सीकर. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से देश के कोने-कोने में रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गई है. इस वजह से मजदूरों का रुझान अब 'महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना' की तरफ बढ़ रहा है. इस बीच केंद्र और राज्य सरकार का भी यही प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया जाए, क्योंकि काफी संख्या में लोग बाहर से आ चुके हैं. जिनके पास अब कोई काम-धंधा भी नहीं है. वहीं, सीकर जिले की बात की जाए तो मनरेगा वापस शुरू होने के बाद 4 गुना तक मजदूरों की संख्या बढ़ गई है.
सीकर जिले की बात करें तो यहां लॉकडाउन से पहले के महीनों में मनरेगा में काम करने वालों की 20 हजार से ज्यादा संख्या नहीं होती थी. सितंबर-अक्टूबर के महीने में तो जिले में महज 12 हजार लोग ही मनरेगा में काम कर रहे थे. जबकि पिछले एक महीने में ही मनरेगा में काम करने वालों की संख्या 50 हजार तक पहुंच गई है. सीकर जिला परिषद का प्रयास है कि जून के आखिर तक 70 हजार लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार मिलने लगेगा. वहीं, बाहर से आने वाले लोग भी रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं.
दिहाड़ी मजदूरी भी नहीं मिल रही...
सीकर जिले में आमतौर पर बहुत ही कम ही लोग मनरेगा में काम करने के लिए जाते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि जिले में रोजगार की समस्या काफी कम है, इसके चलते ज्यादातर लोग दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. इसके साथ ही काफी संख्या में मजदूर दूसरे प्रदेशों में भी काम करते थे, लेकिन अब दिहाड़ी मजदूरी के काम अब नहीं है. मनरेगा के तहत उन्हें दिहाड़ी से भी कम मजदूरी मिल रही है.
खाड़ी देशों से मजदूर आए तो बढ़ेगी संख्या
सीकर जिले के लाखों लोग खाड़ी देशों में मजदूरी करते हैं. लॉकडाउन के बाद से ही कई लोग वहां फंसे हुए हैं. अगर वे लोग भी वहां से वापस आ जाते है तो मनरेगा में मजदूरों की संख्या और बढ़ सकती है.
220 रुपये मिलती है प्रतिदिन की मजदूरी
फिलहाल, मनरेगा में मजदूरी की दर 220 रुपए तय की गई है. ये मजदूरी उन्हीं लोगों को मिलती है, जो अपना काम पूरा करता है. वहीं, हर मजदूर को उसका काम दिया जाता है. प्रशासन के अधिकारी भी बार-बार आह्वान करते हैं कि मजदूर अपना काम पूरा करें, जिससे कि उसे पूरी मजदूरी मिल सके अन्यथा कम मजदूरी मिलती है.
दो लाख 83 हजार जॉब कार्ड
सीकर जिले की बात की जाए तो यहां पर 2 लाख 83 हजार मनरेगा के जॉब कार्ड बने हुए हैं. जबकि काम करने के लिए बहुत ही कम लोग आते थे, लेकिन अब यह संख्या 50 हजार को पार कर चुकी है. इसके साथ ही बाहर से आने वाले 1,024 लोग भी अब तक जॉब कार्ड बनवा चुके हैं.