए आती हूं. उनके साथ कुछ पल बिताने के लिए मैं मौका ढूंढती हूं. यहां आकर आत्मा को शांति मिलती है. बहनों के संपर्क में आने से शक्ति मिलती है, ताकत मिलती है. यहां आने से पावर फुल वाइब्रेशन मिलते हैं. जिंदगी का सफर चलते-चलते जब मैं थक गई और ब्रह्माकुमारी बहनों के संपर्क में आए तो एक नई ऊर्जा, जिंदगी जीने की नई वजह मिल गई.

सिरोही. राष्ट्रपति बनने के बाद द्रौपदी मुर्मू अपने दो दिवसीय दौरे पर सिरोही जिले के ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय आबू रोड शांतिवन में पहली बार आ रही हैं. वह 11 सितंबर को शांतिवन में शुरू हो रहे ग्लोबल समिट का उद्घाटन करेंगी. इसके बाद दोपहर में (Preparation for Draupadi Murmu Tour) माउंट आबू स्थित ज्ञान सरोवर अकादमी में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगी. राष्ट्रपति के दो दिवसीय दौरे को लेकर शांतिवन में तैयारियां जोर-शोर से जारी हैं.

वहीं, प्रशासन भी सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर अलर्ट हो गया है. शुक्रवार को एडिशनल कलेक्टर कालूराम खौर, एसपी ममता गुप्ता, सीओ सुमंगला, एसडीएम, तहसीलदार सहित तमाम अधिकारियों ने शांतिवन में व्यवस्था को परखा. साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को लेकर (President Draupadi Murmu Rajasthan Tour) जरूरी दिशा-निर्देश अधिकारियों को दिए. इसके साथ ही राष्ट्रपति अपने दो दिनी दौरे के दौरान राजयोग मेडिटेशन का भी अभ्यास करेंगी.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की स्पीच

मुर्मू का आध्यात्म और राजयोग मेडिटेशन के प्रति विशेष लगाव है, इसका जिक्र वह झारखंड का राज्यपाल रहते हुए भी कई बार सार्वजनिक मंच से कर चुकी हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि जीवन में आध्यात्म की राह अपनाने के बाद उन्हें आगे बढने की प्रेरणा मिली. ब्रह्माकुमारीज का राजयोग मेडिटेशन सीखने के बाद देश की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की जिंदगी और विचारधारा में क्या परिवर्तन आए. कैसे उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को संभाले रखा और आज देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद राष्ट्रपति तक पहुंचीं. यहां जानिए सबकुछ.

राष्ट्रपति रोजाना पढ़ती हैं 'मुरली' : राष्ट्रपति मुर्मू आज भी रोजाना 'मुरली' पढ़ती हैं. दरअसल, ब्रह्माकुमारीज से जुड़े सभी सदस्य अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिए रोजाना परमात्म महावाक्य (जिसे सभी ज्ञान 'मुरली' कहते हैं) पढ़ते और सुनते हैं. संस्थान के सभी सेवाकेंद्र पर एक साथ, एक ही समय पर सुबह 7 बजे से मुरली क्लास शुरू होती है. इसमें परमात्मा जो शिक्षाएं, सावधानियां और मार्गदर्शन देते हैं उसे प्रैक्टिकल जीवन में धारण करने का अभ्यास करते हैं. संस्थान से जुडऩे के बाद लोगों के जीवन में परिवर्तन का यह मुख्य आधार भी है. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि राज्यपाल बनने के बाद प्रोटोकाल के चलते अब रोजाना ब्रह्माकुमारीज सेवाकेंद्र पर जाना नहीं हो पाता है. इसलिए घर पर ही रोज मुरली पढ़ती और सुनती हूं.

अलसुबह 3.30 बजे से शुरू हो जाती है दिनचर्या : राष्ट्रपति मुर्मू की दिनचर्या आज भी अलसुबह 3.30 बजे से शुरू हो जाती है. सबसे पहले वह ज्योति बिंदु स्वरूप (Draupadi Murmu Brahma Kumaris Sirohi) परमपिता शिव परमात्मा का ध्यान करती हैं, जिन्हें सभी प्यार से शिवबाबा कहते हैं. शिवलिंग के आकार की लाल लाइट के बिंदू पर वह अपना ध्यान लगाती हैं. राजयोग मेडिटेशन ध्यान की वह अवस्था है, जिसमें हम खुद को आत्मा समझकर परमपिता परमात्मा को याद करते हैं.

