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लादी का बास के ग्रामीणों ने चौथी बार भी किया चुनावों का बहिष्कार, जानिए वजह

चुनाव एक लोकतांत्रिक राष्ट्र की नीव हैं. लेकिन सीकर जिले के नीमकाथाना इलाके के ग्राम पंचायत लादी का बास के ग्रामीणों ने लगातार चौथी बार चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है. आइये जानते हैं आखिर चुनावों का बहिष्कार करने की वजह क्या है.

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ग्रामीणों ने चौथी बार भी किया चुनावों का बहिष्कार
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Published : Jul 19, 2021, 7:20 PM IST

Updated : Jul 20, 2021, 2:47 PM IST

सीकर: जिले के नीमकाथाना के पास ग्राम लादी का बास में ग्रामीणों ने चौथी बार भी चुनावों का बहिष्कार करने का निर्णय किया है. यहां 25 जुलाई को सरपंच, वार्ड पंच के उपचुनाव होने हैं. लादी का बास ग्राम पंचायत को पाटन से हटाकर अजीतगढ़ में शामिल करने पर ग्रामीणों में नराजगी है. ग्रामीणों की मांग है कि जब तक लादी का बास ग्राम पंचायत पाटन पंचायत समिति में शामिल नहीं की जाती है तबतक वे चुनावों का बहिष्कार करते रहेंगे.

सरकार आमजन की सहूलियत के लिए नए कानून, नियम या परिसीमन करती है. जिससे वहां के लोगों को आर्थिक लाभ और समय का फायदा हो सके. लेकिन सीकर जिले के नीमकाथाना इलाके के नजदीक ग्राम पंचायत लादी का बास के ग्रामीणों के लिए परिसीमन मुसीबत बन गया है.

ग्रामीणों ने चौथी बार भी किया चुनावों का बहिष्कार

पढ़ें: चुनाव बहिष्कार कथा : दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को ललकारता बल्लूपुरा गांव

नवंबर 2019 के परिसीमन में अजीतगढ़ को नई पंचायत समिति बनाया गया था. जिसमें ग्राम पंचायत लादी का बास को पाटन से हटाकर अजीतगढ़ में शामिल किया गया. अब लादी का बास से पंचायत मुख्यालय अजीतगढ़ की दूरी चार गुना बढ़ गई है. जिससे लोगों को आर्थिक हानि तो होगी, उसके साथ ही समय का भी नुकसान होगा.

अब ग्रामीण पाटन पंचायत समिति में शामिल होने के लिए लगभग पिछले दो साल से पंचायत से लेकर सांसद तक के चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं. लादी का बास ग्राम पंचायत में 25 जुलाई को उपचुनाव होने हैं. लेकिन ग्रामीणों ने अपनी मांग को लेकर चौथी बार भी चुनावों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.

पढ़ें: सीकर: लादी का बास के ग्रामीणों ने किया चुनाव का बहिष्कार

ग्रामीणों की मांग है कि जब तक मांगें नहीं मानी जाती तब तक चुनाव का बहिष्कार जारी रहेगा. लोगों का कहना है कि पाटन महज 16 और अजीतगढ़ 55 किमी दूर है. ऐसे में सरकार ने लादी का बास को पाटन पंचायत समिति से हटाकर अजीतगढ़ में शामिल कर ग्रामीणों के साथ न्याय नहीं किया है. ग्रामीणों को सरकारी कामकाज के लिए अजीतगढ़ पंचायत समिति जाने से समय के साथ-साथ आर्थिक हानि झेलनी पड़ेगी.

राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर ग्रामीणों को चुनाव में भाग लेने के लिए समझाइश करने के लिए श्रीमाधोपुर एसडीएम लक्ष्मीकांत गुप्ता और नीमकाथाना एसडीएम बृजेश गुप्ता को ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं का ज्ञापन सौंपा. गांव के अटल सेवा केन्द्र में आयोजित मीटिंग के दौरान दोनों अधिकारियों ने ग्रामीणों की समस्या सुनी और उनको समझाइश कर चुनावों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया. लेकिन ग्रामीण एक ही बात पर अड़े रहे कि सरकार जबतक ग्राम पंचायत लादी का बास को नवसृजित पंचायत समिति अजीतगढ़ से हटाकर वापस पाटन में नहीं शामिल करे तबतक उनका ये चुनाव का बहिष्कार जारी रहेगा.

पढ़ें: जयपुरः बल्लूपुरा ग्राम पंचायत में ग्रामीणों ने किया पंचायत चुनाव का बहिष्कार, नहीं किया एक भी नामांकन

साल 2019 में ग्राम पंचायत लादी का बास को पाटन पंचायत समिति से हटाकर अजीतगढ़ में शामिल किया गया था. तब भी ग्रामीणों ने बैठक का आयोजन कर चुनाव बहिष्कार का निर्णय लिया था. 17 जनवरी को हुए पंचायत चुनावों का ग्रामीणों ने वार्ड पंच और सरपंच पद के लिए कोई आवेदन नहीं किया था. इस कारण पंचायत चुनाव नहीं हुए थे. अब 25 जुलाई को चुनाव होने हैं. ग्रामीणों ने इस बार भी चुनावों के शांतिपूर्ण बहिष्कार का निर्णय लिया है. अबतक ग्रामीण 17 जनवरी 2020 पंच-सरपंच, 10 अक्टूबर 2020 पंच-सरपंच और 1 दिसंबर 2020 पंचायत समिति चुनाव का बहिष्कार कर चुके हैं.

