सीकर. पूर्व उपराष्ट्रपति व राजस्थान के पूर्व सीएम भैरोंसिंह शेखावत की पुण्यतिथि सोमवार को उनके पैतृक गांव खाचरियावास स्थित शेखावत स्मारक स्थल पर मनाई जा रही है. इस दौरान आयोजित कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कांग्रेस पर निशाना साधा. वहीं, उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया.
किसान कर्ज माफी के नाम पर ठगी : नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस ने कर्ज माफी के नाम पर किसानों को ठगा है. वहीं, उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी भैरोंसिंह शेखावत की ऋणी है. उन्होंने आमजन के लिए काम के बदले अनाज योजना शुरू की. कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि उन्हें राजनीति में लाने में भैंरोसिंह शेखावत की अहम भूमिका रही है.
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ऐसा था भैरोंसिंह का सफर : उपराष्ट्रपति और तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे भैरोंसिंह शेखावत का जीवन संघर्ष से सफलता की मिसाल था. जनमानस में बाबोसा के नाम से पहचान रखने वाले भैरोंसिंह शेखावत का जन्म 23 अक्टूबर 1923 में तत्कालीन जयपुर रियासत के गांव खाचरियावास में किसान पिता देवी सिंह शेखावत के बेहद साधारण परिवार में हुआ था. मां का नाम बने कवर था. प्रारंभिक शिक्षा गांव से करने के बाद उनके सामने आगे पढ़ाई जारी रखने की समस्या खड़ी हो गई थी. शेखावत के मन में कुछ कर गुजरने की चाह थी और आखिरकार हाई स्कूल के लिए उन्होंने जोबनेर जाने का फैसला किया.
पुलिस की नौकरी भी छोड़ी : इसके बाद शेखावत साथियों के साथ पैदल ही जोबनेर से खाचरियावास आते हैं. हाई स्कूल के बाद उन्होंने जयपुर के महाराजा कॉलेज में प्रवेश लिया. इसी दौरान पिता की मौत ने परिवार के 8 सदस्यों के भरण-पोषण का भार भी उनके कंधों पर डाल दिया. इसके लिए उन्होंने खेती करना शुरू कर दिया. इसी बीच पुलिस में नौकरी भी मिली, लेकिन खाकी में मन नहीं लगने पर वो फिर से खेती की तरफ लौट आए.
जनसंघ के सक्रिय सदस्य रहने पर 1952 में उन्हें दातारामगढ़ से विधानसभा चुनाव लड़ने का अवसर मिला जिसे भुनाते हुए उन्होंने पहला चुनाव जीतकर राजनीति में पहला कदम रखा. इसके बाद वो लगातार राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते चले गए. दांतारामगढ़ के अलावा श्रीमाधोपुर, जयपुर की किशनपोल, छाबड़ा, आमेर, धौलपुर और बाड़ी विधानसभा क्षेत्र से कुल 10 बार विधायक बनने के साथ ही 1977, 1990 और 1993 में तीन बार मुख्यमंत्री भी बने. इसके साथ ही वे जनसंघ के प्रदेशाध्यक्ष, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राज्य सभा सदस्य और विधानसभा नेता प्रतिपक्ष के पद पर भी कार्यरत रहे. इसके बाद उन्हें 2002 में 11वें उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित किया गया. लंबे राजनीतिक जीवन जीने के बाद 15 मई 2010 को भैरोंसिंह शेखावत पंचतत्व में विलीन हो गए.
इस कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, सांसद अर्जुनराम मेघवाल, कैलाश चौधरी, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, विधानसभा नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ सहित कई नेता शामिल हुए.