माउंट आबू (सिरोही). प्रकृति और मनुष्य दोनों एक दूसरे पर निर्भर है. ऐसे में विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर देश में सभी जगह पेड़ लगाकर इस दिवस को उत्सव के रूप में मनाया गया. पर्यावरण पर आम लोगों की जिंदगी निर्भर है. कोरोना काल में जिस प्रकार से ऑक्सीजन की कमी हुई, उसके बाद लोगों का पर्यावरण और पेड़ों के प्रति नज़रिया बदला है. लोग अपने आसपास पेड़ लगा रहे हैं तो पेड़ों की होने वाली कटाई के विरोध में भी खड़े हो रहे हैं. हम बात कर रहे हैं प्रदेश के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू की, जहां विश्व पर्यावरण दिवस पर वन विभाग ने जिले में एक माह में 1 लाख पेड़ लगाने का संकल्प लिया है.
डीएफओ विजयशंकर पांडे के नेतृत्व में लोगों को पेड़ों के प्रति महत्त्व को समझाया जा रहा है. वही, इस कोरोना की त्रासदी में किस प्रकार से पेड़ों की कमी से ऑक्सीजन की कमी हुई और उसके परिणाम किस प्रकार से सामने आए इसके बारे में भी समझाया जा रहा हैं. बता दें, माउंट आबू चारों ओर से अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है. हिल स्टेशन पर गर्मियों के दिनों में आग लगने की घटनाये सामने आती है, जिसके चलते भारी संख्या में पेड़-पौधों को नुकसान होता है.
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इस वर्ष वन विभाग की सतर्कता के चलते आग लगने की घटनाएं तो सामने आई पर समय रहते उनपर काबू पा लिया गया. विश्व पर्यावरण दिवस पर वन विभाग द्वारा जिले में अभियान चलाकर एक माह में एक लाख पेड़ पौधे लगाए जाएंगे. साथ ही लोगों की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक पौधों घरों में वितरित किए जायेंगे, जिनमे गिलोय, तुलसी, सुगंधा शामिल है. वहीं, लोगों से विभाग की ओर से अपील की जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए ताकि आसपास का वातावरण शुद्ध रहे और प्रदुषण ना हो.
पेड़ और पहाड़ है माउंट आबू का आकर्षण का केंद्र
प्रदेश का एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू अपनी खूबसूरती के लिए विश्वभर में जाना जाता है. यहां के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और उसपे छाई हरितमा बरबस ही सैलानियों को अपनी ओर खींच लाती है. यही कारण है के प्रतिवर्ष लाखों की संख्या की में सैलानी माउंट आबू का रुख करते है. जुलाई-अगस्त माह के मानसून में पहाड़ों से बहते झरने पर्यटकों के मन को मोह लेते है.