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विश्व जल दिवस पर बूंद-बूंद को तरसे लोग...10 करोड़ की योजना भी हुई 'बेपटरी' - राजस्थान की खबर

सीकर के श्रीमाधोपुर में लगातार गिरते भूजल और जल वितरण की सही व्यवस्था नहीं होने के कारण सोमवार को भी विश्व जल दिवस पर भी लोग पानी के लिए भटकते नजर आए. जलदाय विभाग ने 2013 में स्वीकृत सरकार की 10 करोड़ की योजना पर करीब-करीब पानी सा फेर दिया है. जिसका परिणाम यह हो रहा है कि यहां लोगों को पानी के तरसने को मजबूर होना पड़ रहा है.

lack of drinking water in shrimadhopur
विश्व जल दिवस पर बूंद-बूंद को तरसे लोग
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Published : Mar 23, 2021, 9:22 AM IST

श्रीमाधोपुर (सीकर). पानी की किल्लत को लेकर नगर पालिका के पार्षद रोज ज्ञापन दे रहे हैं. लोगों की मानें तो कस्बे में काफी दिनों से पेयजल की किल्लत चल रही है. इस संबंध में जलदाय विभाग, उपखण्ड अधिकारी, जिला कलेक्टर व अन्य उच्चाधिकारियों को बार-बार समस्या के संबंध में अवगत कराया जा चुका है, लेकिन निराकरण के संबंध में अभी तक कुछ भी कार्रवाई नहीं की गई. कस्बे के लोग काफी हैरान-परेशान होकर जलदाय विभाग व एसडीएम कार्यालय पर प्रदर्शन कर चुके हैं. यहां तक कि दस दिन पूर्व ही वार्ड 14-15 की महिलाओं ने पेयजल के लिए उपखण्ड कार्यालय पर विरोध-प्रदर्शन भी किया था, लेकिन सभी से केवल आश्वासन ही मिलता है.

विश्व जल दिवस पर बूंद-बूंद को तरसे लोग...

वार्ड 14 निवासियों ने बताया कि सोमवार को जहां एक ओर विश्व जल दिवस मना रहा था, वहीं विश्व जल दिवस पर लोग पेयजल के लिये भटक रहे हैं. रामावतार महरड़ा ने बताया कि नगर में काफी समय से पानी की समस्या बनी हुई है. 8 साल पहले 10 करोड़ की योजना भी पानी लाया गया था, वो भी बेकार रहा. इस मोहल्ले में भामाशाह आगे आकर पानी के टैंकर डलवा रहे हैं, जिससे काम चल रहा है.

यह थी 10 करोड़ की पेयजल योजना...

कस्बे में पानी की समस्या दूर करने के लिए 2113 में तत्कालीन सरकार ने 923.44 लाख की लगात से पुर्नगठित शहरी जल प्रदाय योजना के तहत नाथूसर नदी से पानी लाने की योजना बनाई थी. योजना कस्बे की वर्ष 2028 तक की अभिकल्पित आबादी के आधार पर बनाई गईथी, लेकिन स्थिति यह है कि योजना तो पूरी हो गई लेकिन पानी की समस्या पूर्व की भांती संपूर्ण कस्बे में आज भी बनी हुई है. इस योजना के तहत 25.47 लाख रुपये की लागत से जल स्त्रोत नाथूसर नदी पर 200 एमएम व्यास क्षमता के 7 नये नलकूप बनाये गए थे. योजनान्तर्गत 94.62 लाख में नाथूसर नदी पर 210 किलो लीटर क्षमता का तथा कोर्ट जोन में 330 किलो लीटर क्षमता का स्वच्छ जलाशय व दो उच्च जलाशय, दिगम्बर आश्रम में 450 किलो लीटर क्षमता का तथा बिज्यावाली में 140 किलो लीटर क्षमता का उच्च जलाशय के अतिरिक्त 246.51 लाख में 90 एमएम से 200 एमएम व्यास की 14 हजार 500 मीटर राइजिंग पाइप लाइन, 123.26 लाख की लागत से करीब 50 हजार मीटर जल वितरण पाइप लाइन डालने व 12.60 लाख में विभिन्न प्रकार के यूपीवीसी/डीआई पाइप लाइन के सिविल कार्यों सहित 14.62 लाख में 15 नलकूपों विकास व बल्क मीटर का कार्य करवाये जाने थे.

पढ़ें : जांच के बहाने छेड़छाड़ और दुष्कर्म का आरोपी ASI लाइन हाजिर, पेड़ से बांधकर की थी पिटाई

वहीं, 15.42 लाख में सीआई डीएफ पाइप्स व वाल्व, 25.97 लाख में सेन्ट्रीफ यूगल, पम्पसेट, सॉफ्ट, वाल्व, कन्ट्रोल पैनल व रेलवे क्रॉसिंग में, 11 लाख में दो पम्प हाउस, 11.09 लाख में कार्यालय निर्माण कार्य पर खर्च करने थे. 2.69 लाख में ब्लीचिंग पाउडर के लिए भवन निर्माण पर, 2.08 लाख में चार दिवारी निर्माण पर तो 0.89 स्वीच बोर्ड निर्माण पर, 8.48 वाल्व चैम्बर निर्माण पर खर्च करने थे. जबकि 0.85 लाख में नदी में पीलर निर्माण पर खर्च करने के बाद भी पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है.

इनका कहना है...

