सीकर. अच्छाई पर बुराई की विजय का प्रतीक दशहरे का त्योहार वैसे तो पूरे देश में मनाया जाता है. इस दिन पूरे देश में रावण का दहन होता है. लेकिन जिले के एक गांव में ऐसा दशहरा होता है, जहां रावण का दहन नहीं होता है. यहां दशहरे के दिन राम और रावण की सेना के बीच युद्ध होता है. जब पूरे देश में रावण का दहन होता है, वहीं यहां रावण को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
बता दें कि जिले के दातारामगढ़ तहसील के छोटे से गांव बाय में दशहरा पर्व का आयोजन होता है. यहां दशहरे के दिन मेला लगता है. इस गांव में रावण का दहन नहीं किया जाता है. दशहरे के दिन यहां पर पूरे दिन रावण और राम की सेना आमने-सामने होती है. जिस तरह से राम और रावण के बीच युद्ध हुआ था. उसी तरह से पूरे दिन युद्ध का मंचन होता है. इसके बाद राम और रावण की लड़ाई के बीच रावण मारा जाता है.
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जब रावण मर जाता है तो उसे जलाया नहीं जाता. पिछले 162 साल से जिले के इस गांव में यह परंपरा चल रही है. माना जाता है कि राम के हाथों मारे जाने के बाद रावण को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.