सीकर. फतेहपुर से विधायक रहे नंदकिशोर महरिया के एक सवाल के जवाब में सामने आई यह हकीकत काफी चौंकने और परेशान करने वाली है. महरिया ने पिछली सरकार के आखिरी विधानसभा सत्र में इसे लेकर सवाल पूछा था. इसके बाद मौजूदा सरकार में इसका जवाब आया है और उसमें यह बताया गया है कि प्रदेश में 30 फीसदी लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है.
केंद्रीय पेयजल एवं स्वास्थ्य मंत्रालय की राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अंतर्गत समेकित प्रबंध सूचना तंत्र की रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में राजस्थान के सर्वाधिक लोगों को गुणवत्ता प्रभावित पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है. 1 अप्रैल 2019 की ताजा रिपोर्ट में दूषित जल पीने को मजूबर हो रही कुल आबादी की तीस प्रतिशत आबादी राजस्थान में निवास कर रही है.
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प्रदेश की एक लाख 21 हजार 526 हैबिटेशन्स में से 18254 हेबिटेशन्स में स्थानीय भू जल स्त्रोतों की गुणवत्ता, निर्धारित पेयजल मानकों के अनुरूप नहीं है. यानि प्रदेश की 15 फीसदी आबादी को दूषित जल पीना पड़ रहा है. बीते कुछ वर्षों में कुछ सुधार हुआ है लेकिन अभी भी स्थिति चिंताजनक है. रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की कुल एक लाख 21 हजार 526 हैबिटेशन्स में 507.19 लाख आबादी है, इनमें से 18,254 हेबिटेशन्स की कुल 63.44 लाख की आबादी को प्रदूषित पानी पीना पड़ रहा है.
यह स्थिति तब है जब राज्य सरकार और केन्द्र सरकार की ओर से कई प्रोजेक्ट और योजनाएं चलाई जा रही हैं. हालांकि बीते वर्ष से स्थिति में कुछ सुधार आया है. बीते वर्ष 19,573 हेबिटेशन्स प्रदूषित पानी से प्रभावित थी. ऐसे में सवाल यह है कि आखिर कब तक प्रदेश की सम्पूर्ण जनता को शुद्ध पानी नसीब होगा. आईएमआईएस रिपोर्ट में बताया कि देश में 60,686 बस्तियां आज भी गुणवत्ता प्रभावित जल पीने को मजबूर है. इनमें से 18,254 बस्तियां राजस्थान की है. राजस्थान के बाद पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, पंजाब, त्रिपुरा की बस्तियां दूषित पानी पी रही है.
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इन राज्यों में मिल रहा है शुद्ध पेयजल
आईएमआईएस रिपोर्ट के अनुसार देश में कई राज्यों में पूरी आबादी को शुद्ध पेयजल मिल रहा है. देश में अंडमान निकोबार, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैण्ड, पाण्डेचरी, सिक्किम में पेजयल की गुणवत्ता तय मानकों के अनुरूप है. इनके अलावा अरूणाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, मेघालय, तमिलनाडू, उत्तराखण्ड में आंशिक आबादी को प्रदूषित पानी मिल रहा है.
प्रदेश में बाड़मेर में सबसे ज्यादा व श्रीगंगानगर में सबसे कम है
रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में सबसे ज्यादा दूषित पानी बाड़मेर जिले की जनता को नसीब हो रहा है. बाड़मेर जिले की 9,235 हेबिटेशन्स की कुल 14 लाख 85,427 जनसंख्या को प्रदूषित जल मिल रहा है. बाड़मेर के बाद जोधपुर एवं नागौर की स्थिति सबसे खराब है. जोधपुर की 3,202 हेबिटेशन्स की तीन लाख तीन हजार 695 आबादी एवं नागौर की 1,035 हेबिटेशन्स की 9 लाख 30 हजार 266 आबादी को दूषित जल पीना पड़ रहा है. प्रदेश में श्रीगंगानगर जिले की स्थिति सबसे बढ़िया है, यहां पर सिर्फ तीन हेबिटेशन्स की 1,264 आबादी को ही गुणवत्ता प्रभावित पानी पीना पड़ रहा है.
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सरकार ने उठाएं यह कदम
राज्य सरकार की ओर से विधानसभा में सवाल के दिए गए जवाब में बताया कि वर्ष 2013-14 से 2018-19 की अवधि के दौरान शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए कई कदम उठाए गए. उक्त अवधि में प्रदेश के 27 जिलों में 3,913 आरओ संयत्र स्वीकृत किए गए. इनमें से 2,850 संयत्र 31 मार्च 2019 तक लगा दिए गए. इनके अलावा भू जल में फ्लोराइड अधिक्य वाले 23 जिलों में सौर उर्जा आधारित 2,231 बोरवेल पम्पिग सिस्टम मय डि-फ्लोडिकेशन संयत्रों के साथ स्वीकृत किए गए हैं.
प्रदेश में फ्लोराइड, नाइडे्रट व सेलीनिटी की मात्रा सर्वाधिक
प्रदेश में भूगर्भीय जल में सबसे ज्यादा सेलीनिटी की मात्रा है. इसके अलावा फ्लोराइड एवं नाइडे्रट की मात्रा है. कुल प्रभावित हेबिटेशन्स में 12,285 हेबिटेशन्स में सेलीनिटी तय मानकों से अधिक है. इसके अलावा 5,027 हेबिटेशन्स फ्लरोइड से ग्रसित हैं.