योजना में बने नलकूपों में जलस्रोत कम होने से समस्या बनी हुई है. नये ट्यूबवैलों के लिए लिखा गया है कि जल्दी ही समस्या का समाधन हो जाएगा. वहीं, वार्ड 14 में टंकी के पास 15 साल पहले बोरवेल बनाया गया है. उसमें भी पानी कम हो गया. आबादी ज्यादा है, फिर भी कोई समस्या है तो ठीक करवाने का प्रयास करेंगे. - ब्रजकिशोर वर्मा, जेईएन पीएचईडी, श्रीमाधोपुर

श्रीमाधोपुर (सीकर). पानी की किल्लत को लेकर नगर पालिका के पार्षद रोज ज्ञापन दे रहे हैं. लोगों की मानें तो कस्बे में काफी दिनों से पेयजल की किल्लत चल रही है. इस संबंध में जलदाय विभाग, उपखण्ड अधिकारी, जिला कलेक्टर व अन्य उच्चाधिकारियों को बार-बार समस्या के संबंध में अवगत कराया जा चुका है, लेकिन निराकरण के संबंध में अभी तक कुछ भी कार्रवाई नहीं की गई. कस्बे के लोग काफी हैरान-परेशान होकर जलदाय विभाग व एसडीएम कार्यालय पर प्रदर्शन कर चुके हैं. यहां तक कि दस दिन पूर्व ही वार्ड 14-15 की महिलाओं ने पेयजल के लिए उपखण्ड कार्यालय पर विरोध-प्रदर्शन भी किया था, लेकिन सभी से केवल आश्वासन ही मिलता है.

विश्व जल दिवस पर बूंद-बूंद को तरसे लोग...

वार्ड 14 निवासियों ने बताया कि सोमवार को जहां एक ओर विश्व जल दिवस मना रहा था, वहीं विश्व जल दिवस पर लोग पेयजल के लिये भटक रहे हैं. रामावतार महरड़ा ने बताया कि नगर में काफी समय से पानी की समस्या बनी हुई है. 8 साल पहले 10 करोड़ की योजना भी पानी लाया गया था, वो भी बेकार रहा. इस मोहल्ले में भामाशाह आगे आकर पानी के टैंकर डलवा रहे हैं, जिससे काम चल रहा है.

यह थी 10 करोड़ की पेयजल योजना...

कस्बे में पानी की समस्या दूर करने के लिए 2113 में तत्कालीन सरकार ने 923.44 लाख की लगात से पुर्नगठित शहरी जल प्रदाय योजना के तहत नाथूसर नदी से पानी लाने की योजना बनाई थी. योजना कस्बे की वर्ष 2028 तक की अभिकल्पित आबादी के आधार पर बनाई गईथी, लेकिन स्थिति यह है कि योजना तो पूरी हो गई लेकिन पानी की समस्या पूर्व की भांती संपूर्ण कस्बे में आज भी बनी हुई है. इस योजना के तहत 25.47 लाख रुपये की लागत से जल स्त्रोत नाथूसर नदी पर 200 एमएम व्यास क्षमता के 7 नये नलकूप बनाये गए थे. योजनान्तर्गत 94.62 लाख में नाथूसर नदी पर 210 किलो लीटर क्षमता का तथा कोर्ट जोन में 330 किलो लीटर क्षमता का स्वच्छ जलाशय व दो उच्च जलाशय, दिगम्बर आश्रम में 450 किलो लीटर क्षमता का तथा बिज्यावाली में 140 किलो लीटर क्षमता का उच्च जलाशय के अतिरिक्त 246.51 लाख में 90 एमएम से 200 एमएम व्यास की 14 हजार 500 मीटर राइजिंग पाइप लाइन, 123.26 लाख की लागत से करीब 50 हजार मीटर जल वितरण पाइप लाइन डालने व 12.60 लाख में विभिन्न प्रकार के यूपीवीसी/डीआई पाइप लाइन के सिविल कार्यों सहित 14.62 लाख में 15 नलकूपों विकास व बल्क मीटर का कार्य करवाये जाने थे.

पढ़ें : जांच के बहाने छेड़छाड़ और दुष्कर्म का आरोपी ASI लाइन हाजिर, पेड़ से बांधकर की थी पिटाई

वहीं, 15.42 लाख में सीआई डीएफ पाइप्स व वाल्व, 25.97 लाख में सेन्ट्रीफ यूगल, पम्पसेट, सॉफ्ट, वाल्व, कन्ट्रोल पैनल व रेलवे क्रॉसिंग में, 11 लाख में दो पम्प हाउस, 11.09 लाख में कार्यालय निर्माण कार्य पर खर्च करने थे. 2.69 लाख में ब्लीचिंग पाउडर के लिए भवन निर्माण पर, 2.08 लाख में चार दिवारी निर्माण पर तो 0.89 स्वीच बोर्ड निर्माण पर, 8.48 वाल्व चैम्बर निर्माण पर खर्च करने थे. जबकि 0.85 लाख में नदी में पीलर निर्माण पर खर्च करने के बाद भी पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है.

इनका कहना है...

योजना में बने नलकूपों में जलस्रोत कम होने से समस्या बनी हुई है. नये ट्यूबवैलों के लिए लिखा गया है कि जल्दी ही समस्या का समाधन हो जाएगा. वहीं, वार्ड 14 में टंकी के पास 15 साल पहले बोरवेल बनाया गया है. उसमें भी पानी कम हो गया. आबादी ज्यादा है, फिर भी कोई समस्या है तो ठीक करवाने का प्रयास करेंगे. - ब्रजकिशोर वर्मा, जेईएन पीएचईडी, श्रीमाधोपुर

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