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राजस्थान के इस गांव में होता है अनोखा दशहरा... रावण को जलाने के बजाय दी जाती है मोक्ष

सीकर के एक गांव में अलग तरीके से दशहरा मनाया जाता है. यहां रावण का दहन नहीं किया जाता. बल्कि पूरे दिन राम-रावण के युद्ध के बाद रावण को मारा जाता है तो माना जाता है कि रावण को मोक्ष की प्राप्ति हो गई.

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Published : Oct 9, 2019, 4:40 AM IST

सीकर. अच्छाई पर बुराई की विजय का प्रतीक दशहरे का त्योहार वैसे तो पूरे देश में मनाया जाता है. इस दिन पूरे देश में रावण का दहन होता है. लेकिन जिले के एक गांव में ऐसा दशहरा होता है, जहां रावण का दहन नहीं होता है. यहां दशहरे के दिन राम और रावण की सेना के बीच युद्ध होता है. जब पूरे देश में रावण का दहन होता है, वहीं यहां रावण को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

ऐसा गांव जहां रावण दहन नहीं होता

बता दें कि जिले के दातारामगढ़ तहसील के छोटे से गांव बाय में दशहरा पर्व का आयोजन होता है. यहां दशहरे के दिन मेला लगता है. इस गांव में रावण का दहन नहीं किया जाता है. दशहरे के दिन यहां पर पूरे दिन रावण और राम की सेना आमने-सामने होती है. जिस तरह से राम और रावण के बीच युद्ध हुआ था. उसी तरह से पूरे दिन युद्ध का मंचन होता है. इसके बाद राम और रावण की लड़ाई के बीच रावण मारा जाता है.

यह भी पढे़ं. सीकर सेना भर्ती: रात 2 बजे से होगी स्टेडियम में एंट्री...सुबह 4 बजे शुरू होगी दौड़

जब रावण मर जाता है तो उसे जलाया नहीं जाता. पिछले 162 साल से जिले के इस गांव में यह परंपरा चल रही है. माना जाता है कि राम के हाथों मारे जाने के बाद रावण को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.

सीकर. अच्छाई पर बुराई की विजय का प्रतीक दशहरे का त्योहार वैसे तो पूरे देश में मनाया जाता है. इस दिन पूरे देश में रावण का दहन होता है. लेकिन जिले के एक गांव में ऐसा दशहरा होता है, जहां रावण का दहन नहीं होता है. यहां दशहरे के दिन राम और रावण की सेना के बीच युद्ध होता है. जब पूरे देश में रावण का दहन होता है, वहीं यहां रावण को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

ऐसा गांव जहां रावण दहन नहीं होता

बता दें कि जिले के दातारामगढ़ तहसील के छोटे से गांव बाय में दशहरा पर्व का आयोजन होता है. यहां दशहरे के दिन मेला लगता है. इस गांव में रावण का दहन नहीं किया जाता है. दशहरे के दिन यहां पर पूरे दिन रावण और राम की सेना आमने-सामने होती है. जिस तरह से राम और रावण के बीच युद्ध हुआ था. उसी तरह से पूरे दिन युद्ध का मंचन होता है. इसके बाद राम और रावण की लड़ाई के बीच रावण मारा जाता है.

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जब रावण मर जाता है तो उसे जलाया नहीं जाता. पिछले 162 साल से जिले के इस गांव में यह परंपरा चल रही है. माना जाता है कि राम के हाथों मारे जाने के बाद रावण को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.

Intro:सीकर
अच्छाई पर बुराई की विजय का प्रतीक दशहरे का त्यौहार वैसे तो पूरे देश में मनाया जाता है और इस दिन पूरे देश में रावण का दहन होता है। लेकिन सीकर जिले के एक गांव में ऐसा दशहरा होता है जहां रावण का दहन नहीं होता बल्कि उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां दशहरे के दिन राम और रावण की सेना के बीच युद्ध होता है और जब पूरे देश में रावण का दहन होता है उस वक्त यहां रावण को मोक्ष की प्राप्ति होती है।Body:सीकर जिले के दातारामगढ़ तहसील के छोटे से गांव बाय में दशहरा पर्व का आयोजन होता है। यहां दशहरे के दिन मेला लगता है। यहां पर रावण का दहन नहीं किया जाता है। दशहरे के दिन यहां पर पूरे दिन रावण और राम की सेना आमने सामने होती है। जिस तरह से राम और रावण के बीच युद्ध हुआ था उसी तरह से पूरे दिन युद्ध का मंचन होता है। इसके बाद राम और रावण की लड़ाई के बीच रावण मारा जाता है लेकिन उसे जलाया नही जाता। पिछले 162 साल से सीकर जिले के इस गांव में यह परंपरा चल रही है। माना जाता है कि राम के हाथों मारे जाने के बाद रावण को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।Conclusion:
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