सीकर: जिले के नीमकाथाना के पास ग्राम लादी का बास में ग्रामीणों ने चौथी बार भी चुनावों का बहिष्कार करने का निर्णय किया है. यहां 25 जुलाई को सरपंच, वार्ड पंच के उपचुनाव होने हैं. लादी का बास ग्राम पंचायत को पाटन से हटाकर अजीतगढ़ में शामिल करने पर ग्रामीणों में नराजगी है. ग्रामीणों की मांग है कि जब तक लादी का बास ग्राम पंचायत पाटन पंचायत समिति में शामिल नहीं की जाती है तबतक वे चुनावों का बहिष्कार करते रहेंगे.

सरकार आमजन की सहूलियत के लिए नए कानून, नियम या परिसीमन करती है. जिससे वहां के लोगों को आर्थिक लाभ और समय का फायदा हो सके. लेकिन सीकर जिले के नीमकाथाना इलाके के नजदीक ग्राम पंचायत लादी का बास के ग्रामीणों के लिए परिसीमन मुसीबत बन गया है.

ग्रामीणों ने चौथी बार भी किया चुनावों का बहिष्कार

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नवंबर 2019 के परिसीमन में अजीतगढ़ को नई पंचायत समिति बनाया गया था. जिसमें ग्राम पंचायत लादी का बास को पाटन से हटाकर अजीतगढ़ में शामिल किया गया. अब लादी का बास से पंचायत मुख्यालय अजीतगढ़ की दूरी चार गुना बढ़ गई है. जिससे लोगों को आर्थिक हानि तो होगी, उसके साथ ही समय का भी नुकसान होगा.

अब ग्रामीण पाटन पंचायत समिति में शामिल होने के लिए लगभग पिछले दो साल से पंचायत से लेकर सांसद तक के चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं. लादी का बास ग्राम पंचायत में 25 जुलाई को उपचुनाव होने हैं. लेकिन ग्रामीणों ने अपनी मांग को लेकर चौथी बार भी चुनावों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.

पढ़ें: सीकर: लादी का बास के ग्रामीणों ने किया चुनाव का बहिष्कार

ग्रामीणों की मांग है कि जब तक मांगें नहीं मानी जाती तब तक चुनाव का बहिष्कार जारी रहेगा. लोगों का कहना है कि पाटन महज 16 और अजीतगढ़ 55 किमी दूर है. ऐसे में सरकार ने लादी का बास को पाटन पंचायत समिति से हटाकर अजीतगढ़ में शामिल कर ग्रामीणों के साथ न्याय नहीं किया है. ग्रामीणों को सरकारी कामकाज के लिए अजीतगढ़ पंचायत समिति जाने से समय के साथ-साथ आर्थिक हानि झेलनी पड़ेगी.

राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर ग्रामीणों को चुनाव में भाग लेने के लिए समझाइश करने के लिए श्रीमाधोपुर एसडीएम लक्ष्मीकांत गुप्ता और नीमकाथाना एसडीएम बृजेश गुप्ता को ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं का ज्ञापन सौंपा. गांव के अटल सेवा केन्द्र में आयोजित मीटिंग के दौरान दोनों अधिकारियों ने ग्रामीणों की समस्या सुनी और उनको समझाइश कर चुनावों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया. लेकिन ग्रामीण एक ही बात पर अड़े रहे कि सरकार जबतक ग्राम पंचायत लादी का बास को नवसृजित पंचायत समिति अजीतगढ़ से हटाकर वापस पाटन में नहीं शामिल करे तबतक उनका ये चुनाव का बहिष्कार जारी रहेगा.

पढ़ें: जयपुरः बल्लूपुरा ग्राम पंचायत में ग्रामीणों ने किया पंचायत चुनाव का बहिष्कार, नहीं किया एक भी नामांकन

साल 2019 में ग्राम पंचायत लादी का बास को पाटन पंचायत समिति से हटाकर अजीतगढ़ में शामिल किया गया था. तब भी ग्रामीणों ने बैठक का आयोजन कर चुनाव बहिष्कार का निर्णय लिया था. 17 जनवरी को हुए पंचायत चुनावों का ग्रामीणों ने वार्ड पंच और सरपंच पद के लिए कोई आवेदन नहीं किया था. इस कारण पंचायत चुनाव नहीं हुए थे. अब 25 जुलाई को चुनाव होने हैं. ग्रामीणों ने इस बार भी चुनावों के शांतिपूर्ण बहिष्कार का निर्णय लिया है. अबतक ग्रामीण 17 जनवरी 2020 पंच-सरपंच, 10 अक्टूबर 2020 पंच-सरपंच और 1 दिसंबर 2020 पंचायत समिति चुनाव का बहिष्कार कर चुके हैं.

Last Updated : Jul 20, 2021, 2:47 PM IST
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