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परमात्मा के जो गुण और शक्तियां हैं, उनका मन ही मन बुद्धि द्वारा विजुलाइज करने खुद को उनके स्वरूप में स्थित होने के अभ्यास किया जाता है. राजयोग अंतर्जगत की यात्रा है, जिसमें हम स्वचिंतन और परमात्म चिंतन करते हैं. इसके अलावा वह शाम 6.30 बजे से 7.30 बजे तक भी यथासंभव समय होने पर राजयोग मेडिटेशन करती हैं. झारखंड की राज्यपाल रहते हुए मुर्मू ने ब्रह्माकुमारीज संस्थान में दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि आज मैं जो कुछ बोल पाती हूं वह आध्यात्मिक बल के कारण ही बोल पाती हूं. मैंने ज्यादा पढ़ाई नहीं की है, सिर्फ ग्रेजुएट ही किया है, लेकिन कहीं जाती हूं तो किसी भी विषय पर बोल लेती हूं. यह शक्ति परमात्मा ही देते हैं.

2009 में जीवन में आया भूकंप : जीवन के कठिन संघर्ष को याद करते हुए उन्होंने बताया कि बचपन से ही लोगों की भलाई और समाजसेवा करने के बाद भी वर्ष 2009 में मेरे जीवन में भूकंप आ गया. मेरा 25 वर्षीय बड़ा बेटा लक्ष्मण दुनिया छोड़कर चला गया. इस घटना ने मुझे अंदर से झकझोर दिया. दो महीने के लिए डिप्रेशन में चली गई. इस दौरान लोग कहने लगे कि ये तो मर जाएगी. लेकिन मेरे अंदर से आया कि मुझे लोगों के लिए जीना है. फिर मैंने ब्रह्माकुमारी संस्था से संपर्क किया. यहां सात दिन का राजयोग मेडिटेशन का कोर्स करने के बाद मेरे जीवन में अद्भुत परिवर्तन आया. जैसे-जैसे राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास बढ़ता गया तो मेरा दुख कम होता गया.

2013 में जिंदगी में आया फिर से भूचाल : इस घटना से उबरी ही थी कि फिर 2 जनवरी 2013 में जिंदगी ने दोबारा परीक्षा ली. दूसरे बेटे सिपुन ने सड़क दुर्घटना में शरीर छोड़ दिया. चूकि मैं पहले से मेडिटेशन कर रही थी तो इस बार कुछ कम धक्का लगा. ब्रह्माकुमारी बहनों ने मेरी काउंसलिंग की तो धीरे-धीरे यह दुख सहन करने की भी शक्ति आ गई. दो बेटों की मौत के बाद मेरे पति भी डिप्रेशन में चले गए. फिर मेरा छोटा भाई, मेरी माताजी भी चली गईं. एक महीने के अंदर मेरे परिवार में तीन लोगों ने शरीर छोड़ दिया. लेकिन राजयोग ध्यान और परमात्मा की शक्ति ने मुझे संभाले रखा. 2014 में मेरे पति ने भी शरीर छोड़ दिया.

पढ़ें : द्रौपदी मुर्मू : एक भावुक शिक्षक, अनुशासक, शाकाहारी

गांव-गांव दिया राजयोग का संदेश : वर्ष 2009 में ईश्वरीय ज्ञान मिलने के बाद मैंने ब्रह्माकुमारी बहनों के साथ गांव-गांव घूमकर लोगों को राजयोग मेडिटेशन और परमात्मा का संदेश दिया. बाद में मैंने बहनों को सेंटर खोलने के लिए अपना घर भी दे दिया और छोटे भाई को अपने पास बुला लिया. राज्यपाल के लिए मैंने अप्लाई तक नहीं किया था. 2015 में जब झारखंड के राज्यपाल का चयन होना था तो लोगों ने कहा कि आपका नाम राज्यपाल बनाने के लिए चल रहा है. तब तक मुझे पता भी नहीं था और न ही मैंने राज्यपाल के लिए आवेदन किया था. परमात्मा के आशीर्वाद से सब बिना मांगे ही मिलता गया. आगे बढ़कर ही राज्यपाल के लिए ऑफर किया गया.

यहां आने से मुझे जीने की वजह मिल गई : मुझे जब भी ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा निमंत्रण दिया जाता है तो मैं खुशी-खुशी उनकी बातें सुनने के लिए आती हूं. उनके साथ कुछ पल बिताने के लिए मैं मौका ढूंढती हूं. यहां आकर आत्मा को शांति मिलती है. बहनों के संपर्क में आने से शक्ति मिलती है, ताकत मिलती है. यहां आने से पावर फुल वाइब्रेशन मिलते हैं. जिंदगी का सफर चलते-चलते जब मैं थक गई और ब्रह्माकुमारी बहनों के संपर्क में आए तो एक नई ऊर्जा, जिंदगी जीने की नई वजह मिल गई.

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