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Special: अपनी बदहाली पर आसूं बहा रहा जिले का एक मात्र हिल स्टेशन 'हर्ष पर्वत'

सियासत और अधिकारियों के आश्वासन के बीच जिले का एक मात्र हिल स्टेशन हर्ष पर्वत अब भी लापरवाही और अव्यवस्थाओं की तस्वीर झलका रहा है. ऐसे में हर साल हजारों पर्यटक अपनी जान जोखिम में डालकर इस पर्वत पर घूमने आते हैं. वहीं प्रशासन का दावा है कि बहुत जल्दी इसका काम शुरू करवा दिया जाएगा.

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Published : Dec 10, 2019, 12:25 PM IST

Harsh Parvat hill station of Sikar, सीकर का एक मात्र हिल स्टेशन हर्ष पर्वत
बदहाली का शिकार बना जिले का एक मात्र हिल स्टेशन

सीकर. जिले का प्रमुख प्रर्यटन स्थल हर्ष पर्वत है. अरावली पर्वत माला की यह चोटी राजस्थान में माउंट आबू के गुरु शिखर के बाद दूसरी सबसे ऊंची चोटी है. ऐसे में यह पर्वत जिले का सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहां हर साल हजारों पर्यटक आते हैं. इसके अलावा धार्मिक महत्व की वजह से भी यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

वहीं इसके बाद भी शेखावाटी का यह पर्यटन स्थल आज बदहाली का शिकार है. हर्ष पर्वत तक पहुंचना हर किसी के लिए आसान नहीं है. ऐसे में टूटी सड़के होने की वजह से वहां की व्यवस्थाओं में सुधार की जरूरत है. बता दें कि सीकर से हर्ष जाने वाली रोड पर जहां से चढ़ाई शुरू होती है, वहां के बाद से पूरी रोड टूटी हुई है. ऊपर जाने के लिए एक ही रोड है और उसकी हालत यह है कि जगह-जगह जानलेवा गड्ढे बने हुए हैं.

बदहाली का शिकार बना जिले का एक मात्र हिल स्टेशन

6 किलोमीटर की सड़क तो ऐसी है कि उस पर डामर का तो कहीं नामो निशान तक नहीं है. इसके अलावा कई जगह घुमाव में गड्ढे होने की वजह से गाड़यों के नीचे गिरने का खतरा बना रहता है. पहाड़ी के ऊपर जाने के बाद भी व्यवस्थाओं में काफी कमी दिखाई देती है. वहीं इस पर्वत पर लोग अपनी जान जोखिम में डाल कर जाते हैं. ऐसे में यहां सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर तो कुछ है ही नहीं.

पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: 700 साल पुराने मंदिर में 18 साल से लगा ताला, ये है बड़ी वजह

पर्यटन स्थल के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी है मौजूद...

सीकर नगर से 16 किमी दूर स्थित हर्ष पर्वत की ऊंचाई करीब 3 हजार 1 सौ फीट है, जो राजस्थान की सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर के बाद दूसरे नंबर पर है. वहीं इस पर्वत का नाम हर्ष एक पौराणिक घटना के कारण पड़ा. माना जाता है कि राक्षसों ने स्वर्ग से इन्द्र और अन्य देवताओं को बाहर निकाल दिया था. इसके बाद भगवान शिव ने इस पर्वत पर इन राक्षसों का संहार किया था. इससे देवताओं में अपार हर्ष हुआ और उन्होंने शंकर की आराधना की.

इस प्रकार इस पहाड़ को हर्ष पर्वत और भगवान शंकर को हर्षनाथ कहा जाने लगा. इसके अलावा एक और पौराणिक कथा प्रचलित है और वह यह है कि यहां भैंरूजी का मंदिर है और यहां के भैंरूजी को जीणमाता का भाई माना गया है. यहां के मंदिर को औरंगजेब से खंडित कर दिया था. उसके बाद से इसका दुबारा निर्माण नहीं किया गया है और आज भी यहां लगातार पूजा अर्चना होती है.

