सीकर. जिले में गैंगस्टर राजू ठेहट की (Raju Theth murder case) शनिवार को गोली मारकर हत्या के बाद शेखावाटी और मारवाड़ में सियासत भी गरमाने लगी है. एक तरफ कानून व्यवस्था को लेकर सरकार निशाने पर है तो दूसरी ओर राजनीतिक जमीन को मजबूत बनाने के लिये नेता भी अवसर तलाश रहे हैं. ऐसे में जाट नेताओं के बीच सरकार और खाकी पर उंगलियां उठाने की होड़ सी मच गई है. जिला अस्पताल की मोर्चरी के बाहर जारी धरने में अब यह राजनेता शामिल होकर सरकार को खुली (Jat leader protest in Sikar) चेतावनी भी दे रहे हैं तो सीख के सबक ट्विटर पर पढ़ाए जा रहे हैं.
इन नेताओं में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रमुख हनुमान बेनीवाल, लाडनूं विधायक मुकेश भाकर ,परबतसर विधायक रामनिवास गावड़िया, राजस्थान यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष निर्मल चौधरी और युवा नेता अभिमन्यु पूनिया शामिल हैं. इसके अलावा अपने गृह जिले की वारदात पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी सोशल मीडिया अकाउंट पर प्रतिक्रिया जाहिर करके खेद जताया है. इस बीच एक के बाद एक जाट नेताओं का इस घटना के विरोध में सड़क पर आना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का मुद्दा बन चुका है. दूसरी ओर राजनेताओं की गैंगस्टर के साथ हमदर्दी को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
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नागौर-सीकर के इर्द गिर्द राजनीति का ताना बानाः सीकर में राजू ठेहट की हत्या के विरोध में धरने पर बैठने वाले और सरकार से तल्खी दिखाने वाले नेताओं में ज्यादातर जाट समुदाय से आते हैं. सभी की राजनीतिक जमीन नागौर और सीकर जिले से है . गौरतलब है कि राजू ठेहट से अदावत रखने वाले गैंगस्टर आनंदपाल सिंह का ताल्लुक नागौर जिले से था. वह लाडनूं के नजदीक सांवराद गांव का रहने वाला था. आनंदपाल की राजनीतिक सांठगांठ के किस्से भी किसी दौर में खुद देखे और सुने जाते थे. नागौर सांसद और आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने तो जयपुर के एक मॉल के बाहर खुद की गाड़ी पर हुए हमले के लिए आनंदपाल सिंह को दोषी बताया था.
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आनंदपाल सिंह का नागौर जिले में लाडनूं और डीडवाना विधानसभा सीटों पर सीधा दखल माना जाता था. इसके अलावा जिस जगह से आनंदपाल पुलिस की गिरफ्त से भागा था , वह घटनास्थल भी नागौर जिले के परबतसर विधानसभा क्षेत्र में आता है. इस घटना में जैसे ही रोहित गोदारा ने लॉरेंस गैंग के जरिए इस हत्या की जिम्मेदारी ली , तो नागौर और सीकर में राजनीतिक और जातिगत जमीन को नेताओं के लिए संभालना अहम हो गया. माना जा रहा है कि जातिगत वोट बैंक की राजनीति के बीच सीकर और नागौर जिले में जातिगत वोट बैंक से जुड़े पहलुओं को लेकर सीकर के ताजा हत्याकांड पर अब राजनीति और गर्मा सकती है.