पढ़ेंः इस सीन पर चल रहा है फिल्म 'पानीपत' का विरोध...असली कहानी सुनिए भरतपुर के इतिहासकार की जुबानी

लगातार होते हैं हादसे लेकिन सरकार नहीं दे रहा ध्यान...

हर्ष पर्वत पर कई बार हादसे हो चुके हैं. टूटी सड़क और गड्ढों की वजह से इस साल बरसात के सीजन में चार लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद प्रशासन ने इस रोड का प्रस्ताव तैयार करवाया था. रोड के लिए बजट भी तय हो गया, लेकिन वन विभाग की वजह से भी कई जगह काम अटका हुआ है. प्रशासन का दावा है कि बहुत जल्दी इसका काम शुरू करवा दिया जाएगा.

सीकर. जिले का प्रमुख प्रर्यटन स्थल हर्ष पर्वत है. अरावली पर्वत माला की यह चोटी राजस्थान में माउंट आबू के गुरु शिखर के बाद दूसरी सबसे ऊंची चोटी है. ऐसे में यह पर्वत जिले का सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहां हर साल हजारों पर्यटक आते हैं. इसके अलावा धार्मिक महत्व की वजह से भी यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

वहीं इसके बाद भी शेखावाटी का यह पर्यटन स्थल आज बदहाली का शिकार है. हर्ष पर्वत तक पहुंचना हर किसी के लिए आसान नहीं है. ऐसे में टूटी सड़के होने की वजह से वहां की व्यवस्थाओं में सुधार की जरूरत है. बता दें कि सीकर से हर्ष जाने वाली रोड पर जहां से चढ़ाई शुरू होती है, वहां के बाद से पूरी रोड टूटी हुई है. ऊपर जाने के लिए एक ही रोड है और उसकी हालत यह है कि जगह-जगह जानलेवा गड्ढे बने हुए हैं.

बदहाली का शिकार बना जिले का एक मात्र हिल स्टेशन

6 किलोमीटर की सड़क तो ऐसी है कि उस पर डामर का तो कहीं नामो निशान तक नहीं है. इसके अलावा कई जगह घुमाव में गड्ढे होने की वजह से गाड़यों के नीचे गिरने का खतरा बना रहता है. पहाड़ी के ऊपर जाने के बाद भी व्यवस्थाओं में काफी कमी दिखाई देती है. वहीं इस पर्वत पर लोग अपनी जान जोखिम में डाल कर जाते हैं. ऐसे में यहां सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर तो कुछ है ही नहीं.

पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: 700 साल पुराने मंदिर में 18 साल से लगा ताला, ये है बड़ी वजह

पर्यटन स्थल के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी है मौजूद...

सीकर नगर से 16 किमी दूर स्थित हर्ष पर्वत की ऊंचाई करीब 3 हजार 1 सौ फीट है, जो राजस्थान की सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर के बाद दूसरे नंबर पर है. वहीं इस पर्वत का नाम हर्ष एक पौराणिक घटना के कारण पड़ा. माना जाता है कि राक्षसों ने स्वर्ग से इन्द्र और अन्य देवताओं को बाहर निकाल दिया था. इसके बाद भगवान शिव ने इस पर्वत पर इन राक्षसों का संहार किया था. इससे देवताओं में अपार हर्ष हुआ और उन्होंने शंकर की आराधना की.

इस प्रकार इस पहाड़ को हर्ष पर्वत और भगवान शंकर को हर्षनाथ कहा जाने लगा. इसके अलावा एक और पौराणिक कथा प्रचलित है और वह यह है कि यहां भैंरूजी का मंदिर है और यहां के भैंरूजी को जीणमाता का भाई माना गया है. यहां के मंदिर को औरंगजेब से खंडित कर दिया था. उसके बाद से इसका दुबारा निर्माण नहीं किया गया है और आज भी यहां लगातार पूजा अर्चना होती है.

पढ़ेंः इस सीन पर चल रहा है फिल्म 'पानीपत' का विरोध...असली कहानी सुनिए भरतपुर के इतिहासकार की जुबानी

लगातार होते हैं हादसे लेकिन सरकार नहीं दे रहा ध्यान...

हर्ष पर्वत पर कई बार हादसे हो चुके हैं. टूटी सड़क और गड्ढों की वजह से इस साल बरसात के सीजन में चार लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद प्रशासन ने इस रोड का प्रस्ताव तैयार करवाया था. रोड के लिए बजट भी तय हो गया, लेकिन वन विभाग की वजह से भी कई जगह काम अटका हुआ है. प्रशासन का दावा है कि बहुत जल्दी इसका काम शुरू करवा दिया जाएगा.

Intro:सीकर 

सीकर जिले का प्रमुख प्रर्यटन स्थल हर्ष पर्वत। अरावली पर्वत माला की यह चोटी राजस्थान में माउंट आबू के गुरु शिखर के बाद दूसरी सबसे ऊंची चोटी है। सीकर जिले का यह प्रमुख पर्यटन स्थल है जहां हर साल हजारों पर्यटक आते हैं। इसके अलावा धार्मिक महत्व की वजह से भी यहां श्रद्धालुओं का भी तांता लगा रहता है। इसके बाद भी शेखावाटी का यह पर्यटन स्थल आज बदहाली का शिकार है। हर्ष पर्वत तक पहुंचना ही हर किसी के लिए आसान नहीं है। इसके बाद वहां की व्यवस्थाओं में भी सुधार की जरूरत है। 





Body:सीकर से हर्ष जाने वाली रोड पर जहां से चढ़ाई शुरू होती है उसके बाद पूरी रोड टूटी हुई है। ऊपर जाने के लिए एक ही रोड है और उसकी हालत यह है कि जगह जगह जानलेवा गड्ढे  बने हुए हैं। छह किलोमीटर की सडक़ तो ऐसी है कि उस पर डामर का तो कहीं नामो निशान तक नहीं है। इसके अलावा कई जगह घुमाव में गड्ढे होने की वजह से गाडिय़ों के नीचे गिरने का खतरा बना रहता है। पहाड़ी के ऊपर जाने के बाद भी व्यवस्थाओं में काफी कमी है। सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर तो कुछ है ही नहीं। 


पर्यटन स्थल के साथ साथ धार्मिक महत्व भी है हर्ष पर्वत का 

 सीकर नगर से 16 किमी दूर स्थित हर्ष पर्वत की ऊंचाई करीब 3100 फीट है जो राजस्थान के की सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर के बाद दूसरे नंबर पर है।  पर्वत का नाम हर्ष एक पौराणिक घटना के कारण पड़ा। माना जाता है कि राक्षसों ने स्वर्ग से इन्द्र व अन्य देवताओं का बाहर निकाल दिया था इसके बाद भगवान शिव ने इस पर्वत पर इन राक्षसों का संहार किया था। इससे देवताओं में अपार हर्ष हुआ और उन्होंने शंकर की आराधना की। इस प्रकार इस पहाड़ को हर्ष पर्वत एवं भगवान शंकर को हर्षनाथ कहा जाने लगा। लेकिन इसके अलावा एक और पौराणिक कथा प्रचलित है और वह यह है कि यहां भैंरूजी का मंदिर है और यहां के भैंरूजी को जीणमाता का भाई माना गया है। यहां के मंदिर को औरंगजेब से खंडित कर दिया था उसके बाद से इसका दुबारा निर्माण नहीं किया गया है। और आज भी यहां लगातार पूजा अर्चना होती है। 



लगातार होते हैं हादसे लेकिन सरकार ने नहीं दिया ध्यान 

हर्ष पर्वत पर कई बार हादसे हो चुके हैं। टूटी सडक़ और गड्ढों की वजह से इस साल ही बरसात के सीजन में चार लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद प्रशासन ने इस रोड का प्रस्ताव तैयार करवाया था। रोड के लिए बजट भी तय हो गया लेकिन वन विभाग की वजह से भी कई जगह काम अटका हुआ है। प्रशासन का दावा है कि बहुत जल्दी इसका काम शुरू करवा दिया जाएगा